वास्तु शास्त्र में घर के निर्माण से लेकर घर की छोटी से छोटी चीजों का ध्यान रखा गया है. दरवाजे, पलंग, शयन कक्ष, पूजा घर, तस्वीरों के लिए भी नियम बनाए गए हैं. इसी तरह वास्तु शास्त्र में खिड़की को भी बहुत महत्व दिया गया है.

खिड़कियों से घर की सुंदरता बढ़ती है, वहीं हवा और सूरज की रोशनी भी खिड़की के जरिए ही घर के अंदर पहुंचती है. वास्तुशास्त्र कहता है कि घर में खिड़कियों से ही नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलती है और सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है.

हम आपको बता रहे हैं कि घर में खिड़कियां लगाते वक्त वास्तु के किन नियमों का ध्यान रखना चाहिए.

  • वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर में खिड़कियों की सम संख्या होनी चाहिए. इसका मतलब है कि घर में 2, 4, 6, या 8 खिड़कियां होनी चाहिए. हालांकि कमरे की दीवार पर एक से ज्यादा खिड़की नहीं होनी चाहिए.
  • खिड़की का साइज दीवार के अनुपात में होना चाहिए. खिड़की न बहुत ज्यादा बड़ी होनी चाहिए, न बहुत ज्यादा छोटी होनी चाहिए.
  • खिड़की खोलते वक्त या बंद करते वक्त इसमें आवाज नहीं होनी चाहिए. यह शुभ नहीं माना गया है. मान्यता है कि इससे घर की सुख शांति पर प्रभाव पड़ता है. समय-समय पर खिड़कियों की मरम्मत करवाते रहना चाहिए और रंग-रोगन भी जरूर करवाते रहना चाहिए.
  • वास्तु शास्त्र में दिशा का बहुत महत्व है जहां तक खिड़की का संबंध है, पूर्व दिशा में खिड़की का होना शुभ माना गया है. इसलिए जहां तक सभंव हो घर की पूर्व दिशा में खिड़की जरूर बनवाएं. अगर पूर्व दिशा में खिड़की लगाना संभव न हो तो रोशनदान भी बनवा सकते हैं. पूर्व दिशा में खिड़की होने से सुबह घर में सूरज की किरणें सीधे आती हैं.

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