ख़ातिर जमा रखिए. जब गुरुवार को भारतीय डीजीएमओ के ऐलान के बाद पाकिस्तान की यूएन में राजदूत मलीहा लोदी ने शुक्रवार को यूएन महसचिव बान की मून से भारत द्वारा ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ किए जाने की शिकायत की और पाकिस्तान को हालात का जायजा लेने के लिए कैबिनेट की आपात बैठक बुलानी पड़ी तो इसे अफ़वाह मत मानिए और इसे ‘हमला’ या ‘जंग’ जैसा कोई और नाम मत दीजिए. बस ये सोचिए कि भारत को पाक की पूंछ पर पांव रखने के बाद उससे चौकन्ना कैसे रहना है! ख़बर है कि पाक के चीफ जस्टिस अनवर ज़हीर माली ने चौकन्नापन दिखाते हुए 21-23 अक्तूबर को भारत में होने जा रही ग्लोबल कंन्फ्रेंस में आना रद्द कर दिया है और भारत अपनी सीमा से सटे गांव के गांव ख़ाली करा रहा है.



भारत के सर्जिकल स्ट्राइक अभियान ने पाकिस्तानी रणनीतिकारों को भी दुविधा में डाल दिया है. पाक द्वारा अब तक चलाए जा रहे छाया युद्ध का जवाब भारत ने खुला हमला करके दिया है. अब अगर पाक ‘जैसे को तैसा’ शैली में जवाब नहीं देता तो दुनिया में संदेश चला जाएगा कि भारत पर खुला हमला करने की पाक में क़ूवत ही नहीं है...और अगर पाक ऐसा करता है तो पाकिस्तानियों के साथ-साथ दुनिया को भी पाक सेना की औक़ात पता चल जाएगी. भारत ने तो दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अपने दुश्मन को जब वह उसी की भाषा में सबक सिखाने निकलेगा तो पिछले युद्धों की तरह बीच में किसी महाबली को अपनी नाक घुसेड़ने की ज़रूरत नहीं है. इसमें न चीन, न अमेरिका, न रूस यहां तक कि यूएन भी पाक के पक्ष में बयानबाज़ी नहीं करेगा. पाकिस्तान भी समझ रहा है कि अब अगर उसने कोई नापाक हरकत की तो भारत में अब सिर्फ ‘कड़ी निंदा’ नहीं बल्कि उस पर कयामत बरपा होगी!



लेकिन पीएम नवाज़ शरीफ यह मानने को ही तैयार नहीं हैं कि भारत ने पाक की बैंड बजानी शुरू कर दी है. और अगर मान लेंगे तो भी यह सभी जानते हैं कि इस अपमान का बदला लेने के लिए पाक तुरत-फुरत न्यूलियर बटन ढूंढ़ने नहीं निकल पड़ेगा. जेहादियों की मदद से भारत में कहीं 26/11 जैसे हमले की कोशिश करने की वह सोच भी नहीं सकता क्योंकि मासूम नागरिकों की जान जाने से वह दुनिया की नज़रों में और गिर जाएगा. जम्मू-कश्मीर के सैनिक ठिकानों पर हमला करवाना अब उसके लिए अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना ही साबित होगा क्योंकि उड़ी हमले के बाद अब भारतीय सेना पूरी घाटी में चाक-चौबंद बैठी हुई है. हां, पाक सेना नियंत्रण रेखा के आस-पास भारी गोलाबारी कर सकती है जो उसके लिए एक सुरक्षित विकल्प होगा. इससे पाकिस्तानियों को यह संदेश दिया जा सकेगा कि उनकी सेना भी चूड़ियां पहन कर नहीं बैठी है और भारत को भी दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक करने की सख़्त ज़रूरत महसूस नहीं होगी. पाकिस्तान ‘गधा से जीतै न गधैया के कान मरोरै’ वाली रणनीति अपनाकर नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान और बांग्लादेश स्थित भारतीय प्रतिष्ठानों को नुकसान ज़रूर पहुंचा सकता है.



इस सर्जिकल स्ट्राइक में भारत ने यह चतुराई भी दिखाई है कि दुनिया को यह पाकिस्तान की क्षेत्रीय संप्रभुता पर हमला न लगे. नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादी ढांचे को साफ करने के तुरंत बाद भारतीय डीजीएमओ ने अपने पाकिस्तानी काउंटरपार्ट को इसकी इत्तिला दे दी थी. यानी प्रोटोकॉल का उल्लंघन भी नहीं हुआ. पकिस्तान को भारत की सीमा के अंदर यही सब दोहराने में नाकों चने चबाने पड़ेंगे. इसे भारत की कामयाबी ही कहना चाहिए कि पाक के खिलाफ़ सर्जिकल स्ट्राइक को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद दुनिया में हाय-तौबा नहीं मची. उल्टे अमेरिकी सीनेटर जॉन कॉर्नीन और मार्क वॉर्नर ने पीएम मोदी को लिखकर अपना समर्थन जताया और पाक की भूमिका की निंदा की. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुएंग मात्र यह कहकर चुप्पी लगा गए कि दोनों देशों को सीमा पर तनाव नहीं बढ़ने देना चाहिए.


आज पाक कैबिनेट की मीटिंग में भले ही नवाज शरीफ ने कश्मीरी भाइयों का समर्थन करते रहने का जुमला फेंका हो लेकिन अब वह कश्मीर की तरफ नज़र उठाने से पहले सौ बार सोचेंगे. इस सर्जिकल स्ट्राइक का एक बड़ा फ़ायदा यह भी हुआ है कि बात-बात पर दांत किटाकिट करने वाले भारत के तमाम राजनीतिक दल एकता के सूत्र में जुड़ गए हैं. क्या वामपंथी, क्या दक्षिणपंथी, क्या मध्यमार्गी- सब धर्म-जाति-भाषा-क्षेत्र की सरहदें तोड़कर एक सुर में इस सर्जिकल स्ट्राइक का खुलकर समर्थन कर रहे हैं. पिछली बार ऐसी एकता 1971 में तब देखी गई थी जब तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश को आज़ाद कराने की ख़बर संसद में सुनाई थी. इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि भारतीयों को शांतिकाल नहीं, युद्धकाल इतनी गहराई से जोड़ पाता है!



इतना तो तय है कि अपनी आबरू बचाने या बचाने का दिखावा करने के लिए पाक सेना इस स्ट्राइक का बदला अवश्य लेगी चाहे वह जिस भी शक्ल में हो. जिस तरह आज़ादी के फौरन बाद पाक ने क़बाइलियों के वेश में अपने सैनिक भेजे थे उसी तरह वह अब भी जिहादियों के वेश में हमला करवा सकता है. ज़रूरी नहीं कि इसका स्वरूप घुसपैठ की तरह हो, बल्कि यह एक सुनियोजित सैनिक हमले की तरह भी हो सकता है. उसके हेलीकॉप्टर भारतीय सीमा पर खुली अथवा गोपनीय स्ट्राइक कर सकते हैं! लेकिन भारत की सेना जल-थल-नभ यहां तक कि अंतरिक्ष में भी उसकी हर स्ट्राइक नाकाम करने के लिए कमर कस कर बैठी है. पाकिस्तान जिस लेबल की लड़ाई लड़ेगा, मात खाएगा.


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