New Year 2026 Astrology: नए साल की शुरुआत 2026 में ज्योतिष के अनुसार कई शुभ योगों के साथ होने जा रही है. गुरुवार 1 जनवरी को शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के साथ-साथ रवि योग बन रहा है.

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इस दिन किसी भी नए काम की शुरुआत, निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसायिक प्रयास करना अत्यंत लाभकारी माना गया है. ऐसे शुभ योग के प्रभाव से नए साल की शुरुआत भाग्यशाली और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होगी.

नए साल 2026 पर शुभ योग का निर्माण

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि, अंग्रेजी नववर्ष 2026 के पहले दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जो सुख समृद्धि और तरक्की के लिए बेहद कारगर माने जा रहे हैं.  

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1 जनवरी 2026 को रवि योग भी बन रहा है, जो रात 10:48 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 7:14 बजे तक प्रभावी रहेगा. ज्योतिष शास्त्र में रवि योग को कार्यसिद्धि और धन लाभ के लिए विशेष फलदायी माना गया है.

2 जनवरी को गुरु और चंद्रमा की युति से गजकेसरी योग

इसके अलावा साल भर भी ग्रहों का राशि परिवर्तन जारी रहेगा. इसका असर सभी राशि वालों पर पड़ेगा. इन शुभ योग के बीच नए साल का आना ज्योतिषीय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. नए साल को लेकर मान्यता भी है कि अगर अगर साल का पहला दिन अच्छा हो तो पूरा साल अच्छा रहता है. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार अंग्रेजी नववर्ष बेहद ही शुभ संयोग में शुरू होने वाला है. कई ग्रहों के गोचर से कई शुभ संयोग बनेंगे, ऐसे में वर्ष 2026 कई राशियों के लिए बेहद शुभ साबित होने वाला है.

अंग्रेजी नववर्ष के पहले दिन हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 का पहला दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि और गुरुवार के दिन पड़ेगा. इसके बाद 2 जनवरी को गुरु और चंद्रमा की युति से गजकेसरी योग बनेगा, जो धन, सम्मान, ज्ञान और सुख की प्राप्ति देने वाला अत्यंत शुभ योग है. खासकर कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न वाले जातकों के लिए यह योग अत्यधिक लाभकारी माना गया है.

इसके अलावा जनवरी में मकर राशि में पांच ग्रहों की युति से पंचग्रही योग का निर्माण भी होगा, जो जीवन में सफलता और स्थायी समृद्धि के संकेत देता है.

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि  पंचांग के अनुसार 1 जनवरी 2026 को पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि रहेगी. त्रयोदशी भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष मानी जाती है और जब यह तिथि गुरुवार के दिन आती है, तो इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है.

इस व्रत का संबंध गुरु ग्रह यानी बृहस्पति से जोड़ा जाता है, जो ज्ञान, धर्म, समृद्धि और सौभाग्य का कारक माना जाता है. गुरु प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और कई प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं.

नए साल पर शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करें. प्रदोष काल सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद तक माना जाता है. इस दौरान शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और फल अर्पित करें. ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करें और अंत में भगवान शिव की आरती करें.

ऐसा माना जाता है कि इस विधि से की गई पूजा नए साल में सुख, शांति और सफलता दिलाती है. वर्ष 2026 में कई महत्वपूर्ण ग्रहों का गोचर होने जा रहा है. साल 2026 में गुरु, राहु, और केतु जैसे बड़े ग्रह गोचर करेंगे. इस साल गुरु कर्क राशि में पहुंचेंगे. साथ ही राहु और केतु का गोचर भी होगा. राहु मकर राशि में और केतु कर्क राशि में पहुंचेंगे. वहीं, वर्ष 2026 में शनि मीन राशि में वक्री मार्गी होते रहेंगे. 

शुभ संयोग

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस साल नए साल की शुरुआत गुरुवार के दिन से हो रही है. 1 जनवरी 2026 को जहां पूरी दुनिया नया साल मनाएगी. वहीं इस दिन साल 2026 का पहला प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा. तो 1 जनवरी 2026 को गुरु प्रदोष है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.

