Shani Dev: शनि, सूर्य पुत्र हैं. लेकिन इसके बाद भी शनि अपने पिता से शत्रुवत रहते हैं. इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है. जिसमें बताया गया है कि किस कारण से शनि देव अपने पिता सूर्य से नाराज हो गए. मान्यता है कि शनिवार के दिन शनि कथा सुनने और इसे पढ़ने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.


शनि की कथा (Shani Dev Katha)
शनि देव की कथाओं का वर्णन पुराणों में भी मिलता है. स्कंध पुराण के काशीखंड में मौजूद कथा के अनुसार सूर् यदेव का विवाह राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा के साथ हुआ था. सूर्य देव में अधिक तेज होने के कारण पत्नी संज्ञा परेशान रहा करती थीं. वे इस ताप से बचने के उपाय तलाशने लगी. तब उन्हें एक उपाय आया और अपनी एक हम शक्ल बनाई, जिसका नाम उन्होंने स्वर्णा रखा. इसके बाद वे जंगल में तपस्या के लिए चली गई. 


सूर्य को नहीं हुआ शक
संज्ञा की छाया होने के कारण सूर्य देव को कभी स्वर्णा पर शक नहीं हुआ. और स्वर्णा एक छाया होने के कारण उसे भी सूर्य देव के तेज से कोई परेशानी नहीं हुई. उधर संज्ञा तपस्या में लीन थीं, वहीं सूर्य देव और स्वर्णा से तीन बच्चे मनु, शनि देव और भद्रा का जन्म हुआ. 


पत्नी पर सूर्य देव को हुआ शक
एक बार सूर्य देव पत्नी स्वर्णा से मिलने आए. सूर्य देव के ताप और तेज के आगे शनि देव की आंखें बंद हो गईं. वहीं शनि देव का रंग देख सूर्य ने अपनी पत्नी स्वर्णा पर शक करते हुए, गंभीर आरोप लगा दिया. मां का अपमान होता देख शनि देव भयंकर नाराज हो गए और पिता से शत्रुता का भाव रखने लगे.


शिव से लिया ये वरदान
नाराज होने के बाद शनि देव ने भगवान शिव की तपस्या प्रारंभ कर दी. भयंकर तपस्या की. शनि देव की तपस्या के आगे भगवान शिव शनि देव के पास आना ही पड़ा. शनि देव के सामने शिव जी प्रकट हुए. शनि देव ने कहा प्रभु पिता सूर्य ने मेरी मां का अपमान किया है. इसे वे कभी भूला नहीं सकते हैं. शिव जी से शनि देव ने पिता से भी अधिक शक्तिशाली और पूज्य होने का वरदान मांगा. शिव ने कहा ऐसा ही होगा. इसके साथ ही मनुष्य ही नहीं देवता और असुर भी तुम से भयभीत रहेंगे. यही कारण है कि शनि की दृष्टि से कोई भी नहीं बच पाता है.


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