ज्यादातर चुनावी विश्लेषक लोकसभा चुनाव को दो हिस्सों में बाँटकर देख रहे हैं.. एक वो राज्य जिनमें भाजपा को 2019 और 2014 में तगड़ी जीत मिली थी.. दूसरे, वो राज्य जिसमें भाजपा का प्रदर्शन पिछले दो लोकसभा चुनावों में भी उल्लेखनीय नहीं रहा.. हम कह सकते हैं कि पहले तरह के राज्यों में भाजपा डिफेंडर की भूमिका में है, यानी उसे अपनी सीटें बनानी हैं.. दूसरे तरह के राज्यों में भाजपा चैलेंजर की भूमिका में है, यानी वह दूसरे दलों को चुनौती दे रही है. हिन्दी प्रदेश के ज्यादातर राज्यों में भाजपा डिफेंडर की भूमिका में है, वहीं कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भाजपा चैलेंजर की भूमिका में है.


दक्षिण में लगाया भाजपा ने दांव


दक्षिण के इन राज्यों में भी इस बार सबसे ज्यादा चर्चा तमिलनाडु की रही, जहाँ 19 अप्रैल को पहले चरण में मतदान हो चुके हैं.. तमिलनाडु चुनाव के नतीजे चार जून को पता चलेंगे लेकिन राज्य में भाजपा ने जिस तरह कैंपेन किया, उसपर एक नजर डालने से पता चलता है कि भाजपा और खासकर पीएम नरेन्द्र मोदी किस तरह चुनाव से बहुत पहले से किसी राज्य में चुनाव की तैयारी शुरू कर देते हैं. भाजपा को करीब से जानने वाले विद्वान और तुगलक पत्रिका के संपादक एस गुरुमूर्ति ने हाल ही में एक इंटरव्यू में रोचक नजरिया रखा.


वर्ष 2018 में जब पीएम नरेन्द्र मोदी चेन्नई की यात्रा पर गये तो वहाँ 'गो बैक मोदी" के नारे लगाये गये और सोशलमीडिया पर ट्रेंड कराया गया. गुरुमूर्ति के अनुसार पीएम मोदी ने "गो बैक मोदी" ट्रेंड कराने वालों की चुनौती को गम्भीरता से लेते हुए उसी समय से तमिलनाडु की राजनीति में निर्णायक हस्तक्षेप करने की ठान ली. अप्रैल 2018 से अप्रैल 2024 तक के घटनाक्रम देखें तो कहीं न कहीं गुरुमूर्ति की बात में दम दिखता है. हालांकि, उस ट्रेंड के पहले से ही पीएम मोदी ने तमिल जनता से इमोशनल कनेक्ट बनाने वाले संदेश देने शुरू कर दिये थे.



तमिल संस्कृति पर जोर


फरवरी, 2018 में परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम ने पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि उन्हें दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल न बोल पाने का मलाल है. बहुत से संस्कृत प्रेमी विद्वान मानते हैं कि भारत की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत है. ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा तमिल को दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा कहने से एक नई बहस छिड़ गयी. उसके बाद पीएम मोदी ने कई मौकों पर तमिल को दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा बताया.. जाहिर है कि यह कहकर पीएम ने दुनिया भर के नौ करोड़ से ज्यादा तमिल भाषियों के दिल का तार छू लिया होगा.


बीते छह साल में पीएम मोदी कई बार तमिल को दुनिया की सबसे पुरानी भाषा बता चुके हैं और अब इसपर संस्कृतवादी भी रिएक्ट नहीं करते. कह सकते हैं कि पीएम मोदी के तमिल आउटरीच की तरफ यह पहला बड़ा कदम था. अगले ही साल एक युवा आईपीएस के अन्नामलाई ने सितम्बर 2019 में सेवा से इस्तीफा देकर अगस्त 2020 में भाजपा जॉइन कर ली. अन्नामलाई तमिलनाडु के रहने वाले हैं और उनका कैडर कर्नाटक था. जब अन्नामलाई इस्तीफा देकर भाजपा में आए तो इसमें ऐसी कोई नई बात नहीं थी कि प्रेक्षक चौकन्ने होते लेकिन महज एक साल बाद अगस्त 2021 में 36 वर्षीय अन्नामलाई को तमिलनाडु भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो उनपर पूरे देश की नजरें टिक गयीं. अन्नामलाई तमिलनाडु भाजपा के इतिहास के सबसे युवा प्रदेश अध्यक्ष बने थे. 


अन्नामलाई ने एल मुरुगन की जगह ली थी जिन्हें अन्नामलाई के प्रदेश की बागडोर सौंपने के बाद मोदी कैबिनेट में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया. एल मुरुगन अनुसूचित वर्ग से आते हैं, जबकि अन्नामलाई ओबीसी वर्ग से आते हैं. अन्नामलाई का ओबीसी वर्ग से आना महज संयोग नहीं है.. तमिलनाड की राजनीति पर ओबीसी वर्ग के नेताओं का दबदबा कोई छिपी बात नहीं है. ओबीसी अन्नामलाई और एससी मुरुगन की जोड़ी से भाजपा ने वही सोशल इंजीनियरिंग की जिसके लिए वह अन्य राज्यों में प्रसिद्ध हो चुकी है.


