Virat Kohli: मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली दोनों ही भारतीय किक्रेट टीम के शानदार बल्लेबाज हैं. लेकिन ये दोनों क्रिकेटर मैदान में ऐसे समय पर उतरे जब क्रिकेट में एक का आगमन तो दूसरे का प्रस्थान हो रहा था.


एक ओर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर जोकि 2011 में अपना आखिरी विश्वकप खेल रहे थे, तो वहीं दूसरी ओर एक नौजवान लड़का विराट कोहली, जिसे उस वक्त पता भी नहीं था कि एक समय वह मास्टर ब्लास्ट के सारे रिकॉर्ड बीट कर लेगा. इस मैच में विराट ने 83 रन बनाए थे और इसके बाद विराट ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 2010, 2011 और 2012 में विराट एक दिवसीय मैच में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बने. 2012 में विराट को आईसीसी वनडे क्रिकेटर ऑफ द ईयर का खिताब भी मिला.


सचिन बनाम विराट (Sachin Vs Virat)


विराट कोहली अपनी अक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि, उनके अंदर हमेशा रनों की भूख दिखाई देती है. रनों की बौछार और शतक बनाकर वे भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के कप्तान भी बने और अपने आप को एक विश्व स्तरीय बल्लेबाज के रूप में स्थापित किया.


विराट कोहली ने वनडे में सचिन तेंदुलकर के 49 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. ये रिकॉर्ड उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 121 गेंदों पर 101 रन की पारी खेलते हुए बनाया. इस तरह से विराट ने वनडे मैच में सर्वाधिक शतक बनाने के मामले में सचिन के वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी कर ली.


आज 15 नवंबर 2023 को न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में विराट ने वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में अपना नाम दर्ज करा लिया. इससे पहले यह रिकॉर्ड सचिन के नाम था. न्यूजीलैंड के खिलाफ 81 रन बनाते ही विराट ने मास्टर ब्लास्टर को पीछे छोड़ दिया.


विराट द्वारा लगाए गए शतक, बनाए गए रन और खेलने की शैली की तुलना अब सचिन तेंदुलकर से की जा रही है. बल्कि कहा तो यह जा रहा है कि, विराट ने सचिन को भी पीछे छोड़ दिया है. लेकिन क्या ये कहना सही होगा कि, विराट सचिन से बेहतर और सचिन से आगे हैं. जी नहीं, बिल्कुल नहीं. क्योंकि इसके पीछे कई वजह है.



  1. सचिन तेंदुलकर के समय मैच खेलने के लिए 2 नई गेंदों का इस्तेमाल नहीं होता था. एक ही गेंद से पूरा मैच खेला जाता था.

  2. सचिन तेंदुलकर के समय मैच के नियम भी आज से अलग थे. उस वक्त 30 गज के अंदर 5 खिलाड़ी नहीं हो सकते थे.

  3. सचिन तेंदुलकर के समय पिच भी उतनी बैटिंग फ्रेंडली नहीं हुआ करती थी, जोकि आज है.


विराट कोहली शानदार बल्लेबाज हैं और मौजूदा दौर में बेस्ट भी. आज लोग विराट कोहली की तुलना भले ही सचिन से कर रहे हैं, लेकिन सचिन तेंदुलकर ने पहले ही यह बात कह दी थी. सचिन ने अपने रिटायरमेंट के समय कहा था कि, विराट ही ऐसे खिलाड़ी हैं, जो उनके रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं. ये बात अब सच हो रही है.


वहीं हाल ही में विराट के 49 शतक बनाने पर सचिन ने विराट की तारीफ करते हुए कहा- "अच्छा खेले विराट. इस साल की शुरुआत में 49 से 50 तक जाने में मुझे 365 दिन लगे, मुझे उम्मीद है कि आप अगले कुछ दिनों में 49 से 50 तक जाएंगे और मेरा रिकॉर्ड तोड़ देंगे. बधाई हो”.


विराट आगे अपने नाम और कितने रिकॉर्ड बनाएंगे और किसके कितने रिकॉर्ड तोड़ेंगे ये तो समय ही बताएगा. लेकिन इसके साथ ही जान लेते हैं कि, ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विराट कोहली की कुंडली में कौन-कौन से योग हैं और ग्रहों की स्थिति कैसी है.


विराट कोहली की जन्म कुंडली (Viart Kohli Kundli)



  • इंटरनेट पर उपलब्ध कुंडली के आधार पर विराट कोहली का जन्म 05 नवंबर 1988 को दिल्ली में हुआ. विराट की कुंडली में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार हैः लग्न-तुला, सूर्य, बुध-तुला, शनि-धनु, राहु-कुंभ, मंगल-मीन, वक्री बृहस्पति-वृषभ और चंद्र, केतु-सिंह और शुक्र कन्या राशि में स्थित हैं.

  • विराट का जन्म तुला लग्न और कुंभ नवमंश में हुआ. लग्न में नीच सूर्य और मित्र मंगल की छठे भाव में दृष्टि है. इसलिए इनका मिजाज थोड़ा अक्रामक है. क्योंकि मंगल की दृष्टि से लोग अक्रामक स्वभाव के होते हैं. हालांकि ऐसे लोग निडर होते हैं और जोखिम लेने के लिए भी तैयार रहते हैं.

  • इनकी कुंडली के तृतीया भाव में शनि है. बता दें कि कुंडली का तीसरा घर पराक्रम को दर्शाता है. शनि से ही इन्हें डटकर रहने और बेहतर करने की क्षमता मिलती है.

  • विराट कोहली की कुंडली के पंचम भाव में राहु की स्थिति बहुत अच्छी है. माना जाता है कि, कुंडली में जब पंचम भाव में राहु हो तो ऐसे लोग अपनी पहचान बनाने में कामयाब होते हैं.

  • छठे भाव में मंगल है, जो अपने प्रतिद्वंदियों को मजा चखाने की क्षमता रखता है और यह विराट के की बल्लेबाजी में दिखाई देता है.

  • आठवें स्थान में गुरु और विपरीत राजयोग में हैं. विपरीत राजयोग के कारण इन्हें कई बार विपरीत परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता है. लेकिन गुरु की स्थिति अच्छी होने के कारण इनका मनोबल मजबूत हो जाता है.

  • ग्यारहवें भाव में चंद्रमा राहु के साथ है, जिसे अच्छा माना जाता है. ऐसी स्थिति में लोग सही फैसले तो लेते हैं. लेकिन कभी-कभी धोखा भी खा जाते हैं.


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