वास्तविकता ये है कि पिछले 30 वर्ष में ख़ालिस्तानियों का दमन हो चुका था. पंजाब पुलिस ने सेना और केंद्रीय सुरक्षा बलों की मदद से वहां पर आतंकवाद को खत्म कर दिया था. जो खालिस्तान समर्थक बचे-खुचे थे, उन लोगों ने पाकिस्तान में शरण ले ली थी. तब से पाकिस्तान इनको पाल-पोष रहा है और इनकी मदद कर  रहा है.


कश्मीर में भी जब कोई गड़बड़ करने की बात होती है तो पाकिस्तान इनकी वहां भी मदद करता है. ये जो पिछले 30 सालों से धीरे-धीरे चिंगारी को हवा दे रहे हैं तो मेरे नजरिए से इसका कुछ दुष्परिणाम अब दिख रहा है.


चूंकि अमृतपाल सिंह धीरे-धीरे जरनैल सिंह भिंडरांवाले 2.0 के रूप में उभर रहा है. तभी उसने थाने पर आक्रमण किया और पुलिस को मजबूर किया कि उसका जो साथी तूफान सिंह है, उसको छोड़ दिया जाए. इसका परिणाम ये हुआ कि सरकार के दबाव पर पुलिस झुक गई और तूफान सिंह को छोड़ दिया गया. इसके बाद वो हथियार लेकर गोल्डन टेंपल पर गया. जाहिर है कि इस आदमी का बहुत तेजी से उभार हो रहा है. अभी कुछ ही साल से पहले ये दुबई से आया है. वहां पर वो एक ट्रांसपोर्टर था. इसका कद एकदम से बढ़ गया है.


ऐसा समझा जाता है कि आईएसआई इसको प्रोजेक्ट कर रही है, ताकि पंजाब में एक नया भिंडरांवाले फिर से खड़ा हो जाए. पंजाब में फिर से आग लग जाए और वहां आतंकवाद एक उग्र रूप में भारत सरकार के लिए एक चुनौती के रूप में सामने आ जाए. पाकिस्तान आईएसआई या जो खालिस्तान समर्थक हैं वे इंग्लैंड, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में जहां कहीं भी हैं इनको ये लोग पैसे से समर्थन दे रहे हैं. बाहर भारतीय दूतावास के सामने समय-समय पर उग्र प्रदर्शन होता है. ऑस्ट्रेलिया में कई मंदिरों पर आक्रमण हुए हैं. तो जाहिर है कि इसमें पाकिस्तान के आईएसआई का हाथ है और ये लोग पैसा भी जरूर दे रहे होंगे. इसका प्रमाण तो भारत के इंटेलिजेंस ब्यूरो के पास जरूर होगा. मैं सिर्फ़ एक अंदाजा ही लगा सकता हूं.


पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को यह समझना चाहिए की छोटी बातें को आज नज़रअंदाज कर दिया गया तो कल वो बात एक बड़ा ही विकराल रूप धारण कर लेगी. जंगल में एक चिंगारी से आग लग जाती है और ये तो सिर्फ़ चिंगारी नहीं है. हजार आदमी की संख्या बहुत होती है. आपको एक उदाहरण देता हूं. शुरू में नगालैंड में 250 से 300 नागा सशस्त्र विद्रोही थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने 4000 तक की संख्या बना ली. शुरुआत में अगर आप एक हजार आदमी को नजरअंदाज करेंगे तो वो बाद में बढ़ते-बढ़ते 10 हजार की संख्या तक पहुंच जाएंगे. ऐसे में मुख्यमंत्री का ये कहना कि हजार आदमी से कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं समझता हूं कि ये बहुत ही अदूरदर्शी नजरिया है.पुलिस के साधारण काम में भी कहा जाता है कि अगर एक खिड़की भी कहीं टूट जाए तो उसको ध्यान में लीजिए, नहीं तो वो फिर बाद में लूट और डकैती का कारण बनने लगता है और फिर मर्डर होगा. कहने का तात्पर्य ये है कि अगर आज वे हजार आदमी को नजरअंदाज करते हैं तो ये उनकी अदूरदर्शिता का परिचायक है.


