बैंगलोर की टीम अब ‘प्लेऑफ’ की दौड़ से लगभग बाहर है. लगभग इसलिए क्योंकि अभी बैंगलोर को पांच मैच और खेलने हैं. टूर्नामेंट के आखिरी लीग मैच के आते आते नेट रनरेट और कई ऐसे पहलू आ जाते हैं जो कभी कभार टूर्नामेंट का गणित बदल देते हैं. इसमें एक पहलू बारिश भी है. जिसके चलते बैंगलोर की टीम को भी इस सीजन में एक मैच खेलने का मौका नहीं मिला.


ऐसा दूसरी टीमों के साथ भी हो सकता है. ऐसे हालातों को दरकिनार कर दिया जाए तो बैंगलोर की टीम अब इस सीजन के प्लेऑफ की रेस से बाहर है. जाहिर है अब जब हार का पोस्टमार्टम किया जाएगा तो बारीक से बारीक बातों पर गौर होगा. खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर जरूर चर्चा होगी. जिस खिलाड़ी के नाम पर सबसे ज्यादा चर्चा होगी वो हैं क्रिस गेल. बहुत हद तक मुमकिन हैं कि अभी बाकि बचे किसी मैच में गेल की सूनामी आ जाए. वो अपने बल्ले का तूफान दिखा दें. आईपीएल के इतिहास का सबसे तेज शतक ठोंक दें वगैरह वगैरह लेकिन सच ये है कि जब उनकी टीम को उनके बल्ले से ‘कंसिस्टेंसी’ की जरूरत थी तब वो बुरी तरह फ्लॉप रहे.


बैंगलोर की टीम के कप्तान विराट कोहली और धाकड़ बल्लेबाज एबी डीविलियर्स के फिटनेस के फेर में फंसे होने के बाद सबसे ज्यादा जिम्मेदारी क्रिस गेल की ही थी. यूं तो इस सीजन में विराट कोहली और डीविलियर्स भी पूरी तरह अपने रंग में नहीं दिखे लेकिन गेल तो बिल्कुल ही फेल रहे वो जबरदस्त अनुभवी खिलाड़ी हैं. ये अलग बात है कि क्रिस गेल का जलवा पूरे सीजन में अब तक सिर्फ एक मैच में दिखाई दिया.

गुजरात लाएंस के खिलाफ दिखा था गेल का कहर


18 अप्रैल को बैंगलोर का मुकाबला गुजरात लाएंस से था. गुजरात ने टॉस जीतकर बैंगलोर को पहले बल्लेबाजी का न्यौता दिया. क्रिस गेल ने गुजरात के गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दीं. उन्होंने 38 गेंद पर 77 रन बनाए. इसमें 5 चौके और 7 छक्के शामिल थे. उनकी स्ट्राइक रेट 200 से भी ज्यादा की थी. क्रिस गेल की घातक बल्लेबाजी की बदौलत उस मैच में बैंगलोर ने गुजरात को 21 रन से हराया था. इस पारी के दौरान ही क्रिस गेल टी-20 क्रिकेट में दस हजार रन पूरे करने वाले पहले बल्लेबाज भी बने. इस पारी के बाद गेल के बड़े बड़े बयान भी आए थे. ये भी कहा गया था कि यूनिवर्स का ‘बॉस’ अभी जिंदा है.


एक बार चमके बाकि बार लुढ़के


गुजरात लाएंस के खिलाफ उस मैच को छोड़ दिया जाए तो क्रिस गेल पूरी तरह फ्लॉप रहे हैं. इस सीजन में तीन मैच तो ऐसे रहे हैं जब गेल दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाए. दिल्ली डेयरडेविल्स, कोलकाता नाइट राइडर्स और गुजरात लाएंस के खिलाफ दूसरे लीग में क्रिस गेल दहाई के आंकड़े तक पहुंचने से पहले पवेलियन लौट गए.


मुंबई इंडियंस के खिलाफ मैच में उनके बल्ले से 22 रन निकले. सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ भी क्रिस गेल सिर्फ 32 रनों की पारी खेल सके. इस तरह कुल मिलाकर क्रिस गेल ने इस सीजन के अब तक खेले गए 6 मैचों में 152 रन बनाए हैं. उनकी औसत 25.33 की है और स्ट्राइक रेट करीब 124 का. इसमें एक अर्धशतक शामिल है. गेल का ये प्रदर्शन टी-20 लीग में उनके रिकॉर्ड्स और साख के मुकाबले औसत ही कहा जाएगा.

टी-20 फॉर्मेट में रहा है क्रिस गेल का दबदबा


ये वही क्रिस गेल हैं जिन्होंने 2013 में पुणे के खिलाफ 175 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली थी. आईपीएल के इतिहास में सबसे अच्छी औसत के मामले में वो अब भी टॉप 3 खिलाड़ियों में शामिल हैं. सबसे ज्यादा 262 छक्के मारने का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है. उनके बाद सुरेश रैना हैं. जिन्होंने 168 छक्के लगाए हैं यानि गेल से करीब करीब 100 छक्के कम.


सबसे बेहतरीन स्ट्राइक रेट के मामले में भी वो टॉप 10 खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल हैं. किसी एक पारी में चौके और छक्के की मदद से सबसे ज्यादा रन बटोरने का रिकॉर्ड भी क्रिस गेल के नाम ही है. इन आंकड़ों की बदौलत टी-20 में क्रिस गेल का दबदबा समझा जा सकता है. लेकिन उनकी ‘इनकंसिस्टेंसी’ ने इस सीजन में बैंगलोर की टीम को खिताब की रेस से बाहर कर दिया. इसकी एक बड़ी वजह शायद ये है कि तमाम विवादों के चलते क्रिस गेल को वेस्टइंडीज के लिए टेस्ट क्रिकेट खेले करीब 3 साल का और वनडे खेले करीब दो साल का वक्त बीत चुका है.