भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई ने दावा किया है कि उसने नौकरी देने के बहाने लोगों को रूस ले जाने और वहां की सेना की ओर से लड़ने को मजबूर करने वाले एजेंट्स के नेटवर्क का पता लगाया है. इससे एक तरह का राजनीतिक तूफान उठ खड़ा हुआ है और उससे भी अधिक उन नागरिकों की सुरक्षा पर सवाल उठ गए हैं. हालांकि, पहले हमने देखा गया है कि भारत ने यमन हो या यूक्रेन या और कहीं भी इसके नागरिक जो फंसे रहें हैं, लगातार युद्धक्षेत्र में फंसे अपने नागरिकों को सकुशल वापस लौटाया है. लेकिन अभी जरूरत प्री-एम्प्टिव एक्शन लेने की है, यानी जो नागरिक जाने की तैयारी में हैं, उनको रोकने के लिए कुछ व्यवस्था की जा सकती है. आज की दुनिया सोशल मीडिया की है और सीबीआई ने भी कहा है कि ये पूरा एजेंट्स का नेटवर्क था वो सोशल मीडिया के जरिए काम कर रहा था.

  


सरकार को जल्द लेना चाहिए एक्शन


ट्रैवल एजेंट जहां भी पैसा कमाने का मौका मिलता है, वो सभी मोरल वैल्यू को ताख पर रख कर उस काम में लग जाते हैं. रशिया और यूक्रेन के युद्ध में अभी फाइटर्स की जरूरत है जो उनको सहयोग दे या जो खुद जाकर आगे युद्ध करें, उसके लिए उनको काफी आदमी चाहिए. इस युद्ध में लगभग 10 लाख लोग मारे गए हैं. रूस की सेना में जो कमी आयी है, उस खाई को भरने के लिए बाहर से लोगों को संसाधन के तौर पर लाना चाहते हैं और हमारे ट्रैवल एजेंट इंडियंस को बरगला करके वहां पर स्टूडेंट के रूप में या सपोर्ट स्टाफ के रूप में उनको वीजा करा करके वहां भेज रहे हैं. तो, इस पर भारत सरकार को बहुत ही जल्दी एक्शन लेना चाहिए और इसको रोकना चाहिए और जो लोग गए हैं उनको वापस करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए. जब काम हो जाता है तब तो हमने भारतीय विदेश सेवा की कुशलता देखी है कि उन्होंने अपने नागरिकों को वापस लाने में सफलता पाई है.


गलत तरीके से भेजा जा रहा है


उनको रोकने के लिए वीजा के इमिग्रेशन पर चेक प्वाइंट्स हैं, वहां पर यह किया जा सकता है कि अगर आप रूस जा रहे हैं तो किस काम के लिए जा रहे हैं, किस तरह के पेपर है और किस एजेंट के द्वारा जा रहे हैं. इस तरह की व्यवस्था की जा सकती है. उसके अलावा जितने भी ट्रैवल एजेंट्स हैं, उनको भी सख्त चेतावनी दी जा सकती है. उनको एडवाइजरी इश्यू की जा सकती है, लोगों को भी बताया जा सकता है कि गलत वजह बता करके लोगों को रूस भेजा जा रहा है और उसके अगल-बगल के देशों में भेजा जा रहा है, ऐसे में इसको चेक किया जा सकता है. लेकिन सबसे ज्यादा जरूरत है कि वह भारत सरकार इमिग्रेशन कंट्रोल के द्वारा चेक कर पायेगी. लेकिन काफी लोग चले गए हैं उनको कैसे निकाला जाए क्योंकि वो एक जगह पर नहीं हैं. सब जगह फैले हुए हैं और वो रूसी सरकार की एजेंसियों के साथ जुड़े हुए हैं तो ये एक एक मुश्किल काम है जो डिप्लोमेटिक लेवल पर हो सकता है.