काशी तमिल संगमम कार्यक्रम


अगले ही साल नवंबर 2022 में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और तमिलनाडु को जोड़ने वाले एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज हुआ.'काशी तमिल संगमम' नामक सांस्कृतिक कार्यक्रम में करीब एक महीने तक तमिल कलाकार काशी में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. वर्ष 2023 में मोदी ने जब नए संसद भवन का उद्घाटन किया तो उसमें गौरवशाली तमिल इतिहास एवं संस्कृति के  प्रतीक के तौर पर पवित्र सेंगोल को स्थान दिया गया. तमिलनाडु के साधु-संतों ने दिल्ली आकर विधिपूर्वक सेंगोल की स्थापना की.


दिल्ली के प्रगतिमैदान में एक सभागार का नाम तमिल मंडपम के नाम पर 'भारत मंडपम' रखा गया.. 2023 में ही अपने एक भाषण में पीएम मोदी ने तमिलनाडु के 1100-1200 वर्ष पुराने उथिरामेरू शिलालेख में लोकतांत्रिक तरीके से ग्राम सभा सदस्य चुनने और हटाने के वर्णन का जिक्र किया. पीएम मोदी ने भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए अपने बयान के प्रमाण के तौर पर तमिल शिलालेख का उल्लेख किया. पिछले पांच सालों में विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान तमिल इतिहास एवं संस्कृति की मुक्तकंठ से प्रशंसा का कोई भी अवसर पीएम मोदी ने नहीं छोड़ा.


श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा


वर्ष 2024 में जब अयोध्या स्थित श्री राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण-प्रतिष्ठा की तिथि निश्चित हो गयी तो पीएम मोदी ने उसके लिए विशेष व्रत-अनुष्ठान का पालन करने का निर्णय लिया.. इस दौरान उन्होंने कई मंदिरों में दर्शन-पूजन किया जिनमें तमिलनाडु के तीन प्रसिद्ध मंदिर,  श्रीरंगम स्थित रंगनाथ मंदिर, रामेश्वरम स्थित रामनाथस्वामी मंदिर और धनुषकोड़ी स्थित कोदंडराम मंदिर भी शामिल थे. इन सभी मंदिरों का सम्बन्ध भगवान राम से माना जाता है. यह एक तरह उत्तर और दक्षिण भारत के आध्यात्मिक जुड़ाव को जनमानस में स्थापित करने का प्रयास था. 


फरवरी 224 में जब भारत रत्न की घोषणा हुई तो भारत में कृषि क्रांति के अग्रदूत और तमिल मूल के वैज्ञानिक कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का भी नाम था. स्वामीनाथन इस सम्मान के हकदार हैं, इसमें शायद ही किसी को संदेह हो लेकिन अन्य नामों की तरह उनके नाम का चयन महज संयोग नहीं था. तमिल प्रतिभा को सम्मान का संदेश उसमें समाहित था. 


राजनीतिक विश्लेषकों ने मार्च में चुनाव की घोषणा के बाद से इस बात को बार-बार रेखांकित किया कि पीएम मोदी ने दो महीने में सात बार तमिलनाडु का दौरा किया था. यानी, पीएम मोदी पिछले कई सालों से तमिल जनता से न केवल इमोशनल कनेक्ट डेवलप कर रहे थे, बल्कि जमीन पर उतरकर उनके बीच जाकर भी अपनी जगह बना रहे थे.


भाजपा का वोट प्रतिशत   


तमिलनाडु के ज्यादातर प्रेक्षक मान रहे हैं कि भले ही राज्य में भाजपा डबल डिजिट में लोकसभा सीटें न जीते लेकिन उसके वोट प्रतिशत में जबरदस्त उछाल पक्का है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा एडीएमके के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी तो उसे 3.66 प्रतिशत वोट मिले थे. इस बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने दावा किया है कि उनकी पार्टी करीब 35 प्रतिशत वोट पाएगी, वहीं प्रशांत किशोर जैसे चुनावी रणनीतिकार मानते हैं कि भाजपा  डबल डिजिट में वोट पा सकती है. भाजपा के दावों के उलट तमिलनाड के ज्यादातर विश्लेषक मान रहे हैं कि भाजपा राज्य में अधिकतम 7 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है. इससे ज्यादा सीटें आने का मतलब होगा कि कर्नाटक वाली मोदी लहर तमिलनाडु पहुंच चुकी है.


हालांकि, ज्यादा जानकार यह भी मान रहे हैं कि भाजपा ने तमिलनाडु में जो जोर लगाया है, पीएम मोदी ने जिस तरह अन्नामलाई को प्रमोट किया है,  वह 2024 की लोकसभा से ज्यादा 2026 के विधानसभा की तैयारी है. यही कारण है कि भाजपा ने एडीएमके से अलग होकर चुनाव लड़ा, जबकि वह निस्संदेह राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और भाजपा की पुरानी साझेदार है. इसमें संदेह नहीं कि अगले विधानसभा में जब भाजपा तमिलनाडु में ताल ठोकेगी तो उसके पास तमिल जनता से इमोशनल कनेक्ट, ग्राउंड वर्ग और एक युवा ऊर्जावान लीडर मौजूद होगा, जो पूर्व सीएम जयललिता के निधन से खाली जगह को भरने के लिए पूरी तरह तैयार होगा.


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