शनि की महिमा को विशेष माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को सभी नव ग्रहों में न्याय का देवता बताया गया है. शनिदेव की दृष्टि को शुभ नहीं माना गया है. शनिदेव को शाप मिला हुआ कि वे जिस पर भी अपनी दृष्टि डालेंगे उसका अहित हो जाएगा. इसलिए शनिदेव सदैव अपनी दृष्टि नीचे रखते हैं.


भगवान शिव की शनिदेव ने विशेष पूजा की थी. शनिदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनिदेव को सभी ग्रहों में न्यायाधीश का दर्जा प्रदान किया. भगवान शिव के वरदान के कारण ही शनि की दृष्टि से मनुष्य, देवता और असुर भी नहीं बच सकते हैं. भगवान शिव भी शनि की वक्र दृष्टि से नहीं बच सके थे, शनि की दृष्टि के कारण भगवान शिव को पशु योनि में जाना पड़ा था.


शनिदेव के गुरु कौन हैं?
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव यानि भोलेनाथ शनिदेव के गुरु हैं. शनिदेव के पिता सूर्यदेव हैं. लेकिन शनि की अपने पिता से नहीं बनती है. छाया सूर्यदेव की पत्नी और शनिदेव की माता है. एक बार भगवान सूर्य अपनी पत्नी छाया के पास पहुंचे तो सूर्य के प्रकाश से छाया के नेत्र बंद हो गए. ऐसा करने से छाया को श्यामवर्ण पुत्र शनिदेव की प्राप्ति हुई.


शनिदेव का नीला रंग देख सूर्यदेव ने छाया पर आरोप लगाया कि ये मेरा पुत्र नहीं है. पिता के इस बर्ताव से शनिदेव बहुत नाराज हो गए और भगवान शिव की तपस्या करने लगे. कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और शनिदेव को सभी ग्रहों में न्याय का देवता बना दिया. शनिदेव भगवान शिव को अपना गुरु मानते हैं. इसलिए शिव की पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.


शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या
धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. वहीं मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है. इसलिए इन 5 राशियों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. इसके साथ ही जिन लोगों की जन्म कुंडली में शनि की दशा चल रही है वे शनि को शांत रखने का प्रयास करें.


शनि अशुभ फल
शनिदेव जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति को शिक्षा, जॉब, करियर, बिजनेस और सेहत से जुड़ी परेशानियां देते हैं. इतना ही नहीं दांपत्य जीवन और प्रेम संबंधों में मुश्किलें खड़ी करते हैं.


सोमवार को करें ये उपाय
5 अप्रैल सोमवार को चैत्र मास की कृष्ण की नवमी की तिथि है. विशेष बात ये है कि इस दिन शिव योग का निर्माण हो रहा है. जो बहुत ही शुभ है. इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करने से शनि का दोष समाप्त होता है. शिवभक्तों को शनि देव परेशान नहीं करते हैं.


पीपल के पेड़ की पूजा करें
पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. मान्यता है कि पीपल के शीर्ष पर भगवान शिव का वास होता है. शनिदेव भी पीपल के पेड़ में रहते हैं. इसलिए पीपल की पूजा करने से भगवान शिव और शनि देव प्रसन्न होते हैं. लिंग पुराण के मुताबिक पीपल को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है.


इन मंत्रों का जाप करें
ऊं नम: शिवाय.
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:


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