पाकिस्तान में चुनाव हुए. कई दिन बीत गए, लेकिन अभी भी नयी सरकार को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. पीटीआई का दावा है कि वह अगली सरकार बनाएगी. अब जब सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल ने इसे अपना नाम दे दिया है, तो यह अब नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी जमात बन कर उभरी है, बावजूद इसके की चुनाव में इस्टैब्लिशमेंट की मदद से बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे हैं, सेना की कोशिश मुस्लिम लीग नवाज़ को जिताने की थी, और वो इसमें कामयाब भी होती नज़र आ रही है,अमेरिका और यूरोप ने भी इसपर चिंता जताई है. नवाज ने तो बिलावल के साथ मिलकर भी सरकार बनाने की कोशिश की, लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हुए. अब पाकिस्तान का यह चुनाव और सेना की भूमिका सब कुछ बेपर्दा है. 


पाकिस्तानी चुनाव में धांधली


रावलपिंडी और मुल्तान के कमिश्नर ने भी मीडिया के सामने इस बात का खुलासा किया कि किस तरह से उन्होंने पीटीआई के जीते हुए उम्मीदवार को हराने का काम किया, हालांकि रावलपिंडी कमिश्नर ने बाद में अपने दिए बयान के लिए माफ़ी मांग ली. पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट को इस बात की जांच के लिए आदेश देने चाहिए थे. पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान विधान सभा चुनाव में भी बड़े पैमाने पर पीटीआई उम्मीदवारों को हारने का काम किया गया, पाकिस्तान के राजनीतिक दल जमात इस्लामी ने भी ऐसे आरोप लगाए है , राजनितिक पंडितों का कहना है कि जनादेश को अगर इस तरह से पलटा गया तो जनता की भी चुनावी राजनीति से भरोसा उठ जाएगा जो पाकिस्तान के अस्तित्व के लिए अच्छा नहीं होगा.



पाकिस्तानी इस्टैब्लिशमेंट ऐसी गलती एक बार पहले भी कर चुकी है.जिसके नतीजे में बांग्लादेश वजूद में आया, सेना ने पूरी कोशिश की पीटीआई को सत्ता में आने से रोकने के लिए पार्टी का चुनाव चिह्न तक छीन लिया गया, उन्हें रैली करने तक की इजाज़त नहीं मिली उनके नेता इमरान खान जेल में है, पार्टी के उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़े, पार्टी फिर भी सबसे बड़ी जमात बन कर उभरी. साथ ही पंजाब और सिंध की विधानसभाओं में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है


इमरान को चौतरफा समर्थन


इमरान की पार्टी खैबर पख्तूनखा में सरकार बनाने जा रही है. नेशनल असेंबली के चुनावी नतीजों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, ऐसे में बहुत सारे चुनावी नतीजों को कोर्ट ने रोक दिया है. पीटीआई को उम्मीद है कि कोर्ट के फैसले उनके हक़ में आएंगे और वो सरकार बनाने में सफल होंगे. इमरान खान की रिहाई को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. जमीयत-उलेमा-ए-पाकिस्तान के अध्यक्ष मौलाना फज़लुर रहमान और उनके बेटे भी चुनाव हार चुके हैं, मौलाना पहले मुस्लिम लीग नवाज़ और पीपुल्स पार्टी' के साथ गठबंधन सरकार में थे, लेकिन अब उन्होंने गठबंधन सरकार में शामिल होने से इंकार करते हुए ये बयान दिया है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण पीटीआई को सरकार बनाने के लिए बुलाना चाहिए. पाकिस्तान के राष्ट्रपति ये काम कर भी सकते है. गौरतलब है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति का संबंध पीटीआई से है.


सेना के मंसूबों पर संदेह


पीटीआई, जो अब एसआईसी है, सबसे बड़े समूह के रूप में संसद में मौजूद है, लेकिन फिर भी सरकार बनाने के लिए आवश्यक गठबंधन बनाने के लिए उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि कई पार्टिया जिनमे मुहाजिर क़ौमी मूवमेंट खास तौर से शामिल है इसके लिए  तैयार नहीं दिखती हैं.  इस बीच, पीएमएल (एन), जिसने पीपीपी का समर्थन हासिल कर लिया है, सरकार बनाने में मज़बूत स्थिति में नज़र आती है, एमक्यूएम (पी), जेयूआई (एफ) और बीएपी सहित अन्य दल भी उसके के साथ जुड़ गए है,  यदि वह इस प्रकार सदन में पीटीआई से अधिक ताकत दिखा सकती है, तो वह प्रधान मंत्री पद सुरक्षित कर लेगी.


यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पाकिस्तान में बनने वाली अगली सरकार के लिए बहुत कठिन संघर्ष होगा, क्योंकि उसे लगभग तुरंत ही दो बड़े संकटों का सामना करना पड़ेगा,  सबसे पहले आईएमएफ के साथ एक नए समझौते पर पहुंचना होगा क्योंकि वर्तमान स्टैंडबाय समझौता समाप्त हो जाएगा;  अगला काम अगले साल का बजट तैयार करना और पारित करना होगा.  बजट में आईएमएफ से पैकेज पाने के लिए सहमत कई उपाय शामिल होंगे.  पीएमएलएल(एन) सहित सभी लोग इसी कार्य से डर रहे हैं! पाकिस्तान का मुस्तकबिल क्या होने वाला है, यह तो आनेवाले दिनोंं में पता चलेगा, लेकिन यह तो तय है कि अभी जो भी वहां की कमान संभालेगा, वह तो तलवार की ही राह पर चलेगा. 


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