सूर्य जब किसी राशि में प्रवेश लेते हैं तो उसके प्रभाव को बढ़ाते हैं. 14 जनवरी को मकर में सूर्य का प्रवेश उत्तरायण होने के साथ ही शनि के राशियों में भ्रमण के सूचक है. मकर में सूर्य 30 दिन रहेंगे। आगे वे कुंभ में 30 दिन संचार करेंगे. यह समय शनि की प्रबलता का है. शनि की राशियों को बल मिलने से वे जन मानस पर श्रेष्ठता बरसाएंगे.

जिन जातकों की कुंडली में शनि योगकारक हैं, कमजोर हैं.  वे मकर संक्रांति को सुबह सरोवर अथवा नदी में स्नान कर शनि की वस्तुओं का दान कर सकते हैं. काले तिल के लड्डू, तिल के बने सामान, मूंग और उड़द के व्यंजन, खिचडी, नीलम इत्यादि का दान कर सकते हैं.

साढ़े साती और ढैया से पीड़ित राशियों के जातक शनि के तांत्रिक और बीज मंत्र का 23000 जप कर सकते हैं. या विद्वान से करा सकते हैं. शनि प्रसन्न होने से जीवन में खुशहाली, भाग्य संवार, कार्याें में गति आना आदि महत्वपूर्ण कार्य बनते हैं.

शनि देव की पूर्ण दृष्टि अभी कर्क, मीन और तुला राशि पर बनी हुई है. इन राशियों वालों गरीबों को शनि की वस्तुएं दान करना चाहिए. साथ ही प्रत्येक शनिवार को सरसों के तेल में चेहरा देखकर नजर उतारकर जोशी को दान कर देना चाहिए. ढैया से पीड़ित मिथुन और तुला राशि के जातकों को कम्बल काले वस्त्र आदि जरूरत मंदों को देना चाहिए. मकर राशि को पृथ्वी तत्व भी माना जाता है. भूमि दान से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं. मठ मंदिरों और श्रेष्ठ संकल्पों के पूर्ति के लिए ऐसे दान की बड़ी महत्ता है.

धनु मकर और कुम्भ पर साढ़े साती है. इन्हें अपने छोटों के प्रति विनम्र रहना चाहिए. अधीनस्थों और गरीबों को प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए.