मेष से मीन राशि तक 12 राशियां मानी गईं है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में लग्नों की संख्या भी 12 मानी गई है. कुंडली के 12 भावों में बैठे ग्रह अलग अलग फल प्रदान करते हैं. इन ग्रहों को व्यक्ति के जीवन पर पूरा प्रभाव देखने का मिलता है. जन्म कुंडली के 12 भाव में बैठे ग्रह व्यक्ति के विचार और स्वभाव के बारे में जानकारी देते हैं.


लालच करना एक गलत आदत है. लालची व्यक्ति को कोई भी पसंद नहीं करता है. लालची व्यक्ति सदैव दूसरों की सफलता परेशान रहता है. लालच करने वाला व्यक्ति कभी संतुष्ठ नहीं होता है. लालच के कारण ही वह कभी कभी ऐसे काम भी कर जाता है जिसके कारण उसे मुसीबत और अपयश का सामना करना पड़ता है. व्यक्ति में लालच की भावना कैसे पनपती है इसका भी संबंध ग्रहों से हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका संबंध बृहस्पति यानि गुरु से है.


गुरु का स्वभाव
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति यानि गुरु को शुभ और बलशाली ग्रह माना गया है. इसका रंग पीला है. बृहस्पति का संबंध ज्ञान से है. बृहस्पति प्रधान व्यक्ति गलत कामों से बचता है और दूसरों की मदद के लिए सदैव तैयार रहता है. ऐसे लोग जीवन में उच्चाधिकारी, राजनेता और सफल बिजनेस मैन होते हैं.


लालची बनाता है गुरु
गुरु जब अशुभ हो तो व्यक्ति को लालची भी बनाता है. जन्म कुंडली का 12 भाव व्यय, मोक्ष और हानि का भाव है. गुरु जन्म कुंडली में यदि शुभ स्थिति में है तो इस भाव में अच्छे परिणाम देगा. लेकिन यदि गुरु अशुभ है तो व्यक्ति को लालची बना देता है. 12 वें भाव का गुरु व्यक्ति को लालची ही नहीं बनता है बल्कि व्यक्ति के मान सम्मान में भी कमी लाता है. ऐसे लोगों को जीवन में अपयश का भी सामना करना पड़ता है.


गुरु की अशुभता को दूर करने के उपाय
गुरु यानि बृहस्पति की अशुभता को दूर करने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करें. एकादशी का व्रत रखने से लाभ मिलता है. गुरु का सम्मान करने से भी बृहस्पति मजबूत होता है. गलत संगत और हर प्रकार की बुराई से दूर रहें.


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