Pradosh Vrat: हमारे शास्त्रों में प्रदोष व्रत की बड़ी महिमा बताई गई है. 30 जुलाई यानी आज रवि प्रदोष व्रत है. जो प्रदोष रविवार के दिन पड़ता है, उसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. रविवार को आने वाला यह प्रदोष व्रत स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. यह व्रत करने शिव जी की कृपा प्राप्त होने के साथ-साथ स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां भी दूर होती हैं. 


रवि प्रदोष के दिन बना शुभ योग


हर माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. कहते हैं कि इस व्रत को विधि-विधान से पूरा करने पर भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. आज प्रदोष व्रत के दिन बेहद शुभ योग बन रहा है. आज के दिन इंद्र योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है.  इन शुभ योग में पूजन का अति शुभ फल मिलता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का पूजन प्रदोष काल यानि शाम के समय किया जाता है.



प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त


हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन अधिक मास की त्रयोदशी तिथि 30 जुलाई की सुबह 10 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 31 जुलाई को सुबह 07 बजकर 26 मिनट पर होगा. प्रदोष व्रत के दिन संध्या काल में भगवान शिव की उपासना की जाती है. आज प्रदोष काल शाम 07 बजकर 14 मिनट से रात्रि 09 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.


प्रदोष व्रत की पूजा विधि


सावन महीने का प्रदोष व्रत करने से हर तरह के दोष और महापाप खत्म हो जाते हैं. प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. अब बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल से भगवान शिव की पूजा करें. प्रदोष व्रत करने वालों को इस पूरे दिन निराहार रहना चाहिए और दिन भर मन ही मन शिव का प्रिय मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करना चाहिए.


पूरे दिन उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा स्नान करें. स्वच्छ जल या गंगा जल से अपने पूजा स्थल को शुद्ध कर लें. इसके बाद शिव का षोडषोपचार से पूजन करना चाहिए. नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी और शक्कर का भोग लगाए. इसके बाद आठों दिशाओं में 8‍ दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें.  शिव जी की आरती के साथ पूजा का समापन करें.


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