मुझे याद नहीं कि पिछले कुछ सालों में तीन बजे उठकर चार बजे रिपोर्टिंग पर निकल पडे़ हो. मगर जब बात चीते की हो तो सब करना पड़ता है. करें भी क्यों ना देश में 70 साल बाद चीते की वापसी हो रही हो और वो भी हमारे प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में तो कुछ भी करेगा. फिर साथ जब हमारे ज्ञानेंद्र जैसे उत्साही रिपोर्टर का हो तो रिपोर्टिंग का तौर तरीका ही बदल जाता है.


कराहल यानि कि शिवपुरी और श्योपुर के बीच की सड़क पर बसा हुआ छोटा सा कस्बा. यहां के मॉडल स्कूल पर विशाल तंबू तना था. प्रधानमंत्री की उस सभा के लिए जो वो कूनो में चीता छोड़ने के बाद करने वाले थे. सभा के लिए बड़ी तैयारी थी. प्रदेश भर से स्व सहायता समूह की करीब डेढ़ लाख महिलाओं को लाने का लक्ष्य था. आसपास के इलाकों से महिलाओं को लाने के लिये एक दिन पहले से ही सैकड़ों बसों की तैनाती यहां कर दी गई थी. सुबह पौने छह बजे जब हम इस सभा के पंडाल में आए तो गिने चुने सुरक्षाकर्मी ही थे. 


एबीपी न्यूज का इस बात के साथ सुबह छह बजे का बुलेटिन है कि चीतों की वापसी पर हमारे विशेष कवरेज में आपका स्वागत है. कराहल की सभा से लेकर और कूनो के गेट और कूनो पार्क के ठीक अंदर से हमारे रिपोर्टर आपको पल-पल की खबर देंगे. हम सभा की बात करते हैं, ज्ञानेंद्र पार्क के गेट के आसपास की बात बताता है और फिर हमारे दिल्ली से आये विकास भदौरिया स्क्रीन पर दिखते हैं ठीक उस जगह से जहां पर प्रधानमंत्री और चीतों के लाने के लिये हेलीपैड बना था.


विकास अपनी ओबी वैन के साथ पार्क के ठीक अंदर थे और थोड़ी देर बाद ही विकास ने कमान संभाल ली वो अंदर से ही बुलिटेन पढ़ने लगे. बस फिर क्या था मेरा फोन लगातार बजने लगा. ये विकास क्या पार्क के ही अंदर हैं? अरे ये अंदर कैसे पहुंच गये? क्या ये पूरे वक्त अंदर ही रहेंगे? हम अंदर कैसे जा सकते हैं? ये तो कबाड़ा कर दिया आपने. हम लोगों की खिंचाई हो रही है. ये सारे हमारे टीवी वाले मित्र थे जो कवरेज के लिये कूनो पहुंचे थे. मगर पार्क के अंदर ना जा पाने के कारण बेचैन थे. 


दूसरे चैनल के लोग परेशान थे तो हम आनंदित होकर चीता आने की खबरें देने में व्यस्त थे. नामीबिया से उड़कर चीते पहले ग्वालियर के एयरफोर्स के हवाई अड्डे पर उतरे ओर उनको वहां से सेना के हैलीकाप्टर के कूनो में उतारा गया. कोई भी खबर जब उड़ान पर होती है तो उससे जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी और वीडियो चैनल पर दिखता है. मकसद ये होता है कि खबर पर पल-पल बने रहें और क्या नया दर्शकों को दिखाते रहें. इस सब में एबीपी न्यूज की मास्टरी है.


ग्वालियर में महाराजा एयरपोर्ट के बाहर सड़क से लिया चीतों के उस प्लेन का लैंड करता वीडियो भी हमारे देव श्रीमाली जी ने डाला और वो भी चला. इस सब के बीच कूनो पार्क से विकास के बुलेटिन जारी थे. कूनो गेट से ज्ञानेंद्र का ज्ञान और सभा स्थल से मेरा लाइव चल रहा था. हम सबके सामने चुनौती थी कि क्या कुछ नया बतायें. क्या नया रोचक सुनायें. आप टीवी की लाख आलोचना कर लें लाइव में रिपोर्टर की चुनौतियों की कल्पना दूर बैठकर नहीं कर सकते. चीते आए प्रधानमंत्री ने उनकों बाड़े में छोड़ा चीता मित्रों से बात की. इस बीच मैं जिस सभा स्थल पर था वहां पर जैमर लगाने से नेटवर्क चला गया अब मैं क्या करूं ये मेरे सामने मुश्किल थी.


ऐसे में हमने सभा स्थल से निकलना तय किया. कराहल गांव में एक दिन पहले ही हमने आशुकवि गिरिराज पालीवाल से बात कर ली थी जो कूनो चीता और मोदी के आने पर गाने तैयार कर बैठे थे. वो अपनी मोटर साइकिल से सभा स्थल के पास आये और मुझे और कैमरामैन दुर्गेश को बैठाकर बस्ती में घर ले गये बस फिर क्या था यहां पर नेटवर्क मिल रहा था तो उनकी छत पर मंच सज गया और उनके साथियों के साथ गाना बजाना शुरू हो गया. इस बीच में ग्वालियर से मिलने वाली जानकारी भी चैनल पर लाइव बतायी जा रही थी. उधर ज्ञानेंद्र को भी टिकटोली गेट पर भी बीजेपी के उत्साही लोग नाचते गाते मिल गये. हमारा चीता कवरेज जोरों पर था. 


विकास की तोड़ के लिये कुछ चैनल के लोग भी आसपास के जंगल में उतर कर वैसा ही लुक देने की कोशिश कर रहे थे. सुबह छह बजे से शुरू हुआ चीता कवरेज प्रधानमंत्री की सभा के साथ दोपहर दो बजे खत्म हुआ. अब मुश्किल कराहल कस्बे से निकलने की थी. छोटे से कस्बे में यदि लाख लोगों की भीड़ आ जाये तो रास्ता जाम की हालत बनेगी. वहीं हुआ कराहल से कूनो पहुंचने में ही हमें आधे घंटे की जगह दो घंटे लग गये. भूख थकान और नींद के कारण हाल बुरा था तभी फोन आया हमारे वरिष्ठ सहयोगी इंद्रजीत राय का. नेटवर्क की मारामारी में इतना ही सुन पाये. भाई आज आप सबने बहुत अच्छा किया. सबको पछाड़ आगे भी यही जोश कायम रहे. तो कूनो का टेक अवे यही रहा हमने सबको पछाड़ा.


नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.