मैंने स्टार न्यूज़ चैनल में अपने करियर की शुरुआत एक बड़े सिलेब्रिटी चैट शो से की. इसमें हमने अमिताभ बच्चन से लेकर सलमान खान जैसे क़रीब सौ स्टार्स के साथ इंटर्व्यू किए. ये शो क़रीब तीन साल तक चला. इस एंटरटेनमेंट शो के बाद मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरा अगला शो एक क्राइम शो होगा. मुझे याद है जब मेरी सीनियर ने मुझे बुलाकर पूछा था कि क्राइम एंकरिंग कर पाओगी? डर तो नहीं लगेगा? क्राइम लोकेशंस पर जाना होगा वहां से रिपोर्टिंग भी करनी होगी, कर लोगी न?
सच कहूं तो मन में डर था. लेकिन काम करने की इच्छा भी थी. कुछ नया करना चाहती थी. अपने लिए एक नई पहचान बनाना चाहती थी. मैंने इसे एक नई चुनौती की तरह लिया और हां कर दी. कुछ दिन बाद शो लॉन्च हुआ सच्ची घाटना, शुरुआत में ये शो क्राइम अगेंस्ट वीमेन पर आधारित था. यही वजह थी कि चैनल को एक फीमेल एंकर की तलाश थी. लेकिन धीरे-धीरे शो का दायरा बढ़ गया. 


यह पहली बार था जब मैं इस तरह के शो का हिस्सा थी. यह मेरे लिए एक नई शैली थी. सच्ची घटना का एंकर और चेहरा बनना बहुत चुनौतीपूर्ण था. जब मैंने एंकरिंग करना शुरू किया, तब मुझे अहसास हुआ कि हमारे देश में कितनी बड़ी संख्या में अपराध हो रहे हैं. आप आमतौर पर अपराध की घटनाओं पर ध्यान नहीं देते हैं. जब तक आप व्यक्तिगत रूप से प्रभावित नहीं होते. जब मैंने क्राइम एंकरिंग शुरू की तब मैंने पीड़ितों का दर्द जाना और महसूस भी किया. 


लेकिन जैसे-जैसे यह शो मेरे जीवन का हिस्सा बनता गया तो यह मेरे लिए रोजमर्रा की बात हो गई सुनती थी फर्क पड़ता था. लेकिन मैं आदि हो गई दर्द और काम के बीच जो लाइन थी वो धुंधली होती चली गई.   


जब मैंने शो शुरू नहीं किया था तब मैं सोचती थी कि कैसे पुलिस वाले पीड़ितों से सवाल पूछते हैं और जांच करते हैं. वो इतने निर्दयी और कठोर कैसे हो सकते हैं कि वो पीड़ितों और उनके परिवारवालों से बिना किसी संवेदना के सवाल पूछ सकते हैं. लेकिन शो के साथ साथ मैंने भी जाना कि कैसे क्राइम भी हमारे समाज का हिस्सा है और इसका सामना कभी-कभी दिल को मजबूत करके करना पड़ता है.  


इससे मेरा नजरिया पूरी तरह बदल गया. इसके बाद जब भी मैं किसी पुलिसवाले का इंटरव्यू करती थी तो मैं उनकी स्थिति समझ पाती थी. मेरी तरह ही यह उनकी भी नौकरी ही थी. क्राइम शो की हमेशा से ऑडियंस रही है लेकिन हर एक घटना को बहुत ही ध्यान से लिखना और प्रेजेंट करना पड़ता है. मुझे लगता है की क्राइम की खबरें पढ़ते वक्त आप पर इतना असर नहीं पड़ता जितना की उन्हें देखते वक्त, यही वजह है कि हम पीड़ितों के दर्द से भलीभांति वाकिफ हो जाते हैं. 


क्राइम एंकरिंग करने के बाद मुझे लोगों ने और गंभीरता से लेना शुरू किया. उन्हें यह महसूस हुआ कि मैं बस एक खूबसूरत एंटरटेनमेंट एंकर ही नहीं बल्कि क्राइम शो एंकरिंग भी बखूबी कर सकती हूं.


[ये आर्टिकल पूरी तरह से निजी राय पर लिखा गया है.]