जोहांसबर्ग टेस्ट मैच के तीसरे दिन का खेल रोक दिया गया. मैच इसलिए रोका गया क्योंकि मेजबान टीम के सलामी बल्लेबाज डीन एल्गर के हेलमेट पर जसप्रीत बुमराह की एक गेंद जोर से जाकर टकराई. मैच जब रोका गया तब वो काफी देर से संघर्ष कर रहे थे. भारतीय तेज गेंदबाजों ने दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों की नाक में दम कर रखा था. यहां तक कि हाशिम अमला जैसे परिपक्व बल्लेबाज को मुश्किल आ रही थी. वो अपने ग्लव्स पर ‘एक्सट्रा टेपिंग’ करके आए थे.


इससे पहले भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 241 रनों का लक्ष्य दिया था. चौथी पारी में बल्लेबाजी कर रही प्रोटिएस टीम 17 रन पर 1 विकेट गंवा चुकी थी. उसे अभी जीत के लिए 224 रनों की और जरूरत है. उसके 9 बल्लेबाज बाकी हैं. मैच के हालात और खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज देखकर लग रहा था कि टीम इंडिया का जोहांसबर्ग में कभी भी टेस्ट मैच में ना हारने का रिकॉर्ड कायम रहने वाला है. तभी अचानक एक गेंद ने मेजबानों को और उनके साथ साथ चौंकाने वाले अंदाज में मैच रेफरी को ये अहसास कराया कि पिच खतरनाक है.


इसी पिच पर कुछ मिनट पहले तक भारतीय टीम के पुछल्ले बल्लेबाज खेल रहे थे और दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाज उनका हर संभव इम्तिहान ले रहे थे. सच्चाई ये है कि जोहांसबर्ग की पिच इतनी भी खराब नहीं थी कि उस पर बेसमय मैच रोक दिया जाए. जिस बात पर कॉमेंट्री कर रहे सुनील गावस्कर ने भी आपत्ति जताई. दरअसल, इस पिच पर मेजबान टीम की ये रणनीति काफी पुरानी रही है. आपको 2006 का एक टेस्ट मैच याद दिलाते हैं और उस टेस्ट मैच में सौरव गांगुली का एक बयान याद दिलाते हैं.



2006 में इसी मैदान में जीता था भारत


दिसंबर 2006 की बात है. राहुल द्रविड़ टीम के कप्तान थे. ग्रेग चैपल टीम के कोच. ये सौरव गांगुली का ‘कमबैक’ दौरा था. इससे पहले हुआ विवाद भारतीय क्रिकेट के इतिहास में दर्ज है. उस टेस्ट मैच में भारत ने 123 रनों से जीत हासिल की थी. श्रीसंत को उस मैच में मैन ऑफ द मैच का खिताब दिया गया था. सौरव गांगुली ने उस टेस्ट मैच की पहली पारी में 51 और दूसरी पारी में 25 रनों का अहम योगदान दिया था. उस वक्त दक्षिण अफ्रीका की टीम में मखाया एंतिनी, डेल स्टेन, आंद्रे नेल, जैक कालिस और शॉन पोलक जैसे खतरनाक गेंदबाज हुआ करते थे. इन स्थितियों का आंकलन आप कर सकते हैं कि भारतीय बल्लेबाजों को वहां कितनी मुश्किल आई होगी.


खैर, मैच के तीसरे दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में सौरव गांगुली आए. वो प्रेस कॉन्फ्रेंस बड़ी ऐतिहासिक थी. उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सौरव गांगुली का दिया एक एक बयान हेडलाइन बना था. उनसे पूछा गया कि इस पिच पर बल्लेबाजी करना कितना कठिन था, दरअसल दादा जब बल्लेबाजी कर रहे थे तो उन्हें कई बार गेंद लगी थी. इस सवाल के जवाब में सौरव गांगुली ने कहा था- इट्स बेटर गेटिंग हर्ट रादर दैन गेटिंग आउट, यानी आउट होने के मुकाबले चोट लगना बेहतर है. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने ये बयान भी दिया था कि अगर अब भी हम ये टेस्ट मैच नहीं जीत पाते हैं तो हमें ड्रेसिंग रूम में नहीं लौटना चाहिए. दरअसल सौरव के पहले बयान में दम है. 2018 के जोहांसबर्ग टेस्ट में भी कुछ नहीं बदला है. यहां भी फॉर्मूला वही है- इट्स बेटर गेटिंग हर्ट रादर दैन गेटिंग आउट. जो मेजबान टीम को रास नहीं आ रहा है.



तस्वीर: (BCCI ट्विटर)

यही मैच भारत में होता तो जमकर होता बवाल 


यही मैच अगर भारत में हो रहा होता तो विदेशी खिलाड़ी बवाल कर चुके होते. पिच की कंडीशंस को लेकर आईसीसी में शिकायत की धमकी मिल चुकी होती. ये भी संभव है कि मैच के सेंटर को ‘बैन’ कर दिया जाता. ‘बैन’ ना भी किया जाता तो ‘बैन’ करने की धमकी तो मिल ही गई होती. आज मैच के चौथे दिन दक्षिण अफ्रीका को इसी बात का फैसला करना है कि वो टेस्ट मैच में हार को स्वीकार करते हैं, जीत के लिए संघर्ष करते हैं या फिर स्वीकार करते हैं कि जीत की भूख में उन्होंने एक खतरनाक पिच तैयार की थी. किसी भी सूरत में जीत भारत की ही है.



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