देश में चर्चा चल रही है कि अखिलेश यादव और कांग्रेस क्यों हार गई है, यही व्याख्या चल रही है कि परिवारवाद की राजनीति की वजह से हार गई, भ्रष्टाचार और पुरानी करतूत की वजह से हार गई है. अगर ऐसा होता तो नवीन पटनायक लंबे शासनकाल तक राज नहीं करते, तमिलनाडु में स्टालिन और आंध्रप्रदेश में जगन मोहन की सरकार नहीं बनती. दरअसल देश की राजनीति का दशा और दिशा बदल गई है, आकांक्षी वर्ग और मध्यमवर्ग भ्रष्टाचार फ्री सरकार देखऩा चाहती है,सामाजिक उत्थान के बारे में सोचती है, देश की सुरक्षा और राष्ट्रीयता की बात सोचती है.


2014 के बाद देश की राजनीति बदल गई है,भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी कांग्रेस की वजह से नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल का उत्थान हुआ. मोदी के नेतृत्व में बीजेपी केंद्र में दो बार चुनाव जीती है वहीं 17 राज्यों में बीजेपी की सरकार बनी हुई है. यही कहा जा रहा है कि देश में मोदी का कोई विकल्प नहीं है. वहीं केजरीवाल दिल्ली में जीत के बाद पंजाब में शानदार जीत की है. ऐसा क्यों हुआ?


क्या है मोदी और केजरीवाल की जीत के राज


नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल जनता की हित और जनता के उत्थान की बात करते हैं इसीलिए दिनों दिन बीजेपी और आम आदमी पार्टी देश में फैलती जा रही है. पहली बात है कि दोनों नेता पर परिवारवाद के जाल का साया नहीं है इसीलिए दोनों पर भाई-भतीजावाद के आरोप नहीं लगते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्र की राजनीति में मोदी की एंट्री हुई और भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन से अरविंद केजरीवाल का उत्थान हुआ है.


उस दौरान देश की जो परिस्थिति भ्रष्टाचार की वजह से बनी थी, इससे लोगों में जबरदस्त गुस्सा था, यही वजह रही कि देश की जनता देश चलाने के लिए जिम्मेदारी मोदी को दी तो दिल्ली चलाने की जिम्मेदारी अरविंद केजरीवाल को मिली लेकिन दोनों नेताओं पर अभी तक भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं है.


दोनों ही नेता दबे कुचले लोगों के उत्थान की करते हैं बात


तीसरी बात है कि केंद्र में मोदी निर्णायक नेता हैं तो वहीं राज्य में अरविंद केजरीवाल निर्णायक नेता है, देश की जनता निर्णायक नेता को पसंद करते हैं वहीं चौथी बात ये है कि दोनों नेताओं सामाजिक सरोकार और समाज में दबे कुचले के उत्थान की बात करते हैं. अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में मुफ्त पानी,बिजली दे रहे हैं तो वहीं शिक्षा के स्तर को मजबूत किया है और विकास की बात करते हैं.


वहीं मोदी देश में सामाजिक कल्याण के लिए कई योजना लागू किये हैं जिसमें घऱ, मुफ्त राशन, शौचालय, सिलेंडर, किसानों को सालाना पैकेज, स्वास्थय योजना इत्यादि और विकास की बात करते हैं. पांचवी बात ये है कि बीजेपी सोशल इंजीनियरिंग करते हैं तो अरविंद केजरीवाल भी अपनी पार्टी के लिए नया वर्ग बना रहे हैं. गलती होने पर मोदी अपने कदम पीछे खींच लेते हैं जैसा कि किसान बिल में हुआ तो वहीं अरविंद केजरीवाल ने कई मौके पर माफी मांगी चुके हैं, चाहे अरुण जेटली, नितिन गड़करी और विक्रम मजीठिया पर की गई टिप्पणी या आरोप का मामला हो.


बीजेपी का कोर हिंदुत्व का रहा है मुद्दा


छठी बात है कि बीजेपी का कोर मुद्दा हिंदुत्व का रहा है लेकिन अरविंद केजरीवाल इस मुद्दे में नहीं फंसते हैं हालांकि हाल के दिन में हिंदुत्व की तरफ उनका झुकाव बढ़ा है और अयोध्या समेत धार्मिक यात्रा की योजना शुरू की है है. सातवीं बात है बीजेपी देश की सुरक्षा और राष्ट्रीयता की बात करती है अब अरविंद केजरीवाल देशभक्ति की बात कर रहे हैं.


अब देखने की बात है कि जब लोकसभा चुनाव की बात होती है तो मोदी के सामने अरविंद केजरीवाल नहीं टिकते हैं. दिल्ली में दो बार विधानसभा के चुनाव हुए जिसमें अरविंद केजरीवाल की जीत हुई और दो बार लोकसभा के चुनाव हुए दोनों बार बीजेपी जीती वहीं दिल्ली के एमसीडी चुनाव में बीजेपी का कब्जा है, ध्यान देने की बात है एक ही राज्य, एक ही वोटर और एक ही संग्राम क्षेत्र लेकिन वोटर लोकसभा में बीजेपी के साथ जुड़ जाते हैं वहीं विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के समर्थऩ में उतर जाते हैं.


कांग्रेस को हराकर हासिल की सत्ता


अरविंद केजरीवाल दिल्ली में कांग्रेस को हराकर सत्ता हासिल की है जबकि पंजाब में भी कांग्रेस को हराकर ही सत्ता में आई है लेकिन अभी तक अरविंद केजरीवाल सत्तासीन बीजेपी को ना हरा पाए हैं और ना ही सीधी टक्कर में आए हैं, दिल्ली में दोबारा जीत हुई है वो एंटी इनकम्बेंसी को बढ़ने नहीं दिया है. आठवीं बात ये है कि मोदी और अरविंद केजरीवाल के पास नई सोच है. यही वजह है कि बीजेपी ने चार राज्यों में परचम फहराया और वहीं अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के एक और किला को ध्वस्त कर दिया. है.


धर्मेन्द्र कुमार सिंह राजनीतिक और चुनाव विश्लेषक हैं.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)