पिछले दिनों अपनी जापान यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मैं मक्खन पर नहीं बल्कि पत्थर पर लकीर खींचता हूं. तब शायद किसी ने सोचा भी न होगा कि सेना में भर्ती के लिये "अग्निपथ" योजना लाने का उनका ये फैसला सरकार के लिए पत्थर पर लकीर खींचने से कम साबित नहीं होगा. देश भर में इस योजना के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं.


ट्रेनों को जलाया जा रहा है और अब तक दो लोगों की जान भी जा चुकी है. ऐसे में सवाल उठता है कि हिंसा की इस आग को बुझाने को लिए क्या सरकार को फिलहाल इस योजना को टाल नहीं देना चाहिए ? विपक्ष भी इस योजना को वापस लेने की मांग कर रहा है. हालांकि इस आंदोलन की आड़ में विपक्षी दल भी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का मौका छोड़ना नहीं चाहते. खतरा ये भी है कि गुस्साये युवाओं की आग अगर ऐसे ही भड़कती रही, तब इसका अंजाम क्या होगा. ये कोई किसान आंदोलन तो है नहीं जिसकी कमान किसी के हाथ में हो, जिसे समझाया जा सके. ये तो दिशाहीन और नेतृत्वविहीन उग्र नौजवानों की ऐसी भीड़ है जो एक-दूसरे के देखा देखी देश के 15 राज्यों को अपनी चपेट में ले चुकी है.


सबसे ज्यादा बवाल और सबसे अधिक नुकसान बिहार में हो रहा है. वहां प्रर्शनकारियों ने बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी और बिहार BJP अध्यक्ष और पश्चिम चंपारण के सांसद संजय जायसवाल के घरों पर कथित रूप से हमला कर दिया. अग्निपथ भर्ती योजना का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने बेतिया में जायसवाल के आवास पर हमला किया. इस दौरान कम से कम एक पुलिसकर्मी घायल हो गया. डिप्टी सीएम रेणु देवी के बेटे के मुताबिक बेतिया में हमारे आवास पर हमला किया गया. हमें बहुत नुकसान हुआ है. वह (रेणु देवी) पटना में है.


सोचने वाली बात ये है कि प्रदर्शनकारियों का यही हौंसला अगर दूसरे राज्यों में भी फैलने लगा और उन्होंने मंत्रियों-नेताओं पर हमले करने शुरू कर दिये, तब उस अराजकता को कैसे रोका जाएगा? शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों ने बिहार के अलग-अलग जिलों में तीन ट्रेन की 28 बोगियों में आग लगा दी.केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने इसके लिए बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को दोषी ठहराया है. गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने ट्वीट कर कहा कि बिहार में राजद के उग्र प्रदर्शन में सरकारी संपत्तियों को जलाने के साथ ही बिहारियों की मौत हो रही है. बिहार को राजद को जवाब देना होगा. 


उनके इस आरोप का सच हम नहीं जानते लेकिन ये तो आईने की तरफ साफ है कि सरकार ने बैठे-बिठाये विपक्षी दलों को एक मुद्दा थमा दिया है. जाहिर है कि वे इस आग में घी डालकर उसे और भड़काने का कोई मौका छोड़ेंगे नहीं. इस बीच कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने अग्निपथ योजना पर चर्चा और विचार-विमर्श के लिए जल्द से जल्द डिफेंस पर स्थायी समिति की तत्काल बैठक बुलाने का आग्रह किया है.होना तो ये चाहिए था कि इस योजना को लाने से पहले सरकार,विपक्ष को विश्वास में लेकर आम सहमति बनाती और इसे एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू करके युवाओं के शक-शुबहे को दूर करती.


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