राजधनी दिल्ली के शाहबाद डेरी थाना इलाके में 16 साल की नाबालिग लड़की साक्षी पर ताबड़तोड़ चाकू से हमले किए गए. उसके बाद पत्थर से कुचलकर विभत्स तरीके से उसकी हत्या कर दी गई. हत्या का ये आरोप साहिल नाम के शख्स पर है. हत्या की ये पूरी वारदात वहां पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई. राष्ट्रीय राजधानी में ये दिल को दहला देने वाली घटना है. इसके लिए पूरी तरह से दिल्ली प्रशासन जिम्मेदार है, जिन्होंने ये वादा किया था कि हर गली-कोने, मोहल्ले में सीसीटीवी कैमरे लगवाएंगे. मार्शल तैनात करेंगे और औरतों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. महिला आयोग ने इस घटना पर कोई संज्ञान लिया भी है या नहीं ये एक बड़ा विषय है.


दिल्ली में लगातार जिस तरह की घटनाएं महिलाओं के साथ हो रही है ये बिल्कुल प्रशासन की चूक है. इन लोगों ने जो वादे किए थे वो बिल्कुल झूठे और खोखले वादे थे. चूंकि आम आदमी पार्टी निर्भया कांड से पैदा हुई ये पार्टी है, जिसने उस वक्त वादा किया था कि हम आएंगे तो महिलाओं की रक्षा करेंगे. इसने वादा किया था कि हम आएंगे तो दोबारा निर्भया कांड जैसी वारदात नहीं होगी. लेकिन इन घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी होती चली जा रही है, बल्कि और गंदे तरीके से होती जा रही है. जो नहीं होना चाहिए था वो सबकुछ हो रहा है.



क्या कर रही स्वाति मालीवाल?


ऐसे में आखिर दिल्ली महिला आयोग की वर्तमान अध्यक्ष स्वाति मालीवाल कर क्या रही है? महिला आयोग महिलाओं की रक्षा के लिए बना है. बच्चियों की रक्षा के लिए. जिस वक्त मैं महिला आयोग की अध्यक्ष थी उस वक्त कई सेंटर्स खोल रखे थे. वहां पर उनकी काउंसलिंग होती थी. महिला पंचायतें चलती थी. अब ये सब काम क्यों नहीं हो रहा है?


 स्वाति मालीवाल 24 घंटे पुलिस को गाली देने के अलावा और वे करेंगी भी क्या. दरअसल, उन्हें पुलिस के साथ ऐसे रिलेशन बनाना चाहिए था ताकि वे और पुलिस दोनों मिलकर काम कर सकें. हर जगह आप पुलिस को कठघरे में खड़ा कर देती हैं. आप किस लिए बैठी हैं आपका अपना फोर्स कहां है? आपका अपना महिला संगठन कहां है? वो क्यों नहीं वहां पर जाकर काम करता है? हर जगह सिर्फ आपकी तरफ से ये बात आती है कि पुलिस को नोटिस कर दिया. जब आप ही सार्वजनिक तौर पर ये कहोगी कि मेरे पिता ने मेरे साथ गलत किया था तो आप समाज को क्या संदेश देना चाह रही हो. 
सिर्फ पुलिस नहीं रोक सकती
जिस तरह के घटना हुई है उसके लिए न सिर्फ अकेले पुलिस रोक सकती है और न ही कोई सरकार रोक सकती है. इसमें हम सारी सोसाइटी के लोगों को मिलकर करना होगा. जो महिला संगठन आयोग है, महिला संगठन है या फिर कोई भी जो इस तरह के कमेटियां बनती हैं वो क्यों बनती है? ताकि आप समाज में एक संगठन बनाकर समाज के अंदर एक उत्थान करें, उसका प्रचार करें. लेकिन, ये काम कोई नहीं करता है. सब कुर्सी पकड़कर बैठ जाते हैं और कमाते रहते हैं.


हमें तो लोगों को समझाना पड़ेगा. पब्लिक में जाना पड़ेगा. उन लोगों के बीच में बैठकर बात करनी पड़ेगी. इस तरह से सिर्फ ये कह देना कि ये उनका दोष है और वो उनका दोष है तो इससे काम नहीं चलेगा. शाहबाद डेरी थाना क्षेत्र की ये घटना काफी घृणित वाकया है. इसको लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाने की बजाय जल्दी से जल्दी हमारी एक मांग है कि उस मुजरिम को पकड़ा जाए, जिसने इतनी हैवानियत भरी घटना को उस छोटी बच्ची के साथ अंजाम दिया है. इसके साथ ही, दोषी शख्स को सख्त से सख्त सजा दी जाए. ये नहीं कि उसे पैरोल पर छोड़ा जाए. इससे तो अपराधियों के हौंसले और ज्यादा बुलंद हो जाते हैं.


महिला आयोग करे अपना काम


महिला आयोग को बजाय दूसरे पर दोष मढ़ने या पुलिस को कठघरे में खड़ा करने के अपना काम करना चाहिए. खुद भी जाकर वहां पर देखना चाहिए और पूछताछ करना चाहिए. जब हम वहां पर जाकर लोगों से पूछताछ करेंगे, मोहल्ले में जाकर बात करेंगे तो असलियत सामने आएगी. पुलिस के साथ ही जो इस तरह की संस्थाएं हैं उन्हें भी वहां पर जाकर करना चाहिए. हम पुलिस के पहुंचने से पहले ही घटनास्थल पर पहुंच जाते थे. पुलिस तो बाद में आती थी. पुलिस को आते ही हम बताते थे कि लो ये केस पकड़े.


पूरी तरह से तो आप किसी का दिमाग नहीं बदल देंगे, लेकिन काफी हद तक ऐसी घटनाओं पर रोक लग सकती है. आरोप-प्रत्यारोप ये सब चीजें बेकार है. ठीक तरह से छानबीन करनी चाहिए. महिला आयोग को ये देखना चाहिए कि वहां पर सीसीटीवी था या नहीं, लाइट थी या नहीं. महिलाओं को एक सबसे अच्छा फायदा ये होता है कि जहां पर पुरूष नहीं जा सकते वहां पर महिलाएं आसानी से जा सकती हैं. ऐसे में महिलाओं को जाकर पता करना चाहिए. इससे घटना की सच्चाई का पता लगाया जाता है. 


 जहां तक दिल्ली सरकार को कोसने की बात है तो वे झूठे वादे करके सत्ता में आए हैं. वे तो खुद ही अपने आपको कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. जो उन्होंने वादे किए उसे वे पूरा करें तो जनता क्यों कोसेगी. दिक्कत ये है कि दिल्ली सरकार पुलिस के साथ कोर्डिनेशन करने की बजाय तलवारें निकाल रखी हैं. दिल्ली महिला आयोग की आज 37 करोड़ की बजट है जबकि हमारे समय में ढाई करोड़ का बजट हुआ करता था.


ये कहते हैं कि दिल्ली पुलिस इनके पास नहीं है. लेकिन पंजाब पुलिस अगर इनके पास है भी तो इन्होंने ऐसा क्या कर लिया है. ऐसे में ये क्या जनता का भला करेंगे. अपने गिरेबां में झांककर देखें कि जब ये आए उस वक्त क्या वादा किया था और अब क्या कर रहे हैं.
[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]