ये इंडिया का क्रिकेट है. यहां लगातार रन ना बनाने पर क्रिकेट फैंस सचिन तेंडुलकर तक को टीम से बाहर करने की बात करने लगते थे. दो-दो बार विश्व कप जिताने वाले धोनी को अब भी आए दिन आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता है. ऐसे में ऋषभ पंत को लेकर भी अब सवाल उठने लगे हैं. ये सवाल जायज भी हैं. बुद्धवार को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में ऋषभ पंत को इन्हीं सवालों का जवाब देना होगा.


पांच वनडे मैचों की सीरीज में 2-2 की बराबरी पर चल रही भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें बुद्धवार को सीरीज जीतने के इरादे से मैदान में उतरेंगी. ये ऋषभ पंत का घरेलू मैदान है. लिहाजा उनके लिए एक अच्छा मौका है. वरना सिर्फ इस उम्मीद पर उन्हें लगातार मौके नहीं दिए जा सकते हैं कि आने वाले विश्वकप में वो विराट कोहली के लिए ‘ट्रंपकार्ड’ साबित होंगे. ऋषभ पंत के दिमाग में ये बात रहनी चाहिए. उन्हें समझ आना चाहिए कि वो जिस खिलाड़ी की जगह खड़े होते हैं उसके ‘क्रिकेटिंग ब्रेन’ की तारीफ पूरी दुनिया करती है.

इसके अलावा ऋषभ पंत को इस बात की भी समझ रहनी चाहिए कि 2019 विश्व कप के बाद धोनी के संन्यास लेने की सूरत में भी उन्हें ही ‘ऑटोमैटिक च्वाइस’ बनाने की मजबूरी टीम इंडिया की नहीं है. उनके अलावा भी कई अच्छे विकल्प भारत में मौजूद हैं. मोहाली में टीम इंडिया की हार में उनकी खराब कीपिंग भी एक बड़ी वजह रही है. स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ वो बिल्कुल सहज नहीं दिखे. धोनी जिस तरह स्पिन गेंदबाजों को लगातार ‘इनपुट’ देते हैं उसकी तो अभी हम बात ही नहीं कर रहे. अभी तो बात सिर्फ उस चुस्ती फुर्ती की जो धोनी विकेट के पीछे दिखाते हैं और ऋषभ पंत उसमें नाकाम रहे.

ऋषभ पंत अब तक रहे हैं बेअसर.
ऋषभ पंत ने अब तक चार वनडे मैच खेले हैं. वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला था. अगले मैच में वो 13 गेंद पर 17 रन बनाकर आउट हो गए थे. जब वो आउट हुए तब भारतीय पारी में साढ़े 6 ओवर बल्लेबाजी बाकी थी. इसके बाद अगले मैच में ऋषभ पंत ने 18 गेंद पर 24 रन बनाए. वो जब आउट होकर गए तब 19 ओवर फेंके जाने बाकि थे. गुवाहाटी, विशाखापत्तनम और पुणे में खेले गए इन तीनों मैचों में ऋषभ पंत को बतौर बल्लेबाज टीम में जगह दी गई थी. विकेटकीपिंग का जिम्मा धोनी ही संभाल रहे थे. ऐसे में इस तरह की पारियों के बाद ऋषभ पंत फैंस का भरोसा जीतने में नाकाम रहे हैं.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चल रही मौजूदा सीरीज के आखिरी दो मैचों में उन्हें मौका दिया गया. धोनी को आराम दिया गया. लेकिन ऋषभ पंत अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ पाए. मोहाली में भी उन्होंने 24 गेंद पर 36 रन तो बनाए लेकिन अपना विकेट फेंककर चले गए. उनके आउट होने के बाद करीब पांच ओवर का खेल बाकि था. ऋषभ पंत को ये समझना होगा कि उन्हें ‘ट्रंप कार्ड’ क्यों माना जा रहा है. कम से कम इसलिए नहीं कि वो तेज गति से 20-25 रन जोड़कर पवेलियन लौट जाएं. अब तक खेले गए चार वनडे मैचों में ऋषभ पंत के खाते में कुल 77 रन हैं. उनकी औसत करीब 26 रनों की है. स्ट्राइक रेट 140 का जरूर है लेकिन सिर्फ स्ट्राइक रेट के भरोसे टीम में जगह ना तो मिलती है ना ही बचती है.

ऐसे ही चला तो दबाव में आएंगे उनकी वकालत करने वाले
ऋषभ पंत की वकालत करने वालों में कप्तान विराट कोहली भी हैं. इसके अलावा कई दिग्गज पूर्व क्रिकेटर भी 2019 विश्वकप की टीम में ऋषभ पंत को ले जाने की बात कह चुके हैं. हर किसी का ये मानना है कि ऋषभ पंत ‘अटैकिंग’ बल्लेबाज हैं. बड़े शॉट्स लगा सकते हैं. गेंदबाज की साख की बजाए अपनी धुन में खेलते हैं. इसलिए जरूरत पड़ने पर विश्व कप में वो तेज गति से रन बनाकर देंगे. बड़ा सवाल ये है कि- कितने रन? अगर सिर्फ 20-25 रन बनाने हैं तो इससे तो बात नहीं बनती. ऋषभ पंत को अपनी बल्लेबाजी में थोड़ी ‘कंसिसटेंसी’ लानी होगी. उन्हें अति आक्रामकता से बचना होगा.