पाकिस्तान में इमरान खान पर हुए जानलेवा हमले का चाहे जितना पोस्टमॉर्टम किया जाये लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि ये खुलासा शायद कभी हो पाएगा. शायद कभी सामने नहीं आ पाएगा कि इमरान खान पर हमले के पीछे वहां की सरकार थी या उससे भी ज्यादा ताकतवर सेना है, जिसकी मुख़ालफ़त करते हुए वे पुरकोर तरीके से उसकी करतूतें उजागर कर रहे हैं. ये पाकिस्तान की जनता भी नहीं जानती कि पुख्ता जांच के बाद ही इसका कोई सही नतीजा सामने आयेगा भी कि नहीं. लेकिन इमरान खान पर गोली चलाने वाले हमलावर के पकड़े जाने और उसके दिए पहले बयान से इतना तो साफ़ हो गया है कि इसे एक मज़हबी जज़्बात से भड़के गुस्से का रुप दिया जा रहा है.


इमरान पर हमला होने के फौरन बाद ही भारत के न्यूज़ चैनलों से रुबरु हुए पाकिस्तान के कुछ संजीदा पत्रकारों ने साफतौर पर ये शक जताया भी था कि इसे लेकर मज़हबी कार्ड खेला जा सकता है, ताकि किसी पर भी इसका शक न हो. उन्हीं लोगों ने ये भी कहा कि अमूमन कोई भी सरकार अपने विरोधी पर ऐसा हमला करने की हिम्मत इसलिये नहीं जुटा पाती कि इससे वह सियासी तौर पर और ज्यादा कमजोर हो जाएगी. उन्हीं पत्रकारों ने ये बी इशारा किया है कि ऐसे हालात में मज़हबी कार्ड खेलने में हमारी सेना माहिर है और हो सकता है कि इस हमले के पीछे वही हो.


हालांकि इस हक़ीक़त को तो पाकिस्तान का एक बड़ा वर्ग भी जानता है कि उनकी सेना ही हिंदुस्तान से कायम होने वाले बेहतर रिश्तों को नाकाम करने की सबसे बड़ी वजह पहले भी थी और आज भी है. उन्हें भी हैरानी इस बात की है कि सरकार की खिलाफत को लेकर अपना मार्च निकाल रहे मुल्क के पूर्व पीएम और विरोधी पार्टी के मुखिया पर पर्दे के पीछे से इस तरह के हमले को भी अंजाम दिया जा सकता है.


इमरान और उनके साथ जुटे समर्थकों पर जिस तरह से गोलियां चलाते हुए सिर्फ उनके पैरों को ही निशाना बनाया गया है, उससे साफ़ है कि एके 47 रायफल चलाने वाले हमलावर को ये हिदायत दी गई होगी कि मकसद जान लेना नहीं है लेकिन निशाना कहां दागना है, इसका खास ख्याल रखना है. लिहाज़ा, इस हमले को पाकिस्तानी सेना की तरफ़ से एक ऐसी चेतावनी के रूप में देखा जाना चाहिये, जिसका हश्र वो मुल्क अपनी पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो को गंवाकर देख चुका है.


हालांकि सच ये भी है कि इमरान खान ने ऐसे खूनखराबे का अंदेशा पहले हो जता दिया था. 31 अक्टूबर को किया उनका ये ट्वीट बेहद मायने रखता है, जिसमें उन्होंने मुल्क के अवाम से मुखातिब होते हुए कहा था, "मेरे लिए बड़ा सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान में ये क्रांति शांतिपूर्ण तरीके से बैलेट के जरिए होगी या फिर खूनखराबे से?" इमरान के उसी बयान का विश्लेषण करते हुए अगले दिन ही abp news ने लिखा था कि इमरान के आजादी मार्च को इस्लामाबाद तक पहुंचने से रोकने के लिए सेना हर मुमकिन तरीका इस्तेमाल करेगी, जो पाकिस्तान में एक नया तनाव ले आएगा. वही हुआ भी.


लेकिन ये हमला पाकिस्तान की सेना का वो आईना भी दिखाता है, जो कभी नहीं चाहती कि मुल्क की सरकार ताकतवर हो और वह भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाने में कामयाब हो.


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