Vehicle Tax Revised in Maharashtra: महाराष्ट्र सरकार ने एक जुलाई 2025 से राज्य में वाहनों पर लगने वाले टैक्स को लेकर बड़ी घोषणा की है. नई टैक्स सिस्टम में खासतौर पर लग्जरी गाड़ियों, CNG और LNG वाहनों और कमर्शियल ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स पर टैक्स की दरें बढ़ा दी गई हैं. इस बदलाव का सीधा असर आम उपभोक्ताओं से लेकर व्यवसायिक इस्तेमाल की गाड़ियों तक पर पड़ेगा.

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अब गाड़ियों की कीमत के आधार पर लगेगा टैक्स

महाराष्ट्र सरकार की नई वाहन टैक्स नीति के तहत अब गाड़ियों पर टैक्स उनकी कीमत के आधार पर तय किया जाएगा. पेट्रोल गाड़ियों पर 10 लाख रुपये तक 11% टैक्स, 10 से 20 लाख रुपये तक 12% और 20 लाख रुपये से अधिक कीमत की कारों पर 13% टैक्स देना होगा. वहीं डीजल गाड़ियों के लिए ये दरें -13%, 14% और 15% होंगी, जो पेट्रोल की तुलना में थोड़ी अधिक हैं.

इंपोर्टेड गाड़ियों पर सीधा 20% टैक्स

अगर कोई गाड़ी इंपोर्ट की गई है या किसी कंपनी के नाम पर रजिस्टर की गई है, तो उस पर अब सीधा 20% वन-टाइम टैक्स लगेगा. ये प्रावधान खासतौर पर व्यवसायिक उपयोग और महंगी कारों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है.

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CNG और LNG वाहनों पर भी लगेगा एक्स्ट्रा टैक्स

CNG और LNG से चलने वाले वाहनों पर पहले टैक्स में कुछ राहत मिलती थी, लेकिन अब सभी श्रेणियों में इन पर 1% अतिरिक्त टैक्स लगाया जाएगा. इससे पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों पर एक्स्ट्रा बोझ बढ़ेगा, लेकिन सरकार का कहना है कि यह कदम राज्य का राजस्व बढ़ाने के लिए जरूरी है.

कमर्शियल वाहनों पर भी कीमत के अनुसार टैक्स

माल ढोने वाले वाहनों के मामले में पहले टैक्स उनकी भार क्षमता के अनुसार लिया जाता था, लेकिन अब इसे वाहन की एक्स-शोरूम कीमत के आधार पर तय किया जाएगा. अब इन गाड़ियों पर 7% टैक्स लगेगा. उदाहरण के लिए, अगर किसी पिकअप ट्रक की कीमत 10 लाख रुपये है तो उस पर अब लगभग 70,000 टैक्स देना होगा, जो पहले सिर्फ 20,000 था.

EV के लिए राहत

सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को राहत दी है. 30 लाख रुपये से अधिक कीमत की ईवी पर 6% टैक्स लगाने का प्रस्ताव था, जिसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. इससे ईवी सेगमेंट को बढ़ावा मिलेगा और ऑटो कंपनियों को भी राहत मिलेगी.

महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि इस न्यू टैक्स सिस्टम का उद्देश्य राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी, टैक्स कलेक्शन में पारदर्शिता और सिस्टम की सरलता को सुनिश्चित करना है. इसके जरिए सरकार टैक्स चोरी को रोकने और गाड़ियों की वास्तविक कीमत के हिसाब से टैक्स वसूलने की दिशा में कदम बढ़ा रही है.

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