Year Ender 2025: साल 2025 अब समाप्ति की ओर है और हम सभी नए साल 2026 का स्वागत करने के लिए उत्साहित हैं. लेकिन यदि साल 2025 का आकलन किया जाए तो इस साल भारत में कई अप्रिय घटनाओं ने लोगों को परेशान और दुखी किया. बाढ़, भूस्खलन, भारत-पाक में विश्व युद्ध जैसी स्थिति, पहलगाम आतंकी हमला, अहमदाबाद प्लेन क्रैश, मुंबई ट्रेन हादसा, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ और 10 नवंबर को लाल किला में हुआ ब्लॉस्ट आदि.
इस प्रकार से साल 2025 संघर्ष, तनाव और दुर्घटनाओं से भरा रहा. प्राकृतिक और वैश्विक स्तर पर भी ऐसी कई घटनाएं घटित हुईं, जिससे जान-माल को काफी नुकसान पहुंचा. क्या 2025 में ग्रहों की स्थितियों के कारण तो ऐसी घटनाएं नहीं हुईं और क्या साल के अंत में भी कुछ अप्रिय होने की संभावना है. आइए जानते हैं.
साल के अंत में अतिचारी गुरु और वक्री शनि का प्रकोप!
ज्योतिष के अनुसार जब दो बड़े ग्रह गुरु और शनि एक साथ अपनी असामान्य चाल में आ जाते हैं, तो यह समय ब्रह्मांडीय ऊर्जा में गहराई से बदलाव लाता है. साल 2025 के आखिरी महीनों में यही स्थिति बनी है. गुरु कर्क राशि में वक्री हो गए हैं, जबकि शनि मीन राशि में वक्री अवस्था में रहकर मानव जीवन, राजनीति और प्रकृति पर असर डाल सकते हैं.
अतिचारी गुरु का प्रभाव
जब बृहस्पति अपनी गति सीमा को पार करके तेजी से राशि बदलते हैं, तो उसे अतिचारी गुरु कहा जाता है. यह स्थिति आमतौर पर स्थिरता को तोड़ती है. जिनकी कुंडली में गुरु शुभ स्थिति में है, उनके लिए यह समय अचानक सफलता या आध्यात्मिक उन्नति ला सकता है. लेकिन जिनपर गुरु की दृष्टि अशुभ भावों पर पड़ती है, उनके लिए यह समय भ्रम, गलत निर्णय और धन-संबंधी उलझनों का कारण बन सकता है.
साल 2025 में मई के महीने में गुरु की अतिचारी चाल शुरू हुई थी, जोकि 2032 तक रहेगी. साथ ही मई के महीने में 6 ग्रह एक साथ आए थे. माना जा रहा है कि, ग्रहों की ऐसी स्थिति महाभारत के समय बनी थी, जब गुरु अतिचारी थे और 6 ग्रह एक ही राशि में विराजमान थे. मई महीने में ही ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक में विश्व युद्ध जैसी स्थिति बनी.
वक्री शनि का समानांतर प्रभाव
शनि जब वक्री होते हैं, तब कर्मों का लेखा-जोखा शुरू होता है. यह ग्रह मनुष्य को उसके किए कर्मों का फल दिलवाता है. इस दौरान कई बार अतीत की अधूरी परिस्थितियां दोबारा सामने आ जाती हैं, जैसे पुराने विवाद, विलंबित प्रमोशन या अधूरे रिश्ते.
वक्री शनि पर मंगल की दृष्टि
मंगल शनिदृष्टौ यदा, रणे रुधिरवर्षणम्. इस ज्योतिषीय श्लोक के अनुसार जब शनि और मंगल की दृष्टि एक दूसरे पर पड़ती है तो युद्ध और हिंसा होती है और खून बहता है. इस वर्ष भी ऐसी कई स्थितियां बनीं.
क्या साल 2025 के अंत में भी कुछ हो सकता है?
29 नवंबर 2025 को शनि मार्गी हो जाएंगें. वहीं 5 दिसंबर 2025 को अतिचारी गुरु का गोचर मिथुन राशि में होगा. शनि के मार्गी होने से राजनीति क्षेत्र में कुछ बड़े नतीजे सामने आ सकते हैं. वहीं अतिचारी गुरु के राशि बदलने से धार्मिक क्षेत्र में कुछ उन्माद पैदा होने की संभावना है.
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