दरअसल ये चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत है. सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट. यानी जो हालात और परिस्थितियों के अनुकूल अपने आप को ढाल लेना वो लंबी रेस का घोड़ा बनेगा. क्रिकेट के खेल में भी यही बात लागू हो रही है. भारतीय टीम को 14 जून से बंगलुरू में अफगानिस्तान के खिलाफ एक टेस्ट मैच खेलना है.


अफगानिस्तान की तरफ से इस टेस्ट मैच में इस वक्त दुनिया के सबसे खतरनाक स्पिनर कहे जा रहे राशिद खान उतरेंगे. अपने स्पिनरों के लिए परंपरागत तौर पर घातक टीम मानी जाने वाली टीम इंडिया में भी आर अश्विन, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव शामिल हैं. इन तीनों में से दो स्पिनर को प्लेइंग 11 में मौका मिलेगा. ज्यादा चांसेस इसी बात के हैं कि आर अश्विन और कुलदीप यादव इस मैच में मैदान में उतरेंगे.

आर अश्विन के लिए ये मैच किसी तलवार की धार की तरह है. ऐसा इसलिए क्योंकि आर अश्विन और रवींद्र जडेजा के विकल्प के तौर पर हाल के दिनों में कई अच्छे स्पिनर टीम इंडिया में शामिल किए गए हैं. अभी तक ज्यादातर नए स्पिनरों को टेस्ट की बजाए वनडे क्रिकेट में मौका मिला है लेकिन जरा सा खराब प्रदर्शन अश्विन और जडेजा की इस फॉर्मेट से भी छुट्टी करा सकता है. आप चाहें ना चाहें लेकिन भारतीय मैदान पर मुकाबला होने के बाद भी एक बड़ा सत्य यही है कि इस टेस्ट मैच में सभी की निगाहें राशिद खान पर होंगी. ऐसे में फिरकी के भारतीय फनकारों को भी अपनी छाप छोड़नी होगी.

आर अश्विन को दिखाना होगा कमाल
आर अश्विन का करीब सात साल पुराना टेस्ट करियर अब निर्णायक मोड़ पर है. ऐसा नहीं है कि उन्हें विकेट नहीं मिल रहे हैं लेकिन जिस रफ्तार से उन्होंने कामयाबी बटोरी थी उस रफ्तार में कमी आई है. एक वक्त था जब वो बतौर स्पिनर प्लेइंग 11 की ‘आटोमैटिक च्वाइस’ होते थे. अब ऐसा नहीं है. वनडे टीम से वो लगातार बाहर हैं. रंगीन कपड़ों में मैदान में उतरे उन्हें करीब एक साल का वक्त बीत चुका है.

वनडे में विराट कोहली को यजुवेंद्र चहल, कुलदीप यादव जैसे स्पिनरों पर ज्यादा भरोसा है. टेस्ट क्रिकेट की बात करें तो दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर उन्हें 2 टेस्ट मैच में प्लेइंग 11 में उतरने का मौका मिला था. जिसमें उन्होंने 7 विकेट लिए थे. उस सीरीज में स्पिन गेंदबाजों के मुकाबले भारत के तेज गेंदबाजों ने बेहतर प्रदर्शन किया था. मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह ने बेहतर गेंदबाजी की थी.

57 टेस्ट मैच में 311 विकेट बताते हैं कि आर अश्विन ने किस तेजी से टेस्ट क्रिकेट में कामयाबी हासिल की है. हाल ही में उन्होंने आईपीएल के दौरान अपनी गेंदबाजी में कुछ बदलाव भी किए हैं. उन्होंने कुछ ओवरों में लेग स्पिन भी की थी. अश्विन मूल रूप से ऑफ स्पिन गेंदबाज हैं. ऐसे में इस तरह के बदलाव इस तरफ इशारा कर रहे हैं कि अश्विन कामयाबी के लिए किसी भी तरह के प्रयोग को करने के लिए तैयार हैं.

अब अफगानिस्तान के खिलाफ इकलौते टेस्ट मैच में उन्हें इन्हीं प्रयोगों के सहारे कुछ कारनामा करके दिखाना होगा. रवींद्र जडेजा के तो प्लेइंग 11 में खेलने की उम्मीद कम ही है. फिर भी आपको बता दें कि जडेजा हाल के दिनों में संघर्ष करते दिखे हैं. वनडे टीम से तो वो लगातार बाहर ही हैं. उन्होंने पिछला वनडे मैच जुलाई 2017 में यानी एक साल पहले खेला था. टेस्ट मैच में भी जडेजा को मैदान में उतरे काफी समय बीत चुका है. दक्षिण अफ्रीका टेस्ट सीरीज में उन्हें मौका नहीं मिला था.

क्या घुमावदार विकेट से परहेज कर रही है टीम इंडिया
ऐसी भी चर्चा है कि भारतीय टीम मैनेजमेंट ऐसे विकेट से परहेज कर रही है जो शुरू से ही घुमावदार हो. भारतीय टीम कई बार विदेशी स्पिन गेंदबाजों के आगे अपनी ही पिचों पर गच्चा खा चुकी है. आईपीएल में राशिद खान ने जिस तरह बड़े बड़े बल्लेबाजों को परेशान किया है उसकी यादें हर किसी के जेहन में ताजा हैं. लिहाजा टीम मैनेजमेंट चाहता है कि स्पिन गेंदबाज जो भी कमाल करें वो उनकी ऊंगली या कलाई का हो, पिच से उन्हें बहुत ज्यादा सपोर्ट ना मिले. भारतीय टीम मैनेजमेंट की ये सोच भी आर अश्विन को बैकफुट पर ही रखेगी.