Sankashti Chaturthi Date: हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. गणेश भगवान को सभी देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय माना गया है. गणेश भगवान बुद्धि, बल और विवेक के देवता हैं. भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी विघ्नों को हर लेते हैं इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत काफी प्रचलित है. इस माह की संकष्टी चतुर्थी 9 अप्रैल को है.


संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी. इस दिन लोग अपने अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए पूरी श्रद्धा के साथ गणपति की अराधना करते हैं. पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गणेश भगवान की पूजा करना बेहद फलदायी होता है. इस दिन लोग सूर्योदय से लेकर चन्द्रमा के उदय होने तक उपवास रखते हैं. संकष्टी चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है.



संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त


गणपति की पूजा सुबह का मुहूर्त - सुबह 09:13 - सुबह 10:48
गणेश जी की पूजा शाम का मुहूर्त - शाम 06.43 - रात 09.33
चंद्रोदय समय -  रात 10.02


संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि


गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न करते हैं. इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए. इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बहुत शुभ माना जाता है. गणपति की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रखना चाहिए. गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें. तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चंदन और प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें.


गणपति को रोली लगाकर उन्हें फूल और जल अर्पित करें. संकष्टी के दिन गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं. पूजा के बाद फल, मूंगफली  या साबूदाने का ही सेवन करें.  शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें. पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें और रात को चांद देखने के बाद अपना व्रत खोलें. 


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