रविवार को कोलकाता नाइट राइडर्स ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को हरा दिया. कोलकाता नाइट राइडर्स के सामने 177 रनों का लक्ष्य था जो उसने 7 गेंद रहते ही हासिल कर लिया. सुनील नारायण को प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब मिला. उन्होंने 19 गेंद पर 50 रनों की धुआंधार पारी खेली और मैककुलम का कीमती विकेट झटका. नारायण की बल्लेबाजी में 4 चौके और 5 छक्के शामिल थे.


कोलकाता को मिली इस जीत से एक बात साफ हो गया कि आईपीएल के पहले दो हफ्ते हर किसी को एक नए किस्म का तजुर्बा होने वाला है. ये नया अनुभव है- आइडिया की नकल का. इस बात को उदाहरण के साथ समझने से पहले ये जानना होगा कि हर टीम में कुछ की-प्लेयर्स होते हैं. की-प्लेयर्स यानी टीम के मुख्य खिलाड़ी. जो टीम मीटिंग से लेकर हर जरूरी बातचीत का हिस्सा होते हैं. चूंकि 20 ओवर का खेल इतनी जल्दी जल्दी बदलता है कि हर कप्तान को प्लान ‘ए’ ‘बी’ और ‘सी’ तैयार रखना पड़ता है.

टीम के की-प्लेयर्स इस तरह के सभी प्लान का हिस्सा होते हैं. अब जरा सोचिए कि अगर एक की-प्लेयर लंबे समय तक एक टीम के साथ खेला हो तो उसे उस टीम की हर एक सोच का पता होता है. वही की-प्लेयर अगर किसी और टीम में चला जाए तो समीकरण बदल जाते हैं. ऐसा भी मुमकिन है कि किसी खिलाड़ी के रोल को लेकर उसके कप्तान ने कोई खास प्लान बनाया है और वो प्लान हिट हो गया. बाद में उस कप्तान की जगह कोई दूसरा कप्तान भी टीम को संभाले तो उसे मदद मिलती है.

गंभीर की प्लानिंग का फायदा मिला दिनेश कार्तिक को
अब इस बात को उदाहरण के साथ ऐसे समझिए कि सुनील नारायण को आईपीएल में बतौर सलामी बल्लेबाज खिलाने का आइडिया गौतम गंभीर का था. गौतम गंभीर टीम के कप्तान हुआ करते थे और उन्होंने नारायण को ये जिम्मेदारी सौंपी. नारायण शानदार गेंदबाजी के बाद बल्लेबाजी में पॉवर प्ले के दौरान कुछ बड़े शॉट्स खेलते थे और उनके रन टीम के काम आते थे.

अब गंभीर टीम के कप्तान नहीं हैं लेकिन उनका ये आइडिया दिनेश कार्तिक के काम आ गया. दिनेश कार्तिक ने पिछले कई सीजन में सुनील नारायण को ये जिम्मेदारी उठाते देखा है, उन्हें सुनील नारायण के रोल को लेकर अपना दिमाग लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ी. इसी आइडिया की बदौलत कोलकाता को बैंगलोर के खिलाफ जीत मिली.

ये स्थिति तब और दिलचस्प होगी जब कोलकाता और दिल्ली की टीमें आमने सामने होंगी और सुनील नारायण ओपनिंग करने उतरेंगे. तब गौतम गंभीर को उनके खिलाफ रणनीति बनानी होगी. कुछ ऐसी ही स्थिति होगी जब लंबे समय तक चेन्नई के की-प्लेयर रहे आर अश्विन किंग्स इलेवन पंजाब के साथ चेन्नई के खिलाफ उतरेंगे. एक वक्त था जब धोनी ने अश्विन से गेंदबाजी की शुरूआत कराने का प्रयोग किया था. अब अश्विन उसी प्रयोग को दोहरा कर चेन्नई को ही परेशान कर सकते हैं.

हरभजन सिंह भी ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं, उन्होंने दस साल तक मुंबई इंडियंस का डगआउट देखा है. मुंबई की टीम कब-कब, क्या-क्या सोच सकती है हरभजन सिंह से छुपा नहीं है.

क्रिकेट फैंस के लिए मजेदार होगा तजुर्बा
दरअसल, कल तक जो नीली जर्सी में था आज पीली जर्सी में है. जो लाल ड्रेस में थे आज किसी और रंग में हैं. कल तक जो मैदान में दुश्मन थे आज दोस्त हैं. इसमें कुछ चौंकाने वाला इसलिए भी नहीं है क्योंकि ऐसा आईपीएल में शुरू से होता आ रहा है. बस इस बार का बड़ा फर्क ये है कि कई टीमों के कप्तान तक बदल गए. इन परिस्थितियों में मैदान में जो उलट फेर होंगे उसका मजा क्रिकेट फैंस को आने वाला है.

यानी असली खेल खिलाड़ियों की अदला बदली का नहीं है, असली खेल बड़े खिलाड़ियों की अदला बदली का है. जो आईपीएल में अपने एक खास रोल के लिए जाने जाते हैं. मुसीबत बस इतनी है कि वो रोल बनाया और चमकाया किसी और कप्तान ने था. इस सीजन में उसका फायदा किसी दूसरे कप्तान को मिलेगा.