Kundli Bhagya: सुख-दुख, सफलता-असफलता, अमीरी-गरीबी को भाग्य से जोड़कर देखा जाता है. जन्मकुंडली में भाग्य स्थान यानी 9वें हाउस में बैठे ग्रह या जो ग्रह इस घर को देखते है, उसके अनुसार भाग्योदय वर्ष तय किया जाता है. यहां पर आसान तरीके से समझते हैं.
- गुरू 9वें हाउस में हो या यहां इनकी दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 24वें वर्ष में होता है और धन-संपत्ति के साथ ही इन्हें मान-सम्मान भी प्राप्त होता है.
- शुक्र का भी 9वें हाउस में होना या इनकी दृष्टि होना अत्यंत शुभ माना जाता है. ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय 25वें वर्ष में होता है. इनके पास धन-संपत्ति भरपूर होती है.
- अगर 9वें हाउस में सूर्य बैठे हों या भाग्य भाव को देख रहे हो तो 22 साल में भाग्योदय होता है. ऐसे व्यक्ति राजनीति में बढ़चढ़ कर भाग लेते है और इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होती है.
- चन्द्रमा की दृष्टि 9वें हाउस पर हो या विराजित हो तो उनका भाग्योदय 16 से 24 वर्ष की उम्र में होता है. ऐसे व्यक्ति जन्म स्थान से दूर जाकर ज्यादा तरक्की करते हैं.
- मंगल 9वें हाउस में होने या इनकी दृष्टि होने पर 28 वर्ष की उम्र में भाग्योदय होता है. ऐसे लोग रियल एस्टेट संबंधित कार्यों में अच्छी सफलता पाते है. लेकिन कई बार लालच में आकर गलत तरीका भी अपना लेते हैं ऐसे लोग.
- बुध के 9वें हाउस में होने पर व्यक्ति का 32 में साल में भाग्योदय होता है.
- भाग्य स्थान यानि 9वें हाउस में शनि होने से व्यक्ति का भाग्योदय 36वें वर्ष में होता है.
- राहु-केतु 9वें हाउस बैठे हो तो 42 साल में भाग्योदय होता है.
किसी कुंडली में शनि देव या बृहस्पति वक्री होकर भाग्य 9वें हाउस में उपस्थित हो तो ये ग्रह अपनी दशा के दौरान भाग्योदय करते हुए शुभ फल के योग बनाते है. यदि किसी कुंडली में ज्यादातर ग्रह तीसरे या 10वें हाउस में हो तो, ऐसे लोगों को बहुत जल्दी भाग्य का साथ प्राप्त होता है.
किसी कुंडली में सूर्य और चंद्रमा कर्क राशि में यानी 4वें हाउस में हो, शुक्र वृश्चिक राशि में यानी 8वें हाउस में हो और मंगल कुंभ राशि यानी 11वें हाउस में हो तो भले ही कोई भी लग्न हो, लेकिन जातक अपने जीवन में हर दिशा व क्षेत्र में सुख-समृद्धि प्राप्त करता है. भाग्योदय को मजबूत करने के लिए नवम भाव में कौन सा ग्रह बैठा है, फिर उस ग्रह की मजबूती के लिए आपको उपाय करने चाहिए.