New Parliament Building Inauguration: भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. इसी लोकतंत्र की पहचान बनने के लिए सेंट्रल विस्ता भारत की लोकतांत्रिक संपूर्णता के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में जाना जाएगा. 28 मई 2023 एक ऐतिहासिक दिन होगा कि जब भारत के संसद सदस्यों के लिए यह नई इमारत मिलेगी. इसमें एक साथ लगभग 1280 सांसद के बैठने की सुविधा मिलेगी.
भारत के संसद की नई बिल्डिंग के वास्तुकार विमल पटेल हैं और यह लगभग 65000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है. अगर तथ्यों की बात करें, तो इस नए संसद भवन का निर्माण कार्य वर्ष 2020 में 10 दिसंबर से चल रहा है, क्योंकि तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी. इससे पूर्व जिस संसद भवन को हम अपने प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों को महत्वपूर्ण अध्यादेश लाने के लिए जानते हैं, उसका निर्माण 1927 में हुआ था, जो कि लगभग 100 वर्ष पुरानी अवस्था में आ चुकी है.
नई इमारत में लोकसभा और राज्यसभा के लिए दो अलग-अलग नंबरों की व्यवस्था की गई है, जिसमें लोकसभा चेंबर में एक साथ 888 सदस्य और राज्यसभा के चेंबर में एक साथ 384 सदस्य बैठ सकते हैं. नए संसद भवन की बिल्डिंग को लेकर अनेक लोगों ने वास्तु अनुसार अनेक प्रकार की बातें कही हैं.
किसी ने अत्यंत शुभ तो किसी ने अशोक की संज्ञा तक दे डाली है. हम भी ज्योतिष से इसे देखने की कोशिश कर रहे हैं. सर्वप्रथम देखते हैं कि जब रविवार 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन होगा, तो उस दौरान क्या मुहूर्त होंगे और क्या अन्य विशेष योग होंगे, जो इस दिन को भव्य बनाएंगे-
| नई संसद की 9 बड़ी बातें- पंचांग अनुसार |
| 1 | पंचांग, 28 मई 2023 | जिस समय नए संसद भवन का उद्घाटन होगा, उस दिन जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि होगी. हर्षण आयोग में पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बालव करण में रविवार के दिन इस बिल्डिंग का उद्घाटन होने जा रहा है. |
| 2 | ग्रहों की स्थिति | सूर्य वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र में होंगे जबकि चंद्र सिंह राशि में पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में स्थित होंगे. |
| 3 | तिथि, मुहूर्त | 12:00 बजे जब इसका उद्घाटन होगा, तो अभिजीत मुहूर्त चल रहा होगा, जो कि अत्यंत ही शुभ मुहूर्त माना जाता है. उस दिन क्षत्रियों को भी निर्मित हो रहा है जोकि अत्यंत शुभ माना जाता है. इसी दिन मासिक दुर्गा अष्टमी का पर्व होगा, तो साथ ही साथ धूमावती माता की जयंती का विशेष पर्व ही होगा. विशेष रूप से यह शक्ति का दिन है, जो लोकतंत्र की शक्ति को विश्व पटल पर रखने वाला होगा. |
| 4 | लग्न | नई बिल्डिंग के उद्घाटन के समय स्थिर लग्न सिंह उदय हो रहा होगा. स्थिर लग्न में उद्घाटन होने से इसकी कीर्ति लंबे समय तक रहेगी और लग्नेश सूर्य दशम भाव में विराजमान होकर प्रबल स्थिति में होंगे, जो बताता है कि इसमें उपस्थित होकर सांसद काम पर ज्यादा ध्यान दे सकते हैं. |
| 5 | शनि की पोजीशन | इस दिन उद्घाटन के समय शनि, कुंभ राशि में लग्न से सप्तम भाव में विराजमान होकर दिगवल्ली अवस्था में होंगे और शनि को प्रजा का कारक माना जाता है, जो कि हर तरीके से प्रजा के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा और समाज में और जनता के बीच लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाएगा. |
| 6 | नवम भाव | बृहस्पति, बुध और राहु तीनों ही नवम भाव में स्थित होंगे, जिससे पता लगता है कि धर्म, तर्क और आधुनिकता का समावेश इस संसद भवन की इमारत में और इसमें बैठने वाले लोगों के विचारों में देखने को मिल सकता है, जिससे आने वाले समय में शीघ्र ही संविधान में कुछ बदलाव की स्थिति भी दिखाई दे सकती है. |
| 7 | सूर्य की पोजीशन | राज कृपा के कारक सूर्य भगवान स्वयं दशम भाव में विराजमान होकर सत्ता पक्ष को प्रबल बल देने में सहायक बनेंगे. |
| 8 | एकादश भाव | एकादश भाव में दशमेश शुक्र की उपस्थिति के कारण आर्थिक तौर पर मजबूती की स्थिति बनेगी और धन लाभ के योग बनेंगे. |
| 9 | मंगल की भूमिका | चतुर्थेश और नवमेश मंगल, द्वादश भाव में नीच राशि गत होकर विराजमान होंगे. इस संसद भवन में बैठकर कुछ ऐसे निर्णय भी होंगे, जो सीमावर्ती इलाकों में शत्रु दमन को लेकर बहुत ही कठिन और प्रभावी साबित हो सकते हैं. हालांकि उनको लेकर कुछ विरोध भी हो सकता है. |
दुनिया में भारत की स्थिति होगी मजबूतद्वादश भाव के स्वामी चंद्र महाराज प्रथम भाव में विराजमान होंगे, जिससे विदेशी मेहमानों और विदेशी शक्तियों का सहयोग भी प्राप्त हो सकता है, जो भारत को आने वाले समय में विश्व के सभी महत्वपूर्ण देशों के समकक्ष लाने वाला साबित होगा. नवम भाव में उपस्थित राहु और बृहस्पति दोनों ही समान अंशों पर होंगे और दोनों ही केतु के नक्षत्र में होंगे, जिससे यह कहा जा सकता आने वाले सालों में सभी धर्म को लेकर इस संसद भवन में कोई विशेष सोच विकसित हो सकती है. जिसे विरोध के बावजूद आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.
नई संसद की विशेषतात्रिकोण के आकार में बनी यह इमारत सत्व रजस और तमस को परिभाषित करते हुए षटकोण का आकार भी लेती है, जो जीवन में षट् रिपू (छः मनोविकार) को दूर करने का संदेश देते हैं. इसके साथ त्रिदेव की झलक भी दिखाई देती है. जब हम इस नई इमारत को देखते हैं, तो ऐसा लगता है कि एक त्रिभुज के साथ एक गोलाकार आकृति भी नजर आती है, जिसे शिव और शक्ति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. जहां त्रिकोण रूप में शिव के त्रिशूल और शिवलिंग की परिकल्पना है, तो वहीं बिंदी के रूप में गोलाकार मां शक्ति की छाया नजर आती है और इन दोनों के मिलन से भगवान कार्तिकेय की उत्पत्ति हुई, जो सभी प्रकार की दुर्भावनाओं को दूर करते हुए शक्ति का संचार करने वाले माने जाते हैं.
ज्ञान, शक्ति और कर्म का संतुलनज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार के अनुसार ही यह नया संसद भवन यहां काम करने वाले लोगों नौकरशाहों और सांसदों को ज्ञान शक्ति और कर्म का पाठ पढ़ाएगा. कह सकते हैं कुछ बाधाओं को छोड़ दें तो नई संसद आने वाले सालों में भारत की चमकती छवि को पेश करेगी.
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