Neem Karoli Baba Life: नीम करोली बाबा 20वीं सदी के महान संतों में से एक माने जाते हैं. इन्हें हनुमान जी का अवतार माना जाता है. नीम करोली बाबा लोकप्रियता ना केवल देश में बल्कि विदेशों तक में फैली हुई है. दुनिया भर के लोग नीम करोली बाबा के आश्रम में उनका आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं. विश्व में उनके अनगिनत भक्त है जिन्होंने उनके चमत्कारों को न केवल देखा है बल्कि महसूस भी किया है. नीम करोली बाबा को भगवान हनुमान का अवतार भी माना जाता है. बाबा नीम करोली को कई तरह की सिद्धियां प्राप्त थीं. 



कैसे पड़ा नीम करोली नाम


बाबा नीम करोली एक हिंदू संत और रहस्यवादी थे जो 1900-1973 तक भारत में रहे. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था. कहा जाता है कि 17 साल की आयु में ही बाबा को ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी. बाबा के जीवनकाल और उनकी मृत्यु के बाद भी भक्तों ने कई अलौकिक और दिव्य चमत्कारों का अनुभव किया. उनका असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था. बाद में उन्हें नीम के पत्तों का सेवन करने की आदत के कारण नीम करोली बाबा के नाम से जाना जाने लगा. बाबा का मानना था कि नीम से बड़ी कोई औषधि नहीं है. बाबा अपनी सरल लेकिन गहन शिक्षाओं के लिए जाने जाते थे. 


नीम करोली बाबा के चमत्कार


नीम करोली बाबा से जुड़े कई चमत्कारों का  जिक्र मिलता है जिसका अनुभव लोगों ने साक्षात किया है. नीम करोली बाबा का एक बहुत ही दिलचप्स किस्सा है. बाबा नीम करोली के कैंची धाम में  अक्सर ही भंडारा लगता है. कहा जाता है कि एक बार भंडारे का खाना बनाते समय घी की कमी हो गई. सभी लोग बाबा के पास पहुंचे और उन्हें भंडारे में घी कम पड़ने की समस्या बताई. बाबा ने भोजन में घी के बजाय शिप्रा का जल डालने का सुझाव दिया. 


घी की जगह जल डालने की बात से हर कोई हैरान था लेकिन किसी ने बाबा से सवाल नहीं किया.  बाबा के सेवक भी उनका आदेश मानकर कैंची धाम के बगल में बह रही शिप्रा से जल लेकर आए और इसका इस्तेमाल भोजन में किया. हैरानी की बात यह है कि यह जल अपने आप घी में परिवर्तित हो गया. अपने इन्हीं चमत्कारों की वजह से बाबा धीरे-धीरे आम लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गए थे.


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