Electric Vehicles Battery: इस समय इलेक्ट्रिक वाहनों को आगामी भविष्य कहा जा रहा है. यह पारंपरिक ईंधन पर लगभग पूर्ण निर्भरता को कम करने के तरीकों में से एक है. भारत में भले इसका बाजार अभी अपने शुरुआती चरण में हो, लेकिन साल 2030 तक देश विश्व के सबसे बड़े ईवी बाजारों में से एक होगा.  


क्या है समस्या?


कुछ स्टडीज के अनुसार, भारत में 2030 तक ईवी बाजार में 206 बिलियन डॉलर का कारोबार होगा और इसमें अधिकतर हिस्सेदारी दोपहिया वाहनों की होगी. लेकिन जैसे-जैसे देश महत्वाकांक्षी रूप से एक नए इलेक्ट्रिक युग की ओर बढ़ रहा है, उसी के साथ दोपहिया ईवी क्षेत्र एक बड़े संकट के दौर से भी गुजर रहा है.


आग लगने की हुई हैं कई घटनाएं


19 अप्रैल की रात चार्जिंग के लिए रखे गए इलेक्ट्रिक स्कूटर की डिटेचेबल बैटरी के घर में फट जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई साथ ही पिछले एक महीने में इन वाहनों में आग की कई घटनाओं ने इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. 


अभी इसी महीने नोएडा के सेक्टर 78 में एक इलेक्ट्रिक स्कूटर सवार डिलीवरी ब्वॉय के वाहन में अचानक आग लग गई, इस घटना में किसी तरह उसने कूदकर अपनी जान बचाई, लेकिन उसका स्कूटर और सारा सामान जलकर राख हो गया.


तो सवाल यह है कि आखिर भारत में ई-स्कूटर में आग क्यों लग रही है? समस्या को समझने के लिए, आइए पहले देखें कि बैटरी कैसे काम करती है और इसमें कौन से तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है. 


कैसे काम करती है बैटरी?


स्मार्टफोन और लैपटॉप से ​​लेकर इलेक्ट्रिक कारों तक, लिथियम-आयन (ली-आयन) बैटरी सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. यह बैटरी एक एनोड, कैथोड, सेपरेटर, इलेक्ट्रोलाइट और दो करंट कलेक्टर के जरिए काम करती है. इलेक्ट्रोलाइट पॉजिटिव चार्ज को लिथियम आयनों में एनोड से कैथोड तक ले जाता है और इसके विपरीत चार्ज बनाता है. अन्य प्रकार की बैटरियों की तुलना में ली-आयन बैटरी को कुछ प्रमुख चीजें बेहतर बनाने का काम करती हैं, जिनमें इसका हल्का होना, हाई पावर कैपिसिटी, ऊर्जा संरक्षण और रिचार्ज करने की क्षमता होना प्रमुख हैं.


क्यों लगती है बैटरी में आग?


हालांकि, ली-आयन बैटरी के सबसे बड़े लाभों में से एक-इसका हाई एनर्जी क्षमता है. बैटरी पैक में आग इसके फैक्टर्स को कंट्रोल न कर पाने के कारण होती है. ज्यादातर यह कारण शॉर्ट सर्किट होता है. आग के प्राथमिक कारण हैं- सेल की गुणवत्ता, बैटरी डिजाइन और बैटरी प्रबंधन सिस्टम (बीएमएस) और सेंसिंग और सॉफ्टवेयर इंटेलिजेंस के जरिए सेल्स का मैनेजमेंट जैसी समस्याएं हो सकती हैं.


आग लगने का यह अकेला मामला नहीं है. बाजार की बढ़ती मांग के साथ, निर्माता उत्पादों के डिजाइन और परीक्षण के लिए सरकारी निकायों द्वारा निर्धारित टेस्टिंग मानकों का अनुपालन करने में पर्याप्त समय नहीं दे रहे हैं. पर्याप्त समय दिए बिना, बाजार में बैटरियों को लाने की यह जल्दी खराब सेल गुणवत्ता, खराब बैटरी डिजाइन और खराब बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम की ओर ले जाती है, जहां सेल्स को सही सॉफ्टवेयर इंटेलिजेंस के साथ ठीक से कंट्रोल नहीं किया जाता है.


सरकार ने अपनाया कड़ा रुख


आग लगने की इन बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकार हरकत में आ गई है, इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अचानक आग लगने वाले वाहनों की जांच के आदेश दिए हैं और इसके लिए उन्होंने सेंटर फॉर फायर एक्सप्लोसिव एंड एनवायरनमेंट सेफ्टी की मदद ली है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह भी घोषणा की है कि ग्राहक सुरक्षा के साथ लापरवाही करने वाली किसी भी ईवी कंपनी पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. उन्होंने खराब इलेक्ट्रिक वाहनों को रिकॉल करने के भी आदेश जारी किए है. 


इतनी होती है इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री


भारत में दोपहिया ईवी बाजार में पिछले एक साल में 2.33 लाख यूनिट्स की रिकॉर्ड बिक्री के साथ तेजी से वृद्धि हुई है और 2030 तक बिक्री होने वाले दोपहिया वाहनों में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक वाहनों के होने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बैटरी फटने की समस्या का समाधान किया जाना बेहद जरूरी है.


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