बाली में हुए G20 शिखर सम्मेलन को भारत के लिए कई मायनों में अहम मान सकते हैं. लेकिन इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के नव निर्वाचित प्रधान मंत्री ऋषि सुनक की मुलाकात ने दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड डील यानी मुक्त व्यापार समझौता जल्द होने का रास्ता खोल दिया है, जिसे एक उपलब्धि कहा जा सकता है. माना जा रहा है कि अगले साल मार्च तक ये समझौता परवान चढ़ सकता है,जिसके बाद भारत की अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज़ मिलने की उम्मीद है. 


दरअसल, FTA एक इंटरनेशनल कानून है जिसके मुताबिक दो या दो से अधिक देश एक दूसरे के बीच व्यापार को बढ़ाने के लिए इंपोर्ट-एक्सपोर्ट में आने वाली तमाम दिक्कतों को दूर करने की कोशिश करते हैं जिससे दोनों देशों के बीच ज्यादा से ज्यादा व्यापार को बढ़ावा मिल सके. इसके लिए उनके बीच में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन होता है. भारत और ब्रिटेन ने इस साल जनवरी में मुक्त-व्यापार समझौते (FTA) के लिए बातचीत शुरू की थी और 24 अक्टूबर तक इसे खत्म करने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन इस बीच ब्रिटेन में राजनीतिक संकट पैदा हो गया, जिसके चलते ये समय सीमा खत्म हो गई थी.


हालांकि आंकड़ों पर गौर करें,तो ये समझौता न होने के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है. साल 2020-21 में भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 13. 2 बिलियन डॉलर था,जो कि 2021-22  में बढ़कर 17. 5 बिलियन डॉलर हो गया है. इस दौरान भारत का निर्यात 10. 5 बिलियन डॉलर था, जबकि ब्रिटेन से उसका आयात 7 बिलियन डॉलर रहा. 


कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक ये द्विपक्षीय समझौता होने के बाद व्यापार में दोगुने से भी ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी.  अभी इस समझौते को लेकर सेक्रेटरी और मिनिस्ट्री लेवल पर बातचीत होनी है. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार जगत के विशेषज्ञ मानते हैं कि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हो जाने से भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर में जबरदस्त ग्रोथ दर्ज की जाएगी. इसके साथ ही देश की लेबर इंसेंटिव सेक्टर मसलन प्रोसेस्ड एग्रो, लेदर, टेक्सटाइल और ज्वेलरी प्रोडक्ट्स जैसे सेक्टर में भी ग्रोथ दर्ज की जाएगी.  इससे देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.  यही कारण है कि भारत इस समझौते को जल्द पूरा करने पर जोर दे रहा है. 


मोटे अनुमान के मुताबिक भारत और ब्रिटेन के बीच फिलहाल करीब 20 बिलियन डॉलर का व्यापार हो रहा है, जिसे तीन गुना तक बढ़ाने का लक्ष्य है. हालांकि दोनों देशों का ट्रेड अधिकतम सर्विस सेक्टर पर ही निर्भर करता है, जो कि कुल ट्रेड का 70 फीसदी हिस्सा है.  भारत,ब्रिटेन  का 12वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. जबकि यूके भारत का 7वां सबसे बड़ा निर्यातक देश है.  ऐसे में दोनों देश फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के जरिए व्यापार में होने वाली परेशानी को दूर करके अपनी आर्थिक ग्रोथ में तेजी लाना चाहते हैं.


सुनक से मुलाकात भारत के लिए कितनी अहम थी, इसका अंदाजा पीएम मोदी के ट्वीट से ही लगाया जा सकता है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा "हम मजबूत भारत-यूके संबंधों को बहुत महत्व देते हैं.  बाली में पीएम ऋषि सुनक से मिलकर बहुत अच्छा लगा. हमने व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने, भारत के रक्षा सुधारों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा सहयोग का दायरा बढ़ाने और लोगों के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने के तरीकों पर चर्चा की."


वहीं G20 शिखर सम्मेलन में ऋषि सुनक ने कहा कि उनकी सरकार सभी देशों से मुक्त व्यापार समझौते के लिए किसी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखाएंगी और क्वालिटी के साथ ही इस एग्रीमेंट को पूरा करेगी. हालांकि भारत को लेकर अपना रुख साफ करते हुए सुनक ने कहा कि हम भारत के साथ व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन हमें इन चीजों को ठीक करने की जरूरत है.  उन्होंने कहा कि भारत ने G20 की अध्यक्षता संभाली है, इसे लेकर उत्साह है.


इस साल अप्रैल तक भारत के कुल 13 देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हुए हैं जिनमें भूटान, नेपाल, थाईलैंड, सिंगापुर, जापान और मलेशिया जैसे देश शामिल हैं.  सहित 13 फ्री ट्रेड एग्रीमेंट थे. लेकिन पिछले पांच सालों में यूएई, मॉरीशस और ऑस्ट्रेलिया से साथ हुए समझौतों को भी अहम माना जाता है.


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