भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए लेकिन दुनिया की नजर में भारत का कोई एक शहर भी ऐसा नहीं है, जिसे रहने के लिहाज से सबसे बेहतरीन कहा जा सके. हाल ही में दुनिया के 140 शहरों का आकलन किया गया था कि वहां लोगों के रहने के लिए किस हद तक बेहतरीन स्थितियां हैं. ये जानकर हैरानी होगी कि देश की राजधानी दिल्ली या फिर कश्मीर की खूबसूरत वादियों वाला कोई शहर भी टॉप 100 बेहतरीन शहरों में जगह नहीं बना पाया.


दुनिया की प्रतिष्ठित पत्रिका द इकनॉमिस्ट हर साल वैश्विक लिवेबिलिटी सूचकांक ( Global Liveability index) जारी करती है. ताजा सूचकांक में दिल्ली को 112 वीं तो आर्थिक राजधानी मुंबई को 117 वीं पायदान पर जगह मिल पाई है. दरअसल, ये इंडेक्स सरकार के दावों के उलट भारत की दूसरी ही तस्वीर पेश करता है, जिसे काफी हद तक ठीक भी समझा जाना चाहिए. आखिर क्या वजह है कि आजादी के इतने सालों बाद भी हमारी सरकारें न तो शहरों की आबोहवा को स्वच्छ कर पाई हैं और न ही वहां हर तरह की बुनियादी सुविधाएं ही जुटा सकी हैं?


इस सूची को देखने के बाद केंद्र समेत राज्यों की सरकारों को भी गहराई से सोचने की जरूरत है कि विदेशों में जाकर हम चाहे जितना डंका पिटते रहें लेकिन हक़ीकत में देश का कोई एक शहर भी हम ऐसा नहीं बना पाए, जो टॉप 10 न सही ,पर टॉप 100 बेहतरीन शहरों में तो अपनी जगह बना पाता. ये सूचकांक वैश्विक स्तर पर भारत की कोई बहुत अच्छी छवि पेश नहीं करता है.


इस सूची में दुनिया के 140 शहरों में राजनीतिक-सामाजिक स्थिरता का क्या हाल है, वहां अपराध कितने होते हैं, शिक्षा और स्वास्थय सेवाओं की क्या स्थिति है और प्रदूषण कितना है-ऐसे तमाम विषयों का अध्ययन करने के बाद ही उन शहरों की  रैंकिंग की गई. सभी शहरों में रहने के लिए सबसे अच्छे शहर का ताज आस्ट्रिया (Austria) की राजधानी वियना (Vienna) के नाम सजा है. अर्थप्रबंधक खुफिया इकाई (Economist Intelligence Unit -EUI)  की इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में रहने लायक सबसे बेहतरीन शहर वियना है.


हालांकि यह पहली बार है कि जब किसी यूरोपीय शहर को रैंकिंग में टॉप पर आने का मौका मिला है. ये भी पहली बार हुआ कि टॉप 10 की सूची में कई यूरोपीय शहरों ने जगह बनाई है. दूसरे नंबर पर डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन है, ज्यूरिख चौथे पर है. स्विस शहर जेनेवा छठे और जर्मनी का फ्रैंकफर्ट सातवें नंबर पर है नीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटर्डम नौवें नंबर पर है. कनाडा अकेला ऐसा देश है जिसके तीन शहर टॉप 10 में हैं. इनमें कैलगरी का तीसरा, वैंकुवर का पांचवां और टोरंटो का आठवां नंबर है. जापान का ओसाका और ऑस्ट्रेलिया का मेलबोर्न संयुक्त रूप से दसवें नंबर पर हैं.


EUI के मुख्य अर्थशास्त्री और एशिया के प्रबंध निदेशक साइमन बैप्टिस्ट के मुताबिक, "दक्षिण एशियाई शहरों ने सूचकांक पर खराब प्रदर्शन किया, हमने 6 शहरों में दिल्ली (112) को शीर्ष पर रखा है, उसके बाद मुंबई (117) का स्थान है. द इकनॉमिस्ट मैगजीन के इस वार्षिक वैश्विक लिवेबिलिटी सूचकांक में पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची और बांग्लादेश की राजधानी ढाका को दुनिया के सबसे कम रहने लायक शहरों में जगह मिली है. इस सूची में सीरिया की राजधानी दमिश्‍क सबसे निचले पायदान पर है. 


भारत के लिए चिंतित होने वाली बात ये भी है कि इस साल 22 मार्च को  स्विस संगठन ‘आईक्यूएयर’ने प्रदूषण को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी.उसमें कहा गया था कि 2021 में दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है.दिल्ली लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनकर उभरी और बीते वर्ष सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले विश्व के 50 शहरों में से 35 शहर भारत में थे. उस रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में भारत का कोई भी शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानक (पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पीएम-2.5 सांद्रता) पर खरा नहीं उतर सका था.


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