First Hydrogen Fuel Cell Bus Service in India: भारत की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस सर्विस लेह, लद्दाख में शुरू होने वाली है, जो पर्यावरण-अनुकूल परिवहन के एक नए युग की शुरुआत करेगी. भारत के सबसे बड़ी बिजली उत्पादक संस्था एनटीपीसी के नेतृत्व में यह नई परियोजना लद्दाख को कार्बन-तटस्थ क्षेत्र बनाने पर केंद्रित है. हाइड्रोजन ईंधन सेल बसों की शुरूआत इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. पहली हाइड्रोजन ईंधन सेल बस सेवा लेह में शुरू होगी, जिसमें प्रदेश के उच्च ऊंचाई वाले, ठंडे रेगिस्तान में सार्वजनिक सड़कों पर इस अत्याधुनिक तकनीक का यह पहला कमर्शियल परीक्षण होगा.


लद्दाख में ग्रीन ट्रांसपोर्ट


भारत में सबसे बड़ा बिजली उत्पादक एनटीपीसी, इस परियोजना की अगुआई कर रहा है और संस्था ने लेह सरकार को इंट्रा-सिटी परिवहन के लिए पांच हाइड्रोजन ईंधन सेल बसें सौंपी हैं. इस सरकारी संगठन ने बसों को बिजली देने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए एक फ्यूल स्टेशन और 1.7-मेगावाट कैप्टिव सौर फेसिल्टी का भी निर्माण किया है. इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सरकार ने 7.5 एकड़ भूमि लीज पर दी है.


एनटीपीसी का दृष्टिकोण और पहल


अप्रैल 2020 में, एक वैश्विक रुचि पत्र जारी किया गया था, जिसमें अशोक लीलैंड को 2.5 करोड़ रुपये प्रति यूनिट की लागत पर बसें उपलब्ध कराने का ऑर्डर दिया गया था. हाइड्रोजन फ्यूल सेल बसों में यात्रा की लागत वर्तमान में उपयोग में आने वाली 9-मीटर डीजल बसों के बराबर होगी. पहले स्वतंत्रता दिवस पर इस सेवा को शुरू करने की योजना थी, लेकिन बाढ़ और भूस्खलन के कारण पहली बस देरी से लेह पहुंची इसलिए अभी इस सेवा का उद्घाटन नहीं किया गया है.


बनेगा कार्बन-न्यूट्रल लद्दाख 


भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 2020 के स्वतंत्रता दिवस भाषण में कार्बन-तटस्थ लद्दाख बनाने के अपने लक्ष्य को देश के सामने रखा था. अब यह परियोजना दो साल से भी कम समय में पूरी हो गई है. प्रधान मंत्री ने कहा था, "हिमालय की चोटियों में बसा लद्दाख नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है, हमें न केवल उनकी रक्षा करनी चाहिए, बल्कि उनकी देखभाल भी करनी चाहिए". "लद्दाख, लेह और कारगिल 'कार्बन न्यूट्रल' क्षेत्र के रूप में अपनी पहचान बना सकते हैं, जैसे पूर्वोत्तर में सिक्किम ने खुद को 'जैविक राज्य' के रूप में स्थापित किया है."


रिलायंस इंडस्ट्रीज भी कर रही है हाइड्रोजन बसों की टेस्टिंग


हालांकि, ऊर्जा परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक मानी जाने वाली हाइड्रोजन ईंधन सेल अभी भी विकास के चरण में हैं. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड में भी हाइड्रोजन से चलने वाली बसों की टेस्टिंग की जा रही है. जल्द ही भारत में कमर्शियल हाइड्रोजन फ्यूल सेल बसों का उपयोग सार्वजनिक हाईवे पर किया जाएगा. इस तकनीक की टेस्टिंग पहली बार 11,500 फीट से अधिक ऊंचाई और कम ऑक्सीजन वाले दुर्लभ वातावरण में की जाएगी. इसकी असली परीक्षा सर्दियों में होगी जब लेह का औसत तापमान शून्य से 20 डिग्री नीचे चला जाता है. इतना कम तापमान ठंडी हवा के साथ मिलकर मशीनों को खराब कर सकता है. एनटीपीसी के अधिकारियों के अनुसार, संगठन को इन नई टेक्नोलॉजी के साथ परिवर्तन में सबसे आगे रखने के लिए चेयरमैन गुरदीप सिंह के दबाव ने ही इस परियोजना को प्रेरित किया, जिसे एसआर बजट के जरिए वित्तीय सहायता मिल रही है.


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