राष्ट्रपति के चुनाव में विपक्षी दलों के कुछ सांसदों व विधायकों ने क्रॉस वोटिंग (Cross Voting) करके ये साबित कर दिया कि वे पार्टी लाइन से नहीं बंधे हुए हैं. उन्होंने विपक्षी खेमे के अधिकृत उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) की बजाय एनडीए की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को (Draupadi Murmu) वोट देकर अपनी ही पार्टी को बड़ा झटका दिया है. सवाल है कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), शरद पवार (Sharad Pawar) और अखिलेश यादव अपने कुनबे को एकजुट रखने में आखिर नाकाम क्यों रहे?


सोमवार को हुए मतदान के दौरान असम से लेकर गुजरात और ओडिसा से लेकर उत्तर प्रदेश तक कई राज्यों में क्रॉस वोटिंग देखने को मिली है. इसे विपक्षी खेमे की एकता के लिए शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता. गुजरात में एनसीपी के विधायक कंधाल एस. जडेजा ने कहा कि उन्होंने एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट किया है. गुजरात कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने भी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में वोट डाला है. 3 से 4 विधायकों पर क्रॉस वोटिंग करने की आशंका जताई जा रही है.


इसके अलावा झारखंड से एनसीपी विधायक कमलेश सिंह ने भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट डाल दिया. उन्होंने मतदान के बाद कहा कि मैंने अपनी अंतरात्मा के आवाज पर द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट डाला है. यही नहीं, गुजरात में भारतीय ट्राइबल पार्टी के नेता छोटूभाई वसावा ने भी द्रौपदी मुर्मू को ही वोट किया है. उन्होंने कहा कि मैंने ऐसी नेता को वोट दिया है, जिसने गरीबों को आगे बढ़ाने के लिए काम किया है. अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को भी राष्ट्रपति चुनाव में फूट का सामना करना पड़ा है.


एक तरफ अखिलेश यादव के चाचा और प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने खुलेआम द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है तो वहीं सपा के अपने ही विधायक शहजील इस्लाम ने भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया है. बरेली के भोजीपुरा से पार्टी विधायक शहजील इस्लाम बीते कुछ वक्त से पार्टी से नाराज बताए जा रहे थे. जबकि ओडिशा में कांग्रेस विधायक मोहम्मद मोकीम ने दावा किया कि उन्होंने एनडीए से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में मतदान किया है. उन्होंने इसे अपना निजी फैसला बताया. उनका कहना है कि उन्होंने अपने दिल की सुनी है जिसने मुझे धरती के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया और इसी वजह से मुर्मू के समर्थन में वोट किया.


असम के AIUDF विधायक करीम उद्दीन बरभुइया ने दावा किया है कि राज्य में कम से कम 20 कांग्रेस विधायकों ने NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में अपना वोट डाला है. उन्होंने ये भी दावा किया कि ये वही कांग्रेस विधायक हैं जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में भी उनके उम्मीदवार के साथ विश्वासघात किया था. हालांकि कांग्रेस ने क्रॉस वोटिंग के दावे को नकार दिया है. कांग्रेस ने एआईयूडीएफ (AIUDF) के इस आरोप का खंडन किया है कि कांग्रेस के कम से कम 20 विधायकों ने एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया. कांग्रेस विधायकों ने कहा कि AIUDF विश्वसनीय पार्टी नहीं है.


वहीं पंजाब में क्रॉस वोटिंग का उल्टा मामला देखने को मिला. वहां अकाली दल के विधायक मनप्रीत अयाली ने द्रौपदी मुर्मू को वोट नहीं डाला. अयाली ने कहा बीजेपी से गठजोड़ रहते हुए भी पंजाब के कई मसले हल नहीं हुए. बता दें कि, अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल ने मुर्मू को समर्थन दिया था. हरियाणा में भी कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का सामना करना पड़ा है. पार्टी के विधायक कुलदीप बिश्नोई ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोटिंग की है. वोट डालने के बाद उन्होंने कहा कि मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनते हुए मतदान किया है. इससे पहले राज्यसभा चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस की बजाय भाजपा समर्थित कैंडिडेट को वोट दिया था.


नियम के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव में कोई भी पार्टी मतदान के लिए व्हिप नहीं जारी कर सकती. सभी विधायकों और सांसदों को अपनी मर्जी के मुताबिक किसी भी कैंडिडेट को वोट देने का अधिकार होता है. हालांकि परंपरागत तौर पर लोग अपनी पार्टी लाइन के आधार पर ही मतदान करते हैं. ऐसे में क्रॉस वोटिंग किसी भी पार्टी के लिए एक झटके के तौर पर ही देखी जाती है. वैसे राष्ट्रपति चुनाव में यूपी सबसे बड़ा फैक्टर है. सूबे के 403 विधायक हैं और सभी के वोट का मूल्य 208 है, जो देश के किसी भी अन्य राज्य के मुकाबले सबसे ज्यादा है.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)