योगी सरकार के मंत्री हों या फिर यूपी में बीजेपी के नेता, दलितों को अपना बनाने के चक्कर में हीरो बनने की होड़ मची है. बीजेपी नेता दलितों के यहां खाना खाने की रेस में लगे हुए हैं. दलितों के यहां खाना खा कर कोई खुद को भगवान राम बन कर दलित शबरी को धन्य करने की बात कर रहा है तो किसी ने दलित के घर होटल से खाना मंगा कर खाया. बीजेपी के एक बड़े एमपी और कुछ एमएलए सूट बूट पहन कर दलित के घर उतरे, जूते मोज़े पहने ही चारपाई पर सोते रहने की मुद्रा में वीडियो बनवाया और फिर चलते बने. एक मंत्री जी ने दलित के घर के बाहर हैंडपंप पर नहा कर ऐसे फोटो खिंचवाई, मानो गंगा स्नान कर निकले हों. गंगा को साफ करने वाले विभाग की मंत्री रहीं बीजेपी नेता ने दलित के घर भोजन करने से मना कर दिया. उनका कहना है कि जब दलित उनके घर आ कर खाना खाएंगे तब वो पवित्र होंगी.


रूठे दलितों को कैसे मनाया जाए, दुलारा जाए, पुचकारा जाए. भारत बंद के बाद से ही दलितों ने बीजेपी के लिए अपने मन के दरवाजे बंद कर लिए थे. सवाल लाखों-करोड़ों वोट का था. अब भला बीजेपी इनसे दूर कैसे रह सकती थी. बीजेपी के बड़े-बड़े नेता दिल्ली में बैठे. चर्चा हुई और परिचर्चा भी, संवाद और मंथन भी. देश भर में बीजेपी का परचम फहराने वाले दिग्गजों को फार्मूला मिल ही गया. फिर वहीं से फरमान जारी हुआ कि 14 अप्रैल से 5 मई तक ग्राम स्वराज अभियान चलेगा. सीएम से लेकर पार्टी के हर छोटे बड़े नेता गांव वालों के संग चौपाल लगाएंगे. दलित के घर भोजन करेंगे. रात उसी गांव में रहेंगे. क्या करना है और क्या नहीं करना है, सब समझाया गया.


योगी आदित्यनाथ ने इसकी शुरूआत की. उन्होंने पहले प्रतापगढ़ के एक दलित घर में भोजन किया. दो दिन बाद पश्चिमी यूपी के अमरोहा में दलित के घर दाल रोटी खाई. उनके एक ओएसडी यही के रहने वाले हैं. योगी के दलित भोज में कुल मिला कर सब ठीक ठाक रहा. कोई बड़ा विवाद भी नहीं हुआ. योगी बोले, "दलितों के घर आना जाना और उनके संग खाना तो हमारी सालों पुरानी परम्परा है."



लेकिन योगी के मंत्री अपने अपने स्टाईल में दलितों के घर गए. भोजन किया और खुद ही अपना महिमा मंडन भी किया. राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ़ मोती सिंह कैबिनेट मंत्री हैं. वे खुद को मर्यादा पुरुषोत्तम राम समझते हैं. वे झांसी के प्रभारी मंत्री हैं. दलित के घर भोजन करने के बाद उन्हें ज्ञान आया कि भगवान राम ने शबरी के घर जूठा खाकर उसे धन्य कर दिया था. तो फिर उनके भोजन कर लेने भर से दलित धन्य हो गया.


सुरेश राणा यूपी के गन्ना मंत्री है. वे अलीगढ के प्रभारी मंत्री हैं. दलित रजनीश के घर उनके भोजन का कार्यक्रम था. मंत्री के पहुंचने से पहले ही वहां होटल का खाना पहुंच चुका था. इस तरह उन्होंने दलित के घर होटल का खाना खाया.



चिकित्सा शिक्षा मंत्री गोपाल टंडन ने दलित के घर पेट भर खाया, रात वहीं रुके. सवेरे हैंडपंप पर नहाते हुए फोटो खिंचवाई और फिर इसे ट्वीट भी कर दिया. कासगंज में बीजेपी के सांसद राजवीर सिंह भी दलितों के घर गए. दलित के यहां भोजन के बाद चारपाई पर लेट कर उन्होंने तस्वीरें खिंचवाई और फिर चलते बने. झांसी से सांसद उमा भारती अपने इलाके में पहुंची तो पत्रकारों ने पूछा, "आप दलितों के घर खाना खाने जाएंगी." पहले तो वे मुस्कुराईं, फिर बोलीं जब दलित घर आ कर साथ बैठ कर भोजन करेंगे तब हम पवित्र हो पाएंगे."