Rahu Ketu Dosha: ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को पाप ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. राहु-केतु छाया ग्रह हैं. ये जिस भी ग्रह के साथ बैठते हैं ये वैसा ही फल देना आरंभ कर देते हैंं. जन्म कुंडली में इनकी शुभ और अशुभ स्थिति का पता लगाना बहुत ही अवश्यक हो जाता है. क्योंकि यदि ये अशुभ हैं तो जीवन भर व्यक्ति को कष्ट प्रदान करते हैं.


कालसर्प योग का कारण हैं राहु-केतु
ज्योतिष शास्त्र में सबसे खराब जिन दोषों को माना गया है उनमे से एक है कालसर्प दोष. जन्म कुंडली में यह योग तब बनता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य आ जाएं. ये बहुत ही खराब दोष है. कालसर्प दोष लगने के कारण व्यक्ति जीवन परेशान रहता है उसे छोटी-छोटी सफलता के लिए भी कठोर परिश्रम करना पड़ता है.


राहु-केतु का स्वभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु व्यक्ति को रहस्मय बनाता है. गुप्त ज्ञान का कारक है केतु. ये व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान की तरफ भी ले जाता है. ऐसा व्यक्ति विभिन्न विषयों की जानकारी रखता है. राहु का स्वभाव केतु से एकदम अलग है. राहु संसार के भौतिक सुखों में वृद्धि करता है. ये गलत कार्यों के लिए भी प्रेरित करता है. राहु व्यक्ति की संगत को भी प्रभावित करता है. ऐसा व्यक्ति झूठ बोलने में माहिर होता है.


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राहु-केतु की अशुभता का ऐसे लगाएं पता
जन्म कुंडली में जब ये दोनों ग्रह अशुभ होते हैं तो व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों को सामना करना पड़ता है. राहु जब अशुभ होता है तो व्यक्ति की दोस्ती गलत लोगों के साथ हो जाती है. जिस कारण उसे गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं, राहु के कारण गलत कार्यों की तरफ व्यक्ति आकर्षित होता है. व्यक्ति नशा आदि करने लगता है.


केतु जब अशुभ होता है तो व्यक्ति तनाव में रहता है. उसे हमेशा एक अज्ञात भय बना रहता है. ऐसे लोग अपनी बात को सामने वाले का नहीं समझा पाते हैं, जबकि उनमें ज्ञान और समझ की कोई कमी नहीं होती है. धन की कमी बनी रहती है. रोग आदि घेर लेते हैं. व्यक्ति को सफलता के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ता है.


राहु-केतु उपाय
जन्म कुंडली में जब राहु-केतु अशुभ हों तो सबसे पहले इस बात का पता लगाए कि जन्म कुंडली में कही कालसर्प योग का निर्माण तो नहीं हो रहा है. यदि ऐसा है तो विधिवत इसका पूजा कराएं. वहीं प्रत्येक बुधवार को भगवान गणेश जी की पूजा करें और दुर्वा घास चढ़ाएं.


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