एक्सपोज होंगे तो पड़ेगा महंगा


लोगों को यह जरूर बताया जाए जैसे कि गल्फ कंट्रीज में भी होता था. बहुत पहले कि एजेंट उनको रिक्रूट करते थे, उनके पासपोर्ट ले लिए जाते थे, उनको बहुत कम पैसा दिया जाता था, नहीं दिया जाता था. महिलाओं का शारीरिक शोषण भी होता था और लोगों को अमानवीय तरीके से रखा जाता था. भारत सरकार ने दोनों लेवल पर काम किया. यहां के एजेंट्स को काफी सख्ती से नियम पालन करने को कहा और रिक्रूटमेंट प्रोसेस को काफी ट्रांसपेरेंट बनाया है, इमिग्रेशन पर कंट्रोल किया. जो लोग जाना चाहते हैं सही जगह पर उनको ट्रेनिंग का भी अरेजमेंट किया तो लोगों को यह लगे कि अगर जाना है तो ओपन ट्रांसपेरेंट रूप से जाना चाहिए और साथ में जो सरकारें इनको बुलाती थीं उन पर भी प्रेशर बनाया कि आप इस तरह से लोगों को बुलाकर के यहां पर उनको गलत ढंग से उनको ट्रीट मत कीजिए और ये जो चीजें होनी चाहिए बिल्कुल ट्रांसपेरेंट ढंग से होनी चाहिए और इसकी जिम्मेदारी आपकी भी है तो सोशल मीडिया के लेवल पर और एजेंट के लेवल पर और कड़ी से कड़ी सजा देकर उनको बताना चाहिए कि अगर आप इसमें इन्वॉल्व हैं और  एक्सपोज होंगे तो आपको बहुत ही महंगा पड़ेगा.


भारतीय विदेश सेवा ने पहले से ही इस पर काम करना शुरू कर दिया है और उसने बहुत ही कड़े शब्दों में कहा है कि रूसी सरकार को जो भी भारतीय मूल के लोग वहां पर इस तरह से रिक्रूट करके ले गए हैं और काम कर रहे हैं, उनको तुरंत लौटाने की व्यवस्था करनी चाहिए और यह जब तक डिप्लोमेटिक लेवल पर भारतीय जो विदेश नीति के जो नौकरशाह हैं, इसको जब तक नहीं उठाएंगे, तब तक वहां की सरकार जल्दी इस पर कारवाई नहीं करेगी. इसलिए यह जरूरी है कि विदेश विभाग ही इस पर कड़ी रूप से कार्रवाई करे और रशियन गवर्नमेंट पर प्रेशर दे कि सारे जो भारतीय मूल के लोग हैं उनको आईडेंटिफाई करें जो अभी रिसेंटली गए हुए हैं और जहां जहां पर भी हैं उनको वापस करने की पूरी जिम्मेदारी लें और भारत सरकार उसको वहां से वापस लाने के लिए पूरी व्यवस्था कर सकती है.


 



भारत नहीं बैठेगा चुप


यह बात तो माननी होगी, जब से विदेश मंत्री एस जयशंकर बने हैं, तब से विदेश मंत्रालय कुछ अधिक ही रोचक हो गया है. वह एक रॉकस्टार की तरह व्यवहार भी करते हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय कह रहा है कि रूस की सरकार से बात हो रही है और लोगों को वापस लाने का काम किया जा रहा है. प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री दोनों ने ये साबित कर दिया है कि भारतीय मूल के लोग जो बाहर हैं उनके साथ कोई भी दुर्व्यवहार होगा, उनके साथ कोई भी इमरजेंसी आएगी तो भारत चुप नहीं बैठेगा. अपनी शक्ति के अनुसार उनकी पूरी मदद करेगा और ये मैसेज पूरे दुनिया में सारे भारतीयों को पहुँच चुका है और दूसरे देश के लोगों तक भी पहुँच चुका है. भारत सरकार तय करेगी लेकिन अभी तक जो भी वक्तव्य भारत सरकार के सामने आये हैं उसमें साफ-साफ झलकता है कि उन्होंने बहुत ही मजबूत ढंग से इसको रूसी सरकार के साथ लिया है और अगर इसको देरी करने की जरूरत हुई तो वो भी भारत सरकार करेगी.


अभी भी रूस में युद्ध के चलते कोई बहुत ही आंतरिक दबाव सरकार पर नहीं आया है कि युद्ध को खत्म किया जाए. इससे तबाही हो रही है, देश परेशान है और जो यूक्रेन के जो समर्थक राष्ट्र हैं वह यूक्रेन को हारते हुए देखना नहीं चाहते हैं. इसलिए अभी लगता है कि यह शायद कुछ दिन और खिंचे. जब तक कि कोई ऐसी संधि नहीं हो पाती, जिसमें रूस की जो भी चिंताएं है, वह दूर हों. जब तक ऐसा नहीं होगा, रूस इसमें से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है.


[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]