Toll Collection New Technology: वर्तमान में देश में मौजूद राष्ट्रीय राजमार्गों सहित सभी नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर टोल कलेक्शन के लिए फास्टैग टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है, जिसकी वजह से हाईवे पर लगने वाले समय में कमी देखने को मिली है. अब सरकार की तरफ से आने वाले कुछ महीनों में फास्टैग से भी दो कदम आगे जाकर GPS के जरिये टोल वसूली करने की तैयारी है. ताकि अभी भी टोल पर लगने वाले समय को खत्म कर वाहन द्वारा तय की दूरी के आधार पर पर टोल की वसूली की जा सके.


नहीं पड़ेगी रुकने की जरुरत


भारत सरकार आने वाले कुछ महीनों में जिस जीपीएस टेक्नोलॉजी के जरिये टोल कलेक्शन की तैयारी कर रही है. उसके प्रभावी होते ही टोल पर रुकने का झंझट खत्म हो जायेगा. सरकार का मकसद है कि सडकों से ट्रैफिक के दबाव को कम से कम किया जा सके. वहीं जीपीएस टेक्नोलॉजी का एक फायदा ये भी होगा कि, आप अपने वाहन से जितनी दूरी तय करेंगे, उतना ही टोल देना पड़ेगा. जोकि आपके अकाउंट से फास्टैग की तरह ही कट जायेगा.


अभी फास्टैग टेक्नोलॉजी से होता है टोल कलेक्शन


वर्तमान में देश के सभी राजमार्गों से लेकर हाईवे और एक्सप्रेसवे सभी जगह टोल कलेक्शन के लिए फास्टैग का यूज किया जा रहा है. जिसकी शुरुआत 2020-21 और 2021-22 में हुई थी, जिसके बाद टोल पर लगने वाला वेटिंग टाइम 8 मिनट्स से कम होकर केवल 47 सेकण्ड्स तक का ही रह गया था.


नंबर प्लेट से कट जायेगा टोल


नई टोल कलेक्शन टेक्नोलॉजी में ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान प्रणाली के प्रयोग से गाड़ियों को टोल पर बिना रोके ही ऑटोमैटिक टोल का भुगतान हो जायेगा. गाड़ी की नंबर प्लेट को पहचानने वाला यह ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरे की मदद से टैक्स कलेक्शन का काम करेगा. वाहन में मौजूद जीपीएस सिस्टम ये बताएगा कि वाहन ने हाइवे पर कितनी दूरी तय की है, उसी के हिसाब से उसका टोल कटेगा. इससे कम दूरी तय करने वाले वाहन चालकों को कम टोल देना पड़ेगा, साथ ही समय भी बचेगा.


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