Dharm ki Baat: मनुष्य का जीवन बहुत मुश्किल से मिलता है. ये अनमोल है. विष्णु पुराण में 84 लाख योनियों का वर्णन मिलता है. कहते हैं कि जो सबसे अच्छे कर्म करता है उसे मनुष्य योनि प्राप्त होती है. मनुष्य होना ही श्रेष्ठ है. ज्ञान और अध्यात्म से इस जीवन को सफल बनाया जा सकता है. इसके साथ ही जीवन को सफल बना सकते हैं और संकटों से पार पा सकते हैं.


बार-बार गलती न करें
श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार मन वाणी से किया गया प्रायश्चित ही एक मात्र पापों का नाश करने वाला है. प्रायश्चित करने के बाद पुन: पार्प कर्म नहीं करना चाहिए. क्योंकि प्रायश्चित मात्र से भी कर्म का होना नहीं मिटता है.


पाप करने से कैसे बचें
पाप से बचने का एक मात्र मार्ग है भगवान की भक्ति. श्रीमद् भागवान पुराण के छठा स्कंद कहता है कि ईश्वर की भक्ति से जो दूर है या उससे बचता है, उसका पाप प्रायश्वित करने से भी नहीं मिटता है. 


संकट से न घबराएं
आचार्य चाणक्य के बारे में तो सभी जानते हैं. चाणक्य की चाणक्य नीति आज भी लोकप्रिय और प्रासंगिक है. इसका कारण है कि चाणक्य नीति आज की परिस्थितियों को भी हल करने की क्षमता रखती है. चाणक्य ने संकट से बचने के लिए महत्चपूर्ण बात बताई है-


अनागत विधाता च प्रत्युत्पन्न्मतिस्तथा।
द्वावेतौ सुखमेवैते यद्धविष्यो विनश्यति।।


इस श्लोक का अर्थ है कि जो लोग भविष्य में आने वाले संकटों के प्रति जागरूक रहता है, जिसकी बुद्धि तीक्ष्ण होती है. ऐसा व्यक्ति सुखी रहता है. इसके विपरीत जो भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं, उनका सबकुछ नष्ट हो जाता है. इसका आशय है ये जो लोग पहले से ही तैयार रहते हैं और संकट आने पर उसका डटकर मुकाबला करते हैं, अपनी बुद्धि से सही निर्णय लेते हैं. ऐसे व्यक्ति बड़ी से बड़ी विपत्ति को भी चुटकियों में परास्त कर देते हैं.


संकट के समय क्या करें



  • धैर्य न खोएं- संकट में कभी धैर्य नहीं खोना चाहिए. जो लोग विपत्ति आने पर घबरा जाते हैं. या भयभीत हो जाते हैं वे कभी भी विजय प्राप्त नहीं करते हैं. इसलिए कितना ही खराब समय आ जाए, व्यक्ति को धैर्य नहीं खोना चाहिए.

  • संसाधनों को एकत्र करें- संकट के समय जो भी संसाधन होते हैं उनको एकत्र कर उनका सही ढंग से प्रयोग करना चाहिए. किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को अपने संसाधनों के बारे में पूर्ण ज्ञान होना अति आवश्यक है.

  • धन का लोभ नहीं करना चाहिए- संकट के समय धन का लोभ नहीं करना चाहिए. चाणक्य नीति कहती है कि धन ही संकट के समय सच्चे मित्र की भूमिका निभाता है. इसलिए व्यक्ति को धन का संचय करना चाहिए, ताकि संकट की घड़ी में ये आपकी मदद कर सके. जो लोग धन आने पर उसका महत्व नहीं समझते हैं और उसका व्यय करते रहते हैं वे मुश्किल वक्त में परेशानी उठाते हैं.


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