डोनाल्ड ट्रंप एक ऐसी शख्सियत हैं, जो लंबे समय के बाद अमेरिका के राजनीतिक पटल पर उभर कर सामने आए थे. ट्रंप एक रिपब्लिकन हैं और पूर्व राष्ट्रपति हैं. उनका राजनीतिक झुकाव दक्षिणपंथी विचारधारा की तरफ है. ग्लोबल पॉलिटिकल एरेना देखेंगे तो ये दौर भी राइट विंग पॉलिटिक्स के उभार का है.


इसी वजह से पिछली बार राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद भी ट्रंप ने हार स्वीकार नहीं किया. उनके समर्थक कैपिटल हिल पर जमा हो गए थे. उस वक्त काफी हिंसा भी देखने को मिली थी, अमेरिका की राजनीति के नजरिए से वो भी बेहद अभूतपूर्व था.


डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भी तीन महाभियोग (impeachment) का सामना किया है, लेकिन ये पूरा प्रकरण ट्रंप के लिए मजबूती ही साबित हुआ है. क्योंकि उनको जो समर्थक हैं, जो रिपब्लिकन वोटर हैं, जो गांव, सब अर्बन एरिया के व्हाइट लोग हैं, वे ट्रंप के ज्यादा सपोर्टर हैं.


अभी जो मैनहट्टन अदालत में उनके ऊपर आरोप लगाया गया, उसके बाद ट्रंप की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ी है. ट्रंप पहले से ही 2024 में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए खुद की दावेदारी को पेश कर रहे हैं. शुरू से उनका कैंपेन चल रहा है.


इन पर मुकदमा जो हुआ, उसके कुछ दिनों के अंदर ही उनको 7 मिलियन डॉलर का डोनेशन मिला. ये एक उदाहरण है कि किस तरह से रिपब्लिकन वोटर्स के बीच में उनकी लोकप्रियता बढ़ी है. ये प्रकरण ट्रंप को फायदा ही पहुंचा रहा है. जितने भी आपराधिक आरोप लगे हैं, ट्रंप ने उन सब से इंकार किया है. उनके वकील ने भी कहा है कि इन सारे आरोपों का जवाब कोर्ट में दिया जाएगा.


इस पूरे प्रकरण से रिपब्लिकन पार्टी में भी ट्रंप की दावेदारी कमजोर नहीं होगी. कैपिटल हिल में जो रिपब्लिकन सीनेटर बैठे हैं, वो अब डोनाल्ड ट्रंप की ही भाषा बोल रहे हैं. चाहे वो अलास्का के गवर्नर माइक डनलेवी हों या चाहे कोई और रिपब्लिकन. रिपब्लिकन पार्टी के जितने भी नेता है, वो सब भी कह रहे हैं कि रिपब्लिकन वोटर्स की पसंद ट्रंप ही हैं. ट्रंप के सामने दूसरा रिपब्लिकन उम्मीदवार काफी पिछड़ता नज़र आ रहा है.


पॉर्न स्टार को खामोश रहने के लिए एक लाख 30 हजार डॉलर देने का जो इल्जाम है, वो पुराना है. उसके बाद 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में भी ट्रंप पर ये आरोप लगा था कि नतीजों को प्रभावित करने के लिए रूस की एजेंसियों की मदद ली गई. इन सबका उनके वोटर्स पर कोई असर नहीं पड़ा. उनके वोटर्स का ट्रंप पर यकीन बरकरार है. सबसे बड़ा उदाहरण तो ये है कि केस फाइल होने के बाद उनका डोनेशन बढ़ गया. चंद दिनों के भीतर उन्होंने 7 मिलियन डॉलर इकट्ठा कर लिया.


इससे समझा जा सकता है कि रिपब्लिकन पार्टी से उनके मुकाबले एक-दो उम्मीदवार सामने आ रहे थे, वे अब पीछे हो गए हैं. रिपबल्किन पोल्स्टर यानी मतदान सर्वेक्षक और ट्रंप की विरोधी रहीं सारा लोंगवेल का अब कहना है कि रिपब्लिकन वोटर्स सिर्फ ट्रंप की ही बातें सुन रहे हैं. इससे जाहिर है कि रिपब्लिकन पार्टी में दूसरे लोगों की उम्मीदवारी कोई ज्यादा मायने नहीं रख रही है.


जिस तरह से डोनाल्ड ट्रंप की कार्यप्रणाली है और जो बॉडी लैंग्वेज है, वो काफी आक्रामक है. इसकी पूरी संभावना है कि अगर ट्रंप 2024 में राष्ट्रपति चुनाव जीत जाते हैं तो उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि अमेरिका के कई कानूनों में बड़े बदलाव लाएं. ख़ासकर जब एफबीआई ने उनके निजी दफ्तर पर  रेड किया तो कुछ हाइली क्लासिफाइड दस्तावेज मिले. कुछ महीने पहले की ही ये ख़बर है. एफबीआई उन फाइल को ले गई. जब राष्ट्रपति अपने पद से हट जाते हैं, तो वे क्लासिफाइड दस्तावेज लेकर अपने घर या निजी दफ्तर नहीं जा सकते हैं. ये पहले कभी नहीं हुआ था.


ट्रंप की कार्यप्रणाली और मिजाज ऐसा है कि वे हाइली क्लासिफाइड दस्तावेज  को भी लेकर अपने घर चले गए. बिजनेस में  टैक्स की चोरी का भी उन पर आरोप है. चुनाव को प्रभावित करने का इल्जाम है. पॉर्न स्टार को खामोश रहने के लिए पैसे देने का आरोप है. उन पर इतना ज्यादा केस है, तो जाहिर है कि उनकी वकील की टीम पूरी तैयारी के साथ ही कोर्ट जाएगी. इतने मामलों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि भविष्य में कभी न कभी ट्रंप अदालत में मुश्किल का सामना कर सकते हैं. अगर वे राष्ट्रपति चुनाव जीत जाते हैं और उसके बाद अगर उनके ऊपर कोई भी एक आरोप फ्रेम हो जाए, तो ये अमेरिका और उसकी राजनीतिक व्यवस्था के साथ ही ट्रंप के लिए भी दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक होगा. ये आने वाले समय में भी अमेरिका की राजनीति को प्रभावित करेगा.


(ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है)