Gajkesari Yoga in Hindi: ज्योतिष शास्त्र में जिन शुभ योग के बारे में बताया गया है, उनमे से एक गजकेसरी योग भी है. जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में यह शुभ योग पाया जाता है, उसे जीवन में अपार सफलताएं प्राप्त होती हैं. ऐसा जातक विभिन्न क्षेत्रों से नाम और लोकप्रियता प्राप्त करता है. साथ ही साथ धन के मामले में भी ऐेसे लोग कभी परेशान नहीं रहते हैं. 


गजकेसरी योग कैसे बनता है?
जन्म कुंडली में गजकेसरी योग तब बनता जब गुरू और चंद्रमा की युति होती है. यानि जब बृहस्पति ग्रह और चंद्रमा आपस में संबंध बनाते हैं तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है. यह एक ऐसा योग है जो चंद्रमा और गुरु से बनता है. गुरू को ज्योतिष शास्त्र में शुभ ग्रह माना गया है. इन्हें देवताओं का गुरू होने का गौरव प्राप्त है. वहीं चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. यह शीतलता प्रदान करता है. 


गजकेसरी योग कब शुभ फल प्रदान करता है?
गजकेसरी योग जन्म कुंडली में होने के बाद भी कई बार ऐसी स्थितियां बन जाती है जब यह योग पूर्ण फल प्रदान नहीं कर पता है. ऐसा तभी संभव होता है जब इस योग को राहु या किसी पाप ग्रह की नजर पड़ जाए. राहु की दृष्टि से इस योग का पूर्ण फल नहीं मिलता है. इसके साथ ही जब कुंडली में चंद्रमा और गुरू की स्थिति कमजोर होती है तो भी गजकेसरी योग का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है.


चंद्रमा और गुरू को मजबूत बनाएं
गजकेसरी योग का लाभ प्राप्त करने के लिए चंद्रमा और गुरू का मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है. चंद्रमा को मजबूत बनाने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए वहीं, पूर्णिमा की तिथि पर चंद्रमा को जल देने से भी चंद्रमा की अशुभता कम होती है. गुरू को शुभ बनाने के लिए बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. 


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