गृह मंत्रालय को इस पर संज्ञान लेना ही चाहिए. ताज्जुब की बात ये है कि एक न्यूज एजेंसी के अनुसार अमृतपाल ने गृहमंत्री तक को धमकी दे दी है. अभी तो हमने देखा है कि लोग मामूली बातों जैसे कि किसी ने ट्वीट कर दिया या किसी ने कार्टून बना दिया तो गिरफ्तार हो जाते हैं. यहां तो ये आदमी भारत के गृह मंत्री को धमकी दे रहा है.  ये मेरे समझ में नहीं आ रहा है कि इस पर गृह मंत्रालय ने अब तक संज्ञान क्यों नहीं लिया. अगर ये धमकी देने वाली बात सही है तो इसके ऊपर आपराधिक मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.


ये तो एक बात हो गई और अगर आप इसे बड़े पैमाने या बड़े पर्दे पर देखें तो पंजाब में जो कुछ हो रहा है उसके संकेत अच्छे नहीं हैं. इसी तरह अगर हालात बिगड़ते गए और ये भी ध्यान रखिये कि वहां बहुत सारे क्रिमिनल गैंग का वर्चस्व है. वे ठेके पर लोगों की हत्या कर रहे हैं. वहां पर इस तरह की घटनाएं हो रही हैं. गुरुग्रंथ साहिब तक का अपमान हो रहा है और ये सब कौन करवा रहा ये स्पष्ट नहीं है. इसमें विदेशी ताकतों का भी हाथ हो सकता है. वहां ड्रग्स की भी समस्याएं है. और भी कई तरह की समस्याएं हैं. इन सारी घटनाओं को मिलाकर पंजाब का जो परिदृश्य बन रहा है वो बहुत ही खतरनाक है और मैं समझता हूं कि गृह मंत्रालय को इस पर संज्ञान लेना चाहिए. पंजाब में आम आदमी पार्टी की जो सरकार है, अगर वो इन आतंकियों पर कार्रवाई करने में या शिकंजा कसने में ढुलमुल नीति अपनाती है या हिचक दिखाती है तो वहां पर केंद्र को सख्त कदम उठाने की पहल करनी चाहिए.


ये लॉ एंड ऑर्डर का मामला जरूर है लेकिन अगर ये नियंत्रण से बाहर हो जाए तो संविधान में भी तो प्रावधान है कि केंद्र उस पर संज्ञान ले. पंजाब में जो कुछ भी अभी हो रहा वो उसी दिशा में जा रहा है. क्या हम उस दिन का इंतजार करेंगे कि जब पूरे पंजाब में आग लग जाए तब हम उसे बुझाने जाएंगे. अभी एक चिंगारी है उसे तुरंत बुझा देंगे, तो ज्यादा सही रहेगा. जो अभी समस्या है उसका समाधान कीजिए, न कि उस दिन का इंतजार कीजिए, जब वहां खालिस्तान समर्थक अपने हाथ में एके-47 लेकर घूमें और वे पुलिस अफसरों और नेताओं की हत्या करें. क्या ऐसा होने पर आप दखल देंगे. हम कहते हैं कि समस्या को समय से निपटाया जाना चाहिए. भगवंत मान की ये बातें बकवास है. अगर उनको लगता है कि ये सब एक साजिश के तहत हो रहा है, तो वे साजिशकर्ताओं का पर्दाफाश करें और आरोपियों को पकड़ कर जेल में बंद करें ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा नहीं हो. वे बहानेबाजी नहीं करके सीधे-सीधे कार्रवाई करें और इस तरह की गतिविधियों को काबू में लाएं. दुनिया को यह लगना चाहिए कि पंजाब में हालात या शांति व्यवस्था नियंत्रण में है. 


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये आर्टिकल पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह से बातचीत पर आधारित है.)