Durga Ashtami Shubh Yog: नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती  है. नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी का खास महत्व माना जाता है. जो लोग 9 दिनों का व्रत नहीं रख पाते हैं, वो इसके पहले दिन और दुर्गा अष्टमी को व्रत रखते हैं. दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है. ये आठवीं नवदुर्गा हैं. कुछ लोग इस दिन अष्टमी 2 से 10 साल की उम्र की नौ कन्याओं का पूजन करते हैं. माना जाता है कि इस उम्र तक की कन्याओं में मां दुर्गा का वास होता है. इस बार दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी.


दुर्गा अष्टमी के दिन बन रहे हैं शुभ योग


22 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं. दुर्गा अष्टमी पर रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात:काल सुबह 06 बजकर 26 मिनट से शाम 06 बजकर 44 मिनट तक है. जबकि रवि योग शाम 06 बजकर 44 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 27 मिनट तक है. 



रवि योग को किसी भी कार्य को सम्‍पन्न करने के लिए श्रेष्ठ योग माना जाता है. रवि योग को सूर्य की ऊर्जा से भरपूर और प्रभावशाली माना जाता है. इस योग में किया गया कार्य अनिष्ट की आंशका को नष्ट करके शुभ फल वरदान करता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग में व्यक्ति द्वारा किया गया काम हमेशा सफल होता है. कोई विशेष या शुभ मुहूर्त ना होने पर इन योग के साथ में शुभ, लाभ या अमृत का चौघड़िया देखकर कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है. दुर्गा अष्टमी के पर इन दोनों योग के बनने से आप पर माता रानी की कृपा बरसेगी और आपके सारे काम बनेंगे.


महाअष्टमी पर कुमारी पूजा


महाष्टमी के दिन कुमारी पूजा भी की जाती है. इस अवसर पर अविवाहित लड़की या छोटी बालिका का श्रृंगार कर  देवी दुर्गा की तरह उनकी आराधना की जाती है. भारत के कई राज्यों में नवरात्रि के नौ दिनों में कुमारी पूजा होती है. कुमारी पूजा को कन्या पूजा कुमारिका पूजा के नाम से भी जाना जाता है. 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्याएं कुमारी पूजा के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं.  कुमारी पूजा में ये बालिकाएं देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं. ये रूप इस प्रकार हैं- कुमारिका, त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शनभावी, दुर्गा, भद्रा या सुभद्रा.


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