Cars Engine Placement: कार चलाने में सबसे अहम रोल इंजन का होता है. लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि कार के इंजन को किसी गाड़ी में आगे, तो किसी में कार के बीच में, तो किसी कार में इंजन को पीछे की तरफ क्यों लगाया जाता है. कार के इंजन की इस प्लेसमेंट को देखकर भी लोग कार खरीदते हैं. कार के इंजन की इस प्लेसमेंट कार के इंटीरियर स्पेस, वेट डिस्ट्रीब्यूशन और ब्रेक परफॉर्मेंस जैसी कई चीजों में फर्क देखने को मिलता है.


फ्रंट-इंजन कार


कार में आगे की तरफ बोनेट पर इंजन के लगे होने से कार का ज्यादातर वजन आगे की तरफ रहता है, जिसकी वजह से गाड़ी चलाने के दौरान ग्रेविटेशनल पुल को बैलेंस करना ड्राइवर के लिए काफी मुश्किल हो जाता है. लेकिन, कार के इंजन के आगे लगे होने से फायदा ये है कि कार में कूलिंग बेहतर तरीके से होती है. इंजन के आगे लगे होने से कार में बूट स्पेस भी काफी मिल जाता है.


मिड-इंजन कार


ज्यादातर उन कारों में बीच में इंजन लगा होता है, जो 2-सीटर होती हैं. गाड़ियों में मिड-इंजन ड्राइवर सीट के पीछे वाली जगह पर लगा होता है. कार में बीच में इंजन इसलिए लगाया जाता है, जिससे गाड़ी को वजन को बैलेंस करके रखा जा सके, जिससे कार के आगे और पीछे की पहियों पर बराबर भार पड़े. मिड-इंजन कारों में सबसे बड़ी दिक्कत होती है कि इसमें ड्राइवर सीट के पीछे बैठने वाली सीट नहीं दी जाती, जिससे कार में केवल दो लोगों के ही बैठने की कैपेसिटी रह जाती है.


रियर-इंजन कार


रियर-इंजन कार को बैक-इंजन कार भी कहते हैं. रियर-इंजन कार को स्टार्ट करना ज्यादा आसान रहता है, क्योंकि इसमें कार का वजन पीछे के पहियों पर रहता है. कार का वजन पीछे की तरफ होने से कार को हैंडल करना भी आसान हो जाता है. वहीं कार का सड़क के साथ ट्रैक्शन (घर्षण) भी बेहतर होता है. भारत में ज्यादातर रियर-इंजन वाली कार नहीं मिलती, क्योंकि इन कारों की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट ज्यादा होती है.


ये भी पढ़ें


Harley-Davidson Bike Launch: जल्द भारत में लॉन्च होगी हार्ले-डेविडसन की नई बाइक, कीमत होगी बस इतनी


Car loan Information:

Calculate Car Loan EMI