Corona Protocol: लोकतंत्र का महापर्व बनाम कोरोना महामारी की जंग का निर्णायक मोड़ है. यूपी समेत पांच राज्यों के हाईवोल्टेज चुनाव (Five States Assmebly Elections) के बीच ओमिक्रोन का दैत्य अट्टहास कर रहा है. पश्चिम बंगाल के विधानसभा (West Bengal Assembly Election) और यूपी के स्थानीय निकाय चुनाव के बाद जिस तरह कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया था, अब इस चुनावी माहौल में ओमिक्रोन वेरिएंट से केंद्र सरकार पूरी तरह सतर्क है. लोकतंत्र में चुनाव अगर अनिवार्य शर्त है तो लोगों की जिंदगी बचाना पहली और अंतिम प्राथमिकता. राज की बात इसी शर्त और प्राथमिकता के बीच संतुलन साधने की पीएम मोदी की कवायद पर. चुनावी राज्यों समेत मुंबई और दिल्ली को लेकर पीएम सबसे ज्यादा संजीदा हैं और उन्होंने केंद्र की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी हर एजेंसी और अधिकारी को अल्टीमेटम दे दिया है कि इस दफा जरा भी शिथिलता बर्दाश्त नहीं होगी. किसी भी कीमत पर देश नहीं रुकना चाहिए.


राज की बात ये है कि जिस तरह से ओमिक्रोन के मामलों की भारत में बढ़ोत्तरी शुरू हुई है, उसके तुरंत बाद पिछले अनुभवों से सबक लेकर पीएम मोदी (PM Modi) ने तुरंत कमान अपने हाथ में ले ली है. चुनाव स्थगित कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के आग्रह या सुझाव के बीच चली बहस के बीच पीएम ने एक अहम बैठक में साफ कर दिया है कि सरकार और देश की प्राथमिकता इस महामारी से लोगों को बचाने की है. चुनाव कराने या टालने का फैसला तो चुनाव आयोग से विमर्श कर ही होगा, लेकिन अभी केंद्र इस दिशा में नहीं सोच रहा. अलबत्ता चुनावी रैलियां सुपर स्प्रेडर न हों और स्वास्थ्य व्यवस्थाएं दुरुस्त हों, इसके लिए पीएम ने मौजूदा हालात पर एक हाईप्रोफाइल बैठक कर तुरंत कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इसके संकेत साफ हैं कि चुनाव तो होंगे, लेकिन कैसे लोग सुरक्षित रहें ये सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर पूरे प्रयास किए जाएं.


इस बैठक से राज की सबसे बड़ी बात ये निकल कर आई है कि चुनावी राज्यों के साथ-साथ देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना से जंग की व्यवस्थाओं को लेकर पीएम के अपने अधिकारियों को सख्त अल्टीमेटम दे दिया है. उन्होंने दो टूक कह दिया है कि राज्यों से जुड़ी व्यवस्थाओं पर तो वहां की सरकारें फैसला लेंगी, लेकिन अगर केंद्र से जुड़ी किसी भी एजेंसी या अधिकारियों की तरफ से कोई कोताही पाई गई तो सख्त कार्रवाई होगी. पीएम की चिंता चुनावी राज्यों से लेकर खासतौर से दिल्ली और मुंबई को लेकर थी. उन्होंने साफ कहा कि यहां पर बाहर से आवागमन ज्यादा है और भीड़ भी. इन दोनों प्रमुख महानगरों में खास फोकस करना होगा, क्योंकि यहां पर कामकाज ठप होने के नुकसान बहुत हैं. सबसे बड़ी बात कि चूंकि छोटे शहरों से लेकर पूरे देश से यहा लोगों का आना-जाना है तो कोरोना दूर-दूर तक भी फैलने की आशंका हो जाती है.


गुरुवार को काशी से लौटने के बाद ही पीएम ने ओमीक्रॉन से लड़ने की तैयारियों पर यह अहम बैठक बुलाई थी. इस बैठक में कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, स्वास्थ्य सचिव, शहरी विकास सचिव, फार्मास्यूटिकल सचिव आदि मौजूद थे. ध्यान रहे कि जब दूसरी लहर आई थी तो उस समय सबसे ज्यादा खराब स्थिति मुंबई और दिल्ली की हो गई थी. तब राजनीति के भी खूब आरोप लगे थे. पीएम का साफ कहना था कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप अपनी जगह हैं, लेकिन इन दोनों महानगरों में यदि कोरोना को काबू किया जाता है तो इस महामारी से निपटना आसान रहेगा. इसलिए बिना किसी लापरवाही के यहां पर कोरोना रोकथाम से लेकर आक्सीजन प्लांट, कंसंट्रेटर, बेड, दवा आदि को लेकर पूरी तरह से मुस्तैदी बरती जाए. उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी लापरवाही केंद्र के स्तर से बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए और राज्य सरकार के साथ पूरा समन्वय स्थापित कर व्यवस्थाएं चाकचौबंद की जाएं.


इसके साथ ही पीएम मोदी ने चुनावी राज्यों की तैयारियों पर समीक्षा कर दिशा-निर्देश भी जारी किए. उन्होंने कैबिनेट सचिव से सभी डीजीपी और मुख्य सचिवों के साथ बातचीत कर चुनावी रैलियों को नियमित और नियंत्रित करने की बात की. इस दिशा में चुनाव आयोग अपने स्तर पर कदम उठाएगा, लेकिन केंद्र और राज्यों को इस बाबत तैयार रहने के लिए कहा गया. पीएम ने साफ कहा कि चुनाव हैं तो राजनीति होगी, लेकिन हमारी प्राथमिकता इस बात पर हो कि ये रैलियां कोरोना की सुपर स्प्रेडर यानी खतरनाक तरीके से बढ़ाने वाली न हों. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए राज्य सरकारों के साथ सशक्त प्लानिंग रखी जाए.


राज की बात ये कि पीएम ने चुनावी रैलियों में जीनोम सीक्वेसिंग तेजी से कराने का तंत्र बनाने को कहा. जीनोम सीक्वेंसिंग की वहां लोगों की औचक जांच या आरटीपीसीआर करके देखा जाए कि कोरोना कहीं तेजी से तो नहीं फैल रहा. पीएम ने कहा कि यदि कोरोना का नया वेरिएंट फैला तो ये ब्लास्ट की तरह से हो सकता है. चुनावों को अलग रखकर तत्काल चिकित्सा से जुड़ी सेवाओं को अलर्ट पर रखते हुए सबकी जरूरतें पता होनी चाहिए. उसी हिसाब से राज्यों को मदद की जाए. मतलब ये कि लोकतंत्र का महापर्व भी बाधित न हो और लोगों की जान से खिलवाड़ कतई न हो, इसके लिए केंद्र ने अभी से कमर कस ली है. 


नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.