हमारे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में भी पाकितान की तर्ज पर ही सियासी उठापटक मची हुई है. पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया की अगुवाई वाली मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी BNP संसद को भंग करके फिर से चुनाव कराने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही है, लेकिन खुद बेगम जिया और उनके बेटे तारिक रहमान भ्रष्टाचार के आरोपों के कई मुकदमे झेल रहे हैं और उनमें से कुछ में वे दोषी भी पाए गए है, लिहाज़ा वे चुनाव नहीं लड़ सकते. इसलिये बड़ा सवाल ये है कि बेगम जिया के बाद BNP का आखिर क्या भविष्य है?


दरअसल, साल 2001से 2006 तक बेगम जिया की हुकूमत थी और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उस दौरान बांग्लादेश भ्रष्टाचार के मामले में दुनिया का चैंपियन बन गया था. इसकी बड़ी वजह थी कि बेगम जिया के दोनों बेटों ने हर सरकारी ठेका देने में जमकर भ्रष्टाचार किया और सरकारी खजाने को खाली करने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी. यहां तक कि बच्चों के अनाथालय के लिए विदेशों से आए करोड़ों डॉलर का भी गबन कर लिया गया. भ्रष्टाचार के एक मामले में ढाका हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2018 में खालिदा जिया को 10 साल की सजा सुनाई थी. जबकि उसी महीने जिया चैरिटेबल ट्रस्ट के भ्रष्टाचार से जुड़े एक अन्य मामले में उन्हें 7 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी. वे ख़ुद और बेटा तारिक करीब दर्जन भर अन्य मामलों में भी मुख्य आरोपी हैं.


बता दें कि तारिक पार्टी के कार्यवाहक उपाध्यक्ष हैं और वे लंदन में रहकर ही पार्टी चला रहे हैं. बांग्लादेश के राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कानून के मुताबिक चूंकि मां-बेटे, दोनों ही चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिये उन्होंने BNP को चुनावी अखाड़े में उतारने की तैयारी करने की बजाय उसे सड़कों पर उतारकर हिंसक प्रदर्शन करने का रास्ता अपनाया है, ताकि पहले चुनी हुई सरकार को हटाया जाए.राजनीति के मशहूर शोधार्थी अजय दास गुप्ता के मुताबिक उनका गेम-प्लान बिल्कुल साफ है. वे अपनी ताकत दिखाते हुए शेख हसीना सरकार को गिराकर न्यायपालिका को प्रभावित करना चाहते हैं, ताकि वह उनके खिलाफ दिए गए सारे फैसले वापस ले लें. यही वजह है कि बीते महीने 9 दिसंबर को खालिदा जिया की बांग्लादेश नैशनल‍िस्‍ट पार्टी ने लाखों लोगों की भीड़ जुटाकर प्रधानमंत्री शेख हसीना की कुर्सी को कई साल के बाद हिलाकर रख दिया था. राजधानी ढाका में हुए इस जोरदार प्रदर्शन में संसद को भंग करके फिर से चुनाव कराने की मांग के साथ ही अवामी लीग नेता प्रधानमंत्री शेख हसीना से इस्‍तीफा देने की मांग भी की.


बांग्‍लादेश मे पैदा हुए इस तनावपूर्ण हालात के बीच कूटनीतिक विशेषज्ञों ने भारत को अलर्ट रहने की सलाह भी दी है. गौरतलब है कि शेख हसीना को करीब 13 साल बाद विपक्ष की ऐसी ताकत से मुकाबला करना पड़ रहा है. खालिदा जिया ने यह विशाल प्रदर्शन ऐसे समय पर किया है जब बांग्‍लादेश की अर्थव्‍यवस्‍था के हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से तेल की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. यही नहीं रोजमर्रा के जीवन में इस्‍तेमाल होने वाले सामानों की कीमतें भी काफी बढ़ गई हैं. यही वजह है कि बीएनपी के विरोध प्रदर्शन में देशभर से प्रदर्शनकारी पहुंचे थे. जानकारों के मुताबिक साल 2009 के बाद पहली बार शेख हसीना को बैकफुट पर आते हुए देखा गया है. वह इसलिये कि खालिदा ज़िया ने महंगाई और चुनाव-धांधली को बड़ा मुद्दा बनाते हुए शेख हसीना पर सीधा हमला बोला है. हालांकि उनका असली मकसद तो अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने का दबाव ही है. यही वजह है कि विशेषज्ञ यह मांग कर रहे हैं कि क्षेत्रीय शक्तियां खासकर भारत पर्दे के पीछे से कोई हस्‍तक्षेप करे.


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