2008 में आईपीएल शुरू हुआ. तब से लेकर अब तक सब कुछ बदल गया. आईपीएल का फॉर्मेट बदला. लीग के चेयरमैन बदले. टीमें बदलीं. टीमों के खिलाड़ी बदले. कोच बदले. कप्तान बदले. लेकिन ये सोचकर भी ताज्जुब होता है कि धोनी नहीं बदले. धोनी की कप्तानी नहीं बदली. धोनी की सोच नहीं बदली.


याद कीजिए राजस्थान रॉयल्स, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर, मुंबई इंडियंस, कोलकाता नाइट राइडर्स, किंग्स इलेवन पंजाब, दिल्ली डेयरडेविल्स और सनराइजर्स हैदराबाद की टीम को, इन सभी टीमों ने पिछले 11 साल में समय समय पर अपने कप्तान बदले. ये बदलाव नहीं हुआ तो चेन्नई सुपरकिंग्स की टीम में. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिकों को कभी इस बदलाव की जरूरत ही महसूस नहीं हुई. बैन के दो साल को छोड़ दिया जाए तो चेन्नई की टीम 2 बार चैंपियन बनी. 5 बार फाइनल के लिए क्वालीफाई किया और रनर्स अप बनी.

अब तक खेले गए हर सीजन में बुरे से बुरे दौर में भी चेन्नई की टीम टॉप-4 टीमों में शामिल रही. इस सीजन में भी चेन्नई ने प्वाइंट टेबल में पहले नंबर की टीम सनराइजर्स हैदराबाद को मंगलवार को हराकर फाइनल में जगह पक्की कर ली. 2008 से लेकर आज तक इस टीम की कमान जिस करिश्माई खिलाड़ी ने संभाल रखी है उसका नाम है महेंद्र सिंह धोनी. इसीलिए आप ये बात बिल्कुल डंके की चोट पर कह सकते हैं कि आईपीएल में सबकुछ बदल सकता है सिवाय महेंद्र सिंह धोनी के.

सनराइजर्स हैदराबाद को कैसे दी मात
धोनी जानते थे कि सनराइजर्स हैदराबाद की असली ताकत उनकी गेंदबाजी है. इसलिए टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करते वक्त उनकी पहली कोशिश थी कि हैदराबाद की टीम को कम से कम स्कोर पर रोक दिया जाए. जिससे लक्ष्य का पीछा करने में कोई मुश्किल ना आए. धोनी की जिस रणनीति की सबसे ज्यादा तारीफ हो रही थी वो है ड्वेन ब्रावो को मिडिल ओवर्स में गेंदबाजी कराना. ब्रावो ने अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए 4 ओवर में 25 रन देकर 2 विकेट झटके. ब्रावो ने दोनों ही विकेट अहम खिलाड़ियों के लिए. पहले उन्होंने शाकिब-अल-हसन को धोनी के हाथों कैच कराया. बाद में यूसुफ पठान को अपनी ही गेंद पर गजब का कैच लेकर डगआउट भेज दिया. यूसुफ पठान अभी हाथ खोलने की शुरूआत करने की कोशिश करें इससे पहले ही वो डगआउट रवाना हो चुके थे.

अपने गेंदबाजों को लेकर धोनी की रणनीति कितनी स्पष्ट थी कि उन्होंने इतने बड़े मैच में कोई ‘एक्सपेरीमेंट’ नहीं किया. उन्होंने अपनी टीम के प्लेइंग 11 में शामिल सभी 5 गेंदबाजों से 4-4 ओवर गेंदबाजी कराई. वो भी तब जबकि शार्दूल ठाकुर बीच में काफी महंगे साबित हुए. धोनी की इस रणनीति का फायदा ये हुआ कि सनराइजर्स हैदराबाद की टीम 139 रन ही जोड़ पाई. 140 का स्कोर यूं तो चेन्नई के लिए बड़ा स्कोर नहीं था लेकिन जिस बात का डर था वही हुआ.

भुवनेश्वर कुमार ने पहले ही ओवर में शेन वॉटसन को आउट कर दिया. सब कुछ ठीक चलना शुरू ही हुआ था कि सिद्धार्थ कौल ने चौथे ओवर में सुरेश रैना और अंबाति रायडू को लगातार दो गेंद पर आउट करके मैच में जबरदस्त रोमांच ला दिया. बल्लेबाजी में धोनी कुछ खास नहीं कर पाए. राशिद खान ने एक बार फिर उन्हें आउट किया. बावजूद इन झटकों के फाफ ड्यूप्लेसी और शार्दूल ठाकुर ने आखिरी ओवर में 5 गेंद बाकि रहते हुए टीम को जीत दिला दी. ये सातवां मौका है जब धोनी की कप्तानी में चेन्नई की टीम आईपीएल का फाइनल खेलेगी.

बल्लेबाजी और कीपिंग में भी जबरदस्त प्रदर्शन  
मंगलवार को भले ही धोनी हैदराबाद के खिलाफ बल्ले से कमाल नहीं दिखा पाए लेकिन पूरे सीजन में उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की है. हालात की जरूरत के मुताबिक बल्लेबाजी ‘प्लान’ करने में उनका कोई तोड़ ना था ना है. इस सीजन में अब तक उन्होने 15 मैचों में 455 रन बनाए हैं. उनका औसत 75 से ज्यादा का है और स्ट्राइक रेट 150 से ज्यादा का. वो 3 हाफसेंचुरी लगा चुके हैं. 30 छक्के जड़ चुके हैं. बतौर विकेटकीपर उन्होंने अब तक 11 कैच लिए हैं, 2 बल्लेबाजों को स्टंप किया है. ये आंकड़े बताते हैं कि आखिर क्या वजह है कि बड़े से बड़े खिलाड़ी की कुर्सी इधर से उधर हुई लेकिन धोनी अब भी आईपीएल के ‘सुपरकिंग’ की कुर्सी पर डटे हुए हैं.