Mahakaleshwar Jyotirlinga Story:


हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व माना गया है. हर एक ज्योतिर्लिंग की पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं जिननका विशेष महत्व माना जाता है. सभी 12 में से ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर का विशेष स्थान है. यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है. उज्जैन के भगवान महाकालेश्वर की ख्याति दूर-दूर तक है. कहते हैं यहां आने वालों की झोली कभी खाली नहीं जाती. आइए जानते हैं 12 ज्योतिर्लिंग के इस शिव धाम में कैसे हुई महाकाल की स्थापना.


महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा


पौराणिक कथा के अनुसार अवंती नाम से एक रमणीय नगरी थी , जो भगवान शिव को बहुत प्रिय थी. इसी नगर में वेद प्रिय नाम का एक ज्ञानी ब्राह्मण था जो बहुत ही बुद्धिमान था और शिव का बड़े भक्त था. वह हर रोज पार्थिव शिवलिंग बनाकर शिव की आराधना करता था. वहीं रत्नमाल पर्वत पर रहने वाले दूषण नाम के राक्षस को भी ब्रह्मा जी से एक वरदान मिला था.



इसी वरदान के मद में वह धार्मिक व्यक्तियों पर आक्रमण करने लगा था. उसने उज्जैन के ब्राह्मणों पर आक्रमण करने का विचार बना लिया. उसने अवंती नगर के ब्राह्मणों को अपनी हरकतों से परेशान करना शुरू कर दिया. वह ब्राह्मणों को कर्मकांड करने से मना करने लगा लेकिन ब्राह्मणों ने उसकी बात पर ध्यान नहीं  दिया. वो राक्षस उन्हें आए दिन परेशान करने लगा. इससे परेशान होकर ब्राह्मणों ने शिव शंकर से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया. 


शिव की हुंकार मात्र से भस्म हुआ राक्षस


भोलेनाथ ने नगरवासियों को राक्षस के अत्याचार से बचाने के लिए पहले उसे चेतावनी दी पर दूषण राक्षस पर इसका कोई असर नहीं हुआ. उसने नगर पर हमला कर दिया. इसके बाद भोलेनाथ के क्रोध का ठिकाना नहीं रहा. वो धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए. शिव ने अपनी हुंकार से राक्षस को भस्म कर दिया. इसके बाद ब्राह्रणों ने महादेव से यहीं विराजमान होने के लिए प्रार्थना की. माना जाता है कि ब्राह्मणों के निवेदन पर शिव जी यहां महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करने लगे.


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