इसके अलावा नए साल के दिन रोहिणी नक्षत्र और रवि योग का संयोग भी बन रहा है. इसके अलावा 1 जनवरी को  धनु राशि में सूर्य, बुध, मंगल और वैभव के कारक शुक्र मौजूद रहेंगे. इन सभी शुभ संयोग की वजह से ही नया साल बेहद खास और मंगलकारी रहेगा. साल 2026 सूर्य का साल माना जा रहा है. ऐसे में साल की शुरुआत ही सूर्य की शुभ स्थिति से होगी.

पंचांग के अनुसार 1 जनवरी 2026 को पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि रहेगी. त्रयोदशी भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है इसलिए नए साल की शुरुआत शिव कृपा के साथ होना बेहद शुभ संकेत माना जा रहा है. नया साल 2026 गुरुवार के दिन शुरू होगा और इसी दिन त्रयोदशी तिथि होने से गुरु प्रदोष व्रत भी पड़ेगा.  

यह साल 2026 का पहला प्रदोष व्रत होगा, जो विशेष फलदायी माना जाता है. हिंदू धर्म में गुरुवार को सबसे शुभ दिनों में गिना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है, जिससे सुख-समृद्धि बढ़ती है. 1 जनवरी 2026 को शुभ योग बन रहा है, जो सुबह से लेकर शाम 5:12 मिनट तक रहेगा.

इस योग में किए गए शुभ कार्य सफल माने जाते हैं. शुभ योग के समाप्त होने के बाद शाम 5:12 बजे से शुक्ल योग शुरू होगा. शुक्ल योग को भी नए काम, निवेश और मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम माना गया है. नए साल के पहले दिन नक्षत्रों का भी सकारात्मक प्रभाव रहेगा. दिनभर रोहिणी नक्षत्र रहेगा और रात 10:48 मिनट के बाद मृगशिरा नक्षत्र का आरंभ होगा.

नववर्ष के शुभारंभ पर रवि योग का निर्माण भी हो रहा है.  मान्यता है कि इस योग में सूर्य की पूजा करने से कई प्रकार के दोष दूर होते हैं. 1 जनवरी 2026 को भगवान शिव का वास नंदी पर रहेगा. इस दिन शिवजी का रुद्राभिषेक करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है. साल के पहले दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में स्थित रहेंगे.  इससे मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है. 

ग्रह गोचर 2026

भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस साल ग्रहों का ऐसा संयोग बना हुआ है जो कुछ राशियों के लिए भाग्यशाली रहने वाला है. साल 2026 में गुरु, राहु और केतु जैसे बड़े ग्रह गोचर करने जा रहे हैं. इस साल 2 जून को गुरु कर्क राशि में पहुंच जाएंगे इसके बाद अतिचारी चाल से चलते हुए गुरु अक्टूबर में सिंह राशि में प्रवेश करेंगे.

वहीं, 25 नवंबर को राहु और केतु गोचर करेंगे. जहां राहु कुंभ राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे वहीं, केतु का गोचर कर्क राशि में होगा. साथ ही सालभर शनि वक्री मार्गी होकर चलेंगे. जोकि कई राशियों के जीवन में बड़े उतार चढ़ाव लेकर आएंगे. 

शुभ प्रभाव

भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि बीमारियों के इलाज में भी नए-नए आविष्कार होंगे. नई-नई दवाइयां और तकनीक विकसित होगी. बीमारियों में कमी आएगी. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. आय में इजाफा होगा. चीजों की लागत सामान्य रहेगी.

महंगाई में कमी आएगी. लोगों की सेहत में सुधार होगा. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रभाव बढ़ेगा और मजबूती भी आएगी. अन्य देशों से संबंध अच्छे हो जाएंगे. राष्ट्र विरोधी गतिविधियां खत्म होंगी. फसल और अनाज का उत्पादन बढ़ेगा. शैक्षणिक और धार्मिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं. सरकार धीरे-धीरे आन्तरिक विवादों को खत्म करने में कामयाब रहेगी.

करें पूजा-पाठ और दान

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि हं हनुमते नमः, ऊॅ नमः शिवाय, हं पवननंदनाय स्वाहा का जाप करें. प्रतिदिन सुबह और शाम हनुमान जी के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं. लाल मसूर की दाल शाम 7:00 बजे के बाद हनुमान मंदिर में चढ़ाएं.

हनुमान जी को पान का भोग और दो बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं. ईश्वर की आराधना संपूर्ण दोषों को नष्ट एवं दूर करती है. महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए. माता दुर्गा, भगवान शिव और हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए.

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