31 अक्टूबर के राष्ट्रीय एकता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के केवड़िया में दिए अपने भाषण में जब चार धाम, शक्ति पीठ और सप्त पुरियों का उल्लेख किया, तो देशभर में इन नामों को लेकर जिज्ञासा बढ़ गई. चार धाम और शक्ति पीठों के बारे में अधिकतर लोग जानते हैं, लेकिन सवाल यह है कि सप्त पुरियां आखिर हैं क्या और हिंदू धर्म में इनका इतना विशेष महत्व क्यों है?

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सप्त पुरियां, जहां मुक्ति और मोक्ष का मार्ग मिलता है

हिंदू धर्मग्रंथों में सप्त मोक्षदायिनी पुरियां का उल्लेख मिलता है. यह सात नगर वे स्थान माने गए हैं जहां धर्म, तप, ज्ञान और मोक्ष, चारों मार्ग एक दूसरे से मिलते हैं. पौराणिक मान्यता है कि इन नगरों में जीवन व्यतीत करने या मृत्यु प्राप्त करने से आत्मा को मुक्ति प्राप्त होती है. ये हैं सात पवित्र पुरियां-

अयोध्या (उत्तर प्रदेश)

भगवान श्रीराम की जन्मभूमि. मर्यादा, सत्य और नीति का प्रतीक. यह नगर धर्म के आचरण और आदर्श जीवन का सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता है.

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मथुरा (उत्तर प्रदेश)

भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि. यहां प्रेम, लीला और भक्ति का भाव सर्वोच्च है. यह स्थान भक्ति मार्ग का केंद्र है. जहां ईश्वर को प्रेम के रूप में देखा जाता है.

हरिद्वार (उत्तराखंड)

गंगा के तट पर बसा यह नगर तप, साधना और स्नान से जुड़ा है. कुंभ मेले की परंपरा ने इसे विश्वभर में मोक्ष के द्वार के रूप में प्रसिद्ध किया है.

काशी (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)

भगवान शिव की नगरी. कहा जाता है कि यहां मृत्यु भी मोक्ष का मार्ग बन जाती है. यह स्थान ज्ञान, ध्यान और साधना का केंद्र माना गया है.

कांची (तमिलनाडु)

दक्षिण भारत की यह प्राचीन नगरी माता कामाक्षी और भगवान विष्णु को समर्पित है. यह विद्या, शास्त्र और आध्यात्मिकता का संगम मानी जाती है.

अवंतिका या उज्जैन (मध्य प्रदेश)

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का निवास. यहां समय और कर्म के रहस्य छिपे हैं. उज्जैन में भी कुंभ का आयोजन होता है, जो इसे चारों धामों के समान प्रतिष्ठा देता है.

द्वारका (गुजरात)

भगवान श्रीकृष्ण की राजधानी. यह नगर धर्म, नीति और कर्तव्य के संतुलन का प्रतीक है. यह पश्चिम दिशा का वह धाम है जो पूरे भारत की एकता को दिशा देता है.

ग्रंथों में उल्लेख

गरुड़ पुराण, वायु पुराण और स्कंद पुराण में इन सात पुरियों का विस्तृत उल्लेख मिलता है. इन नगरों को मोक्षदायिनी सप्तपुरियां कहा गया है,  यानी ऐसे स्थान जहां मनुष्य अपने कर्मों से मुक्त होकर आत्मिक शांति पा सकता है.

धार्मिक अर्थ से परे एकता का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इन नगरों का जिक्र केवल धार्मिक संदर्भ में नहीं था. सप्त पुरियां भारत की सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता का भी प्रतीक हैं. उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक यह बताती हैं कि भारत की आध्यात्मिक यात्रा एक ही भावना से जुड़ी हुई है. हर पुरि एक संदेश देती है. ये बताती है कि धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन जीने का संतुलित तरीका भी है. सप्त पुरियां भारत की आत्मा का जीवित इतिहास हैं.

इनमें से हर नगर यह सिखाता है कि मोक्ष केवल मृत्यु के बाद नहीं, बल्कि सत्य, प्रेम, तप और ज्ञान के आचरण में भी पाया जा सकता है. आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनका उल्लेख किया, तो यह याद दिलाने जैसा था कि भारत की एकता उसकी भौगोलिक सीमाओं में नहीं, उसकी आस्था और परंपरा के साझा अनुभवों में है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.