भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है. भारत भविष्य में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे कदम बढ़ा रहा है. इसके लिए देश में स्टार्टअप का मजबूत इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी पिछले कुछ सालों में इस पर ख़ास ज़ोर रहा है. यहीं वजह है कि आज भारत स्टार्टअप के नजरिए से दुनिया की एक बड़ी ताकत में बदल चुका है.   


आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में साई हीरा ग्लोबल कन्वेंशन सेंटर के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात का भी जिक्र किया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत कर्तव्यों को पहली प्राथमिकता बनाकर आगे बढ़ रहा है. इसी का नतीजा है कि देश दुनिया की टॉप पांच इकोनॉमी में शामिल हो चुका है और डिजिटल टेक्नोलॉजी के साथ ही 5-जी जैसे क्षेत्रों में बड़े-बड़े देशों का मुकाबला कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि भारत आजादी के 100 वर्ष के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है और इसी नजरिए से अगले 25 साल के अमृतकाल को कर्तव्यकाल का नाम दिया है. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमारे कर्तव्यों में आध्यात्मिक मूल्यों का मार्ग दर्शन भी है और भविष्य के संकल्प भी समाहित हैं. इसमें विकास भी है और विरासत भी है. पीएम मोदी का मानना है कि एक ओर देश में आध्यात्मिक केंद्रों का पुनरुद्धार हो रहा है तो साथ ही भारत इकोनॉमी और टेक्नोलॉजी में भी 'लीड' कर रहा है.


टॉप 5 इकोनॉमी में भारत


पीएम नरेंद्र मोदी ने ने भारत की बढ़ती ताकत का जिक्भार करते हुए ये भी कहा कि देश दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्था में शामिल हो चुका है. आज भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है. डिजिटल प्रौद्योगिकी और 5-जी जैसे क्षेत्रों में भारत बड़े-बड़े देशों का मुकाबला कर रहा है. दुनिया में आज जितने भी रियल टाइम ऑनलाइन लेनदेन हो रहे हैं, उसमें 40% अकेले भारत में हो रहे हैं. इन आंकड़ों के आधार पर हम कह सकते भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है. 



नए भारत के विकास में समाज के हर वर्ग की हिस्सेदारी बढ़ रही है और इससे ही भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल रही है. भारत की बढ़ती ताकत की वजह से ही आज हर मोर्चे पर विश्व भारत के नेतृत्व में भरोसा कर रहा है. इसमें एक मुद्दा जलवायु परिवर्तन से भी जुड़ा है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी जलवायु परिवर्तन को पूरे विश्व के लिए एक बड़ी समस्या करार दिया है. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि 21वीं सदी की चुनौतियों को देखते हुए भारत ने वैश्विक मंच पर मिशन एलआईएफई यानी पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली जैसे कई कदम उठाए हैं.


भारत के प्रति बढ़ा आकर्षण


भारत की अध्यक्षता में हो रही जी-20 बैठकों और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में योग सत्र के आयोजन का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि दुनिया में आज भारत के प्रति आकर्षण भी बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी संस्कृति, हमारी विरासत, हमारा अतीत, हमारी धरोहर.. इनके प्रति जिज्ञासा भी लगातार बढ़ती जा रही है. जिज्ञासा ही नहीं, बल्कि आस्था भी बढ़ रही है.’’



पिछले कुछ सालों में विदेशों से भारत लाई गई मूर्तियों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारत के इन प्रयासों के पीछे देश की सांस्कृतिक सोच सबसे बड़ी ताकत हैॉ. उन्होंने कहा कि देश में सांस्कृतिक जागरूकता लाने के प्रयासों में सत्य साईं ट्रस्ट जैसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संस्थानों की एक बड़ी भूमिका है.


प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद समाजसेवी रयूको हीरा से अनुरोध किया कि वे छोटे-छोटे जंगल बनाने की तकनीक मियावाकी के उपयोग के बारे में ट्रस्ट के लोगों को बताएं ताकि इस पहल को देश के अन्य हिस्सों में भी लागू किया जा सके. श्री सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट ने पुट्टपर्थी के प्रशांति निलयम में साईं हीरा वैश्विक सम्मेलन केंद्र का निर्माण किया है.


ट्रस्ट की ओर से आंध्र प्रदेश के करीब 40 लाख छात्रों को श्रीअन्न रागी-ज्वार से बना भोजन दिए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि इस तरह के कदमों से दूसरे राज्यों को भी जोड़ा जाए तो देश को इसका बड़ा लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा, ‘‘श्रीअन्न में स्वास्थ्य भी है और संभावनाएं भी हैं. हमारे ऐसे सभी प्रयास वैश्विक स्तर पर भारत के सामर्थ्य को बढ़ाएंगे और भारत की पहचान को मजबूती देंगे.’’


बेशक, भारत लगातार दुनिया में अलग-अलग क्षेत्रों में तेजी के साथ बढ़ रहा है. अपनी नई पहचान के साथ ही दुनिया को नेतृत्व का एक भरोसा दे रहा है. लेकिन इन सबके बीच भारत को उन क्षेत्रों में अपने आपको आगे बढ़ाना होगा, जहां पर अभी पिछड़े हुए हैं, वो चाहे बात दुनिया के अलग-अलग देशों से व्यापार घाटे को कम करने की हो या फिर किसी अन्य मोर्चे पर. हालांकि, भारत की तरफ से मेक इन इंडिया जैसे कदम उठाकर इसने रक्षा के क्षेत्र में अप्रत्याशित कई कदम उठाए हैं. लेकिन ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में सरकार को इसी तरह के कदम उठाए जानें की जरूरत है. ताकि हमारी विदेशों पर से निर्भरता खत्म हो सके या कम से कम किया जा सके.


आर्थिक मजबूती के साथ ही अर्थव्यवस्था के अन्य कारकों जैसे महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता जैसे पहलुओं पर भी भविष्य में और ध्यान दिए जाने की जरूरत है. 



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