नवरात्र का आज अंतिम दिन है और देश के गृह मंत्री माता वैष्णो देवी के दर्शन करने व उनका आशीर्वाद लेने के लिए आज उनके दरबार में शीश नवाएंगे. पर, ये महज उनकी धार्मिक यात्रा नहीं है. इसके बहुत गहरे राजनीतिक मायने हैं और इसका मकसद है कि पिछले सवा तीन दशक से आतंकवाद की मार झेल रहे जम्मू-कश्मीर में आखिर भगवा सरकार कैसे बनाई जाये.
इस लिहाज से शाह के इस दौरे को इसलिये अहम माना जा रहा है कि वो बीजेपी के रोड मैप को फाइनल करने की शक्ल दे सके. इसलिये कि वो इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से कुछ ऐसी घोषणाएं करने वाले हैं जो बीजेपी के लिए आगामी चुनाव में मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकती हैं.
सोमवार की शाम जम्मू पहुंचते ही शाह ने जिन खास समुदायों के नुमाइंदों से मुलाकात की है उससे साफ हो गया है कि सरकार इस पहाड़ी राज्य के लोगों को कुछ बड़ी सौगात देने की तैयारी में हैं. शाह से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में गुर्जर, बकरवाल, पहाड़ी, सिख और राजपूत समुदाय के लोग शामिल थे.
माना जा रहा है कि अमित शाह मंगलवार को राजौरी में होने वाली अपनी जनसभा से पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का स्टेटस दिए जाने का ऐलान कर सकते हैं. उनकी इस घोषणा को बीजेपी के लिए इसलिये भी गेम चेंजर माना जा रहा है क्योंकि पहाड़ी समुदाय राज्य की कम से कम 10 विधानसभा सीटों पर खासा प्रभाव रखते हैं.
वैसे भी पहाड़ी समुदाय के लोग खुद को एसटी समुदाय में शामिल किए जाने की लंबे समय से मांग करते रहे हैं. हालांकि बीजेपी पहले से ही उनकी इस मांग को पूरा करने का वादा कर चुकी है. पहाड़ी समुदाय के लोग जम्मू क्षेत्र के राजौरी और पुंछ में तो हैं ही लेकिन नॉर्थ कश्मीर के बारामुला में भी उनकी ठीक-ठाक तादाद है और शाह राजौरी में भी रैली करने वाले हैं. केंद्र शासित प्रदेश में धारा 370 हटने के बाद ऐसा पहली बार होगा कि गृहमंत्री आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित रहने वाले बारामुला जाकर एक जनसभा को संबोधित करेंगे. इससे दुनिया को ये बड़ा संदेश दिया जाएगा कि घाटी में अब सब कुछ सामान्य है.
हालांकि गुर्जर और बकरवाल पहाड़ी समुदाय को एसटी में शामिल किए जाने पर अक्सर विरोध जताते रहे हैं. एजेंसी की खबरों के मुताबिक, जम्मू में गुर्जर और बकरवाल समुदाय के छात्रों ने इस संभावित फैसले के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी किया है. नए नियमों के मुताबिक जम्मू कश्मीर विधानसभा में एसटी समुदाय के लिए 10 प्रतिशत रिजर्वेशन दिया गया है. विधानसभा में कुल 9 सीटें एसटी समुदाय के लिए आरक्षित हैं. दक्षिण कश्मीर के गुर्जर और बकरवाल समुदाय ने धमकी दी कि अगर पहाड़ियों को आरक्षण दिया जाता है तो वह इसके विरोध में अपने आंदोलन को और तेज करेंगे. लेकिन जरा सोचिये कि ऐसा भला कैसे हो सकता है कि देश के गृह मंत्री जम्मू-कश्मीर जाएं और उससे पहले आतंकवादी अपनी किसी करतूत को अंजाम न दें. वहीं हुआ भी. दरअसल, शाह की यात्रा से पहले उधमपुर में दो बम विस्फोट हुए जिसके पीछे पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा आतंकी संगठन का हाथ माना जा रहा है. प्रदेश के डीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा आतंकी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की हाई प्रोफाइल यात्रा से पहले केंद्र शासित प्रदेश में योजना के तहत बम विस्फोट कराए. उनका मकसद ये बताना था कि केंद्र शासित में सब ठीक नहीं है.
अमित शाह के इस दौरे को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि फिलहाल जम्मू-कश्मीर की मतदाता सूची को संशोधित करने की प्रक्रिया चल रही है जिसमें 20-25 लाख नए मतदाताओं के जुड़ने की उम्मीद है. चुनाव आयोग के मुताबिक यह प्रक्रिया 25 नवंबर तक पूरी हो जाएगी. उसके बाद ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होने की संभावना है. चूंकि दिसम्बर की शुरुआत से ही पूरे प्रदेश में कड़ाके की सर्दी शुरू हो जाती है इसलिये कयास यही लगाये जा रहे हैं कि अगले साल मार्च-अप्रैल में ही वहां चुनाव होंने की संभावना है लेकिन बड़ा सवाल ये भी है कि गुलाम नबी आज़ाद की नई पार्टी वहां बीजेपी की सरकार बनवाने में किस हद तक मददगार साबित होगी?